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प्रखंड परिसर मे सोहराय पर्व मनाया गया।

आदिवासी का सबसे बड़ा पर्व सोहराय

 

 

 

 

दुमका जिला के रामगढ़ प्रखण्ड में सोहराय पर्व का आयोजन मांझी संगठन द्वारा किया गया। इस अवसर पर विधिवत पूजा-अर्चना की गई और संताली नृत्य प्रस्तुत किए गए। संताल समुदाय के रीति-रिवाजों के अनुसार देवी-देवताओं को चढ़ावे

रामगढ़ संवादाता। दुमका रामगढ़ ग्राम प्रधान मांझी संगठन सह मांझी थान जाहेर थार सर्वधान समिति द्वारा गुरुवार को रामगढ़ प्रखंड परिसर मे प्रखंड विकाश पदाधिकारी कमलेंद्र कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में सोहराय पर्व मनाया गया। जिसमें गोड़मांझी में विधिवत पूजा-अर्चना किया गया। पूजा-अर्चना के पश्चात संताली नृत्य प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर पारंपरित परिधान में महिला व मांदर की थाप पर नृत्य किए। नायकी बाबा द्वारा संताल समाज के रीति रिवाज के अनुसार गोढ़ टांडी में पांच मुर्गी एवं एक मुर्गी का अंडा विधि-विधान से संताल समाज के देवी-देवताओं को चढ़ाया गया। और आहवान किया गया कि सभी संताल समुदाय के लोग सुख शांति से रहें। जानकारी के मुताबिक सोहराय पर्व में 3 दिनों तक आराधना गौ माता व बाकि दो दिन संताल भाई-बहन प्रेमभाव खाने पुरुष-पीने का रहना है। एक दिन मकर संक्रांति मनाया जाता है। अंचल अधिकारी सह प्रभारी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी प्रदीप कुमार महतो, ,प्रमुख -बाबूलाल मुर्मू, मुख्या संग के प्रखंड अध्यक्ष -चारलेस बेसरा ,प्रधान संग के प्रखंड अध्यक्ष- इंग्लिश लाल हेम्ब्रम, सोनालाल आदि दर्जोनो ग्रामीण उपस्थित थे

हाथी लेकान पोरोब’ है सोहरायः सोहराय संताल आदिवासियों का महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व संताल समुदाय के बीच ‘हाथी लेकान पोरोब’ (हाथी जैसा बड़ा पर्व) के रूप में लोकप्रिय है। देश भर में जहां भी संताल जनजाति के लोग बसे हैं वहां सोहराय पर्व मनाया जाता है, पर अलग-अलग हिस्सों में सोहराय अलग-अलग समय में मनाया जाता है। संताल परगना में यह पर्व मुख्य रूप से जनवरी के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है पर जनवरी के प्रथम सप्ताह में ही हो सोहराय पर कार्यक्रमों का दौर शुरू जाता है। गाय, भैस, बैल एवं अन्य मवेशियों के साथ समाज के सभी प्राणियों के सुख-समृद्धि व जीवन की रक्षा के उद्देश्य से यह पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही यह पर्व प्रकृति पूजा के साथ ही भाई-बहनों के प्रेम का प्रतीक है।

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