


धार। लगभग 27 किलोमीटर लंबे नागदा–बरमंडल मार्ग का निर्माण कार्य वर्तमान में जारी है, जो पिछले करीब एक वर्ष से प्रगति पर है। इसके बावजूद प्रशासकीय एवं तकनीकी स्वीकृति में निर्धारित शर्तों तथा लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा तय मानकों के अनुरूप कार्य नहीं किए जाने से निर्माण एजेंसी के साथ-साथ विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं।स्वीकृति के अनुसार सड़क का निर्माण आधुनिक मशीनों से चार परतों में किया जाना था। इसमें लगभग ढाई फीट मोटा मूरम अर्थवर्क, नियमित रूप से पानी का छिड़काव करते हुए रोलर द्वारा संपीड़न, उसके बाद बोल्डर की परत तथा अंत में डामर की दो परतें शामिल हैं। किंतु मौके पर न तो पर्याप्त आधुनिक मशीनें दिखाई दे रही हैं और न ही निर्धारित तकनीकी प्रक्रिया का समुचित पालन किया जा रहा है।पुलिया निर्माण में भी स्वीकृत संख्या एवं तकनीकी मानकों की अनदेखी सामने आई है। जानकारी के अनुसार डबल आरसीसी पाइप वाली 11, सिंगल आरसीसी पाइप वाली 9 तथा आरसीसी छत/सेक्शन प्रकार की 12 पुलियों का निर्माण किया गया है, जबकि 5 पुलियों का निर्माण कार्य अभी जारी है। बताया जा रहा है कि इन तीनों श्रेणियों में पुलियों की स्वीकृत संख्या इससे कहीं अधिक है।आरोप है कि आरसीसी छत/सेक्शन प्रकार की पुलियों में बेसिक स्लैब (एबटमेंट) एवं पिलर में सरिए का समुचित उपयोग नहीं किया गया। सरिया केवल ऊपरी हिस्से में दिखावटी रूप से लगाया गया है। इसके अतिरिक्त शासकीय नियमों के विपरीत 100 प्रतिशत बिना धुली डस्ट युक्त एम-सेट का उपयोग किया जा रहा है, जबकि सरकारी कार्यों में अधिकतम 40 प्रतिशत एम-सेट उपयोग की ही विशेष अनुमति होती है। वहीं पुलिया निर्माण में एम-सेट का उपयोग नियमों के अनुसार किया ही नहीं जा सकता।वर्तमान में सड़क निर्माण कार्य जारी है, लेकिन कई स्थानों पर पुलियों की ऊँचाई सड़क के निर्धारित लेवल से अधिक पाई गई है। इससे मार्ग पर चलने वाले वाहनों के लिए जोखिम की स्थिति बन रही है और दुर्घटनाओं की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।इसके अलावा पुराने डामर को उखाड़ने के बाद नियमानुसार पानी का छिड़काव नहीं किए जाने से उड़ती धूल आसपास के किसानों की फसलों को नुकसान पहुँचा रही है। पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी के साथ-साथ पाइपलाइन एवं बिजली पोल शिफ्टिंग कार्य में भी भारी लापरवाही के आरोप सामने आए हैं।इन सभी गंभीर अनियमितताओं को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं नागरिकों द्वारा मांग की जा रही है कि निर्माण एजेंसी के साथ-साथ लोक निर्माण विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की लोकायुक्त जाँच कराई जाए। यदि चल-अचल संपत्ति का आकलन किया जाए, तो भ्रष्टाचार की परतें उजागर हो सकती हैं। इस विषय में एसडीएम बदनावर एवं एसडीओ लोक निर्माण विभाग को फ़ोन लगाया गया था लेकिन फ़ोन कॉल रिसीव नहीं किया।इनका कहना है“यदि ठेकेदार द्वारा गुणवत्ताहीन एवं घटिया निर्माण कार्य किया जा रहा है, तो इसकी निष्पक्ष जांच होना चाहिए। इस संबंध में एसडीएम एवं एसडीओ से चर्चा की जाएगी, साथ ही मैं स्वयं भी एसडीएम से बात करूंगा।”— भंवरसिंह शेखावत, विधायक बदनावर… “यदि पुलिया निर्माण कार्य में गुणवत्ताहीन काम किया जा रहा है तो उसकी जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। जनता के पैसे से होने वाले कार्यों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
— प्रताप ग्रेवाल, विधायक सरदारपुर
“इस प्रकार की सामग्री का उपयोग तो हमारी पंचायत में भी नहीं किया जाता। इस संबंध में मैंने अपने अधिकारियों को भी अवगत करा दिया है। सड़क पर केवल गिट्टी ही गिट्टी पड़ी हुई है, जिससे लगातार धूल उड़ रही है।”
— सीताराम अमलियार
सरपंच प्रतिनिधि, चंदोडिया ग्राम पंचायत
“क्षेत्र में चल रहे पुलिया निर्माण कार्य में ठेकेदार द्वारा निर्धारित सामग्री के स्थान पर बिना धुली, धूलयुक्त एम-सेट का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही पानी का छिड़काव नहीं होने से गिट्टी व धूल उड़ रही है, जिससे आमजन परेशान है। संबंधित विभाग को निरीक्षण कर गुणवत्ता अनुसार कार्य सुनिश्चित करना चाहिए।
कालूराम भाभर
सरपंच, ग्राम पंचायत चिराखान






