

शिरोमणि कमेटी केंद्रीय सिख संग्रहालय में झूठ फैलाने पर सख्ती से लगाए रोक – जत्थेदार दादूवाल
लोकेशन कालावाली
रिपोर्टर इन्द्र जीत
( ) सिख समुदाय ने अपने प्राणों की आहुति देकर ऐतिहासिक गुरुद्वारों को महंतों से मुक्त कराया था और सुप्रबंधन के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की स्थापना की थी शिरोमणि कमेटी के निर्वाचित प्रशासक गुरुद्वारों के मालिक नहीं बल्कि उनके रखवाले और सेवक हैं ऐतिहासिक गुरुद्वारों के सुप्रबंधन के साथ-साथ धर्म का प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करना उनकी ज़िम्मेदारी है अगर शिरोमणि कमेटी के अधीन संस्थाएँ झूठ फैलाने लगेंगी तो आने वाली पीढ़ी के लिए दुविधा पैदा हो जाएगी धर्म प्रचार के अध्यक्ष एवं हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल जी ने मीडिया से बातचीत करते हुए ये विचार व्यक्त किए जत्थेदार दादूवाल ने कहा कि केंद्रीय सिख अजायब घर श्री अमृतसर साहिब सिख कौम की ऐतिहासिक धरोहर है जहां सिख कौम के लिए कुर्बानियां देने वाले और सेवा सिमरन करने वालों की यादें संजो कर रखी जानी चाहिए लेकिन मौजूदा समय में प्रशासकों की लापरवाही या मनमानी के कारण अजायब घर में झूठ परोसा जा रहा है जत्थेदार दादूवाल ने कहा कि केंद्रीय अजायबघर में सिख पंथ के लिए कुर्बानियां देने वाले धार्मिक शिक्षाओं का प्रचार करने वाले महापुरुषों की तस्वीरें लगाई जानी चाहिए न कि पंथ से गद्दारी करने वालों की तस्वीरें गौरतलब है कि केंद्रीय सिख अजायबघर में जहां 1984 में कुर्बानी देने वाले योद्धाओं की तस्वीरें लगी हैं वहीं 1984 में गद्दारी करने वालों की तस्वीरें भी लगी हैं सौदा असाध के खिलाफ श्री अकाल तख्त साहिब के हुक्मनामे की रक्षा करते शहीद हुए सिख योद्धाओं की तस्वीरें भी केंद्रीय सिख अजायबघर में लगी हैं और सौदा असाध को माफीनामा जारी करने वालों की तस्वीरें भी लगी हैं केंद्रीय सिख संग्रहालय में कुछ दिन पहले प्रदर्शित संत मोहन सिंह मतवाला की तस्वीर पर टिप्पणी करते हुए जत्थेदार दादूवाल ने कहा कि मतवाला की तस्वीर प्रदर्शित करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन तस्वीर का इस्तेमाल संगत को झूठ बोलने के लिए नहीं किया जाना चाहिए इसे प्रस्तुत करना बुरी बात है तस्वीर पर लिखा है कि संत मोहन सिंह मतवाला का जन्म सिरसा के गांव तिलोकेवाला में हुआ था यह सरासर झूठ है गांव तिलोकेवाला समेत पूरे इलाके को नहीं पता कि वह कहां से थे उनके बारे में यह लिखना भी सरासर झूठ है कि उन्होंने एक गुरमत विद्यालय चलाया जिससे हजारों कथावाचक और रागी सिंह बने जबकि उत्तराधिकारी गुरमीत सिंह जिन्हें बाद में गांव ने संत मोहन सिंह की गद्दी पर बिठाया न तो कथावाचक हैं और न ही कीर्तनिया। जत्थेदार दादूवाल ने कहा कि हजारों कथावाचक और रागीयो की संख्या कोसों दूर हैं केवल 10-20 रागियों या कथावाचकों के नाम ही दिए जाएँ जिन्होंने संत मोहन सिंह मतवाला द्वारा संचालित विद्यालय से कीर्तन और कथा सीखी हो और उसका प्रचार किया हो या कर रहे हों। यह सरासर झूठ है जो केंद्रीय सिख अजायबघर में पूरी संगत के सामने पेश किया गया है जत्थेदार दादूवाल ने कहा कि शिरोमणि कमेटी केंद्रीय सिख अजायबघर को झूठ का अड्डा बनने से सख्ती से रोके और हुई गलती को तुरंत सुधारे।








