
📰 दतिया में बर्थडे पार्टी से उठा तूफ़ान: बार-बालाओं संग पुलिसकर्मी का अश्लील डांस, वीडियो लीक होते ही एएसआई व आरक्षक निलंबित, पुलिस की साख पर सवाल
मध्य प्रदेश के दतिया ज़िले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने न केवल स्थानीय पुलिस महकमे बल्कि पूरे प्रदेश के प्रशासन की छवि पर गहरी चोट पहुंचाई है। यह मामला एक साधारण जन्मदिन पार्टी का था, लेकिन धीरे-धीरे यह महज़ एक निजी जश्न से निकलकर एक बड़े विवाद का रूप ले बैठा। सिविल लाइन थाने में पदस्थ आरक्षक राहुल ने अपनी जन्मदिन पार्टी मनाने के लिए शहर के एक होटल को चुना। जन्मदिन का जश्न आमतौर पर दोस्तों और सहकर्मियों के बीच मनाया जाता है, लेकिन इस पार्टी को विशेष बनाने के लिए होटल में बार-बालाओं को बुलाया गया। खाना-पीना, शराब और डांस का पूरा इंतज़ाम था, लेकिन इस दौरान जो कुछ हुआ, उसने पुलिस महकमे की पेशेवर साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। पार्टी में मौजूद एएसआई संजीव गौड़ शराब के नशे में धुत होकर फिल्मी गानों पर बार-बालाओं के साथ मंच पर चढ़ गए और अश्लील डांस करने लगे। वर्दीधारी की इस हरकत को देखकर वहां मौजूद कुछ लोगों ने मोबाइल कैमरे से वीडियो बना लिया और बाद में इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो जैसे ही वायरल हुआ, पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।
सूत्र बताते हैं कि वीडियो में साफ़-साफ़ दिख रहा है कि एएसआई शराब के नशे में बेकाबू होकर बार-बालाओं के साथ हाथ-पैर हिला रहे थे और इस दौरान उनके साथी पुलिसकर्मी आरक्षक राहुल भी मौज-मस्ती में शामिल थे। पार्टी में मौजूद कई लोगों ने खाना-पीना, शराब और डांस का मज़ा लिया और जब महफ़िल रंग पर चढ़ गई तो किसी ने वीडियो लीक कर दिया। सवाल यह उठता है कि क्या यह वीडियो महज़ संयोग से लीक हुआ या जानबूझकर किसी ने इसे बाहर पहुंचाया ताकि संबंधित पुलिसकर्मियों की पोल खुले? फिलहाल इस बिंदु की भी जांच चल रही है।
जैसे ही यह वीडियो वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में आया, पुलिस विभाग ने तुरंत सख़्त रुख अपनाया। जिला पुलिस अधीक्षक ने बिना देर किए एएसआई संजीव गौड़ और आरक्षक राहुल को तत्काल निलंबित करने का आदेश जारी किया। अधिकारियों का कहना है कि इस घटना ने पुलिस विभाग की छवि को धूमिल किया है और आम जनता में गलत संदेश गया है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि अब इस मामले की विभागीय जांच भी बैठाई गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि पार्टी के आयोजन में और कौन-कौन शामिल था और शराब एवं बार-बालाओं की व्यवस्था किसके माध्यम से की गई थी।
यह पूरा प्रकरण ऐसे समय में हुआ है जब प्रदेश पुलिस लगातार अपराध, नशे और समाज विरोधी गतिविधियों के खिलाफ अभियान चला रही है। पुलिस की वर्दी आमजन के लिए सुरक्षा और भरोसे का प्रतीक मानी जाती है, लेकिन जब वही वर्दीधारी सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील डांस और शराबखोरी करते पाए जाते हैं तो जनता का भरोसा हिलता है। यही कारण है कि इस मामले ने स्थानीय ही नहीं बल्कि प्रदेश स्तर पर भी प्रशासन को शर्मसार किया है। दतिया जैसे छोटे ज़िले में पुलिसकर्मियों की इस हरकत पर लोग चुटकी ले रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी विभाग की खूब किरकिरी हो रही है।
सामाजिक दृष्टिकोण से देखें तो यह घटना पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी और अनुशासन पर गंभीर सवाल उठाती है। वर्दी पहनना केवल कानून लागू करने की शक्ति ही नहीं बल्कि समाज के प्रति एक नैतिक दायित्व भी है। पुलिसकर्मी 24 घंटे जनता की निगाह में रहते हैं और उनका हर कदम विभाग की छवि को प्रभावित करता है। ऐसे में एक एएसआई और आरक्षक का इस तरह होटल में बार-बालाओं के साथ रंगीन महफ़िल सजाना और शराब के नशे में अश्लील डांस करना अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा है।
यह भी गौर करने वाली बात है कि पार्टी में मौजूद मेहमानों ने वीडियो बनाकर उसे लीक किया। यह कदम अपने आप में दो पहलुओं को उजागर करता है—पहला, यह कि अब किसी भी गलत हरकत को छुपाना आसान नहीं रह गया है और तकनीक के इस दौर में हर किसी की गतिविधि पर जनता की नज़र होती है। दूसरा, यह भी कि समाज अब पुलिस के ऐसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है।
पुलिस प्रशासन ने जिस तत्परता से कार्रवाई की है, वह इस ओर संकेत करती है कि विभाग अपनी साख बचाने के लिए किसी भी अनुशासनहीनता को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। हालांकि सवाल यह भी उठता है कि क्या केवल निलंबन ही पर्याप्त है? क्या विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर और कठोर दंड, जैसे सेवा से बर्खास्तगी या अन्य कानूनी कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी? अगर केवल निलंबन तक ही मामला सीमित रह गया तो इससे गलत संदेश जा सकता है कि विभाग अपने ही लोगों को बचा रहा है।
इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल पैदा कर दी है। विपक्षी दलों ने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब पुलिसकर्मी ही इस तरह की हरकतें करेंगे तो जनता से अनुशासन और कानून का पालन कैसे करवाया जा सकेगा। दूसरी ओर, सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों ने भी इस मामले को गंभीर बताया है और पुलिसकर्मियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
दतिया की यह घटना हमें यह सोचने पर भी मजबूर करती है कि पुलिस विभाग में अनुशासन और नैतिक शिक्षा को और सख़्ती से लागू करने की ज़रूरत है। पुलिस प्रशिक्षण केवल कानून और हथियार चलाने तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि उसमें नैतिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों पर भी जोर दिया जाना चाहिए। यदि पुलिसकर्मी यह भूल जाएं कि वर्दी केवल नौकरी नहीं बल्कि समाज सेवा और अनुशासन का प्रतीक है, तो ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आएंगी।
वर्तमान समय में जब सोशल मीडिया का प्रभाव बहुत बढ़ गया है, तब पुलिस विभाग को भी अपनी छवि को लेकर अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। एक वीडियो या तस्वीर न केवल व्यक्तिगत बल्कि पूरे विभाग की प्रतिष्ठा पर असर डाल सकती है। यही वजह है कि अनुशासन का पालन केवल ड्यूटी के समय ही नहीं बल्कि निजी जीवन में भी अपेक्षित है।
कुल मिलाकर, दतिया की इस बर्थडे पार्टी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि छोटी-सी लापरवाही भी कितनी बड़ी बन सकती है और कैसे यह पूरे महकमे को सवालों के घेरे में ला सकती है। एएसआई और आरक्षक का निलंबन भले ही एक त्वरित कदम है, लेकिन असली चुनौती पुलिस विभाग की उस खोई हुई साख को वापस लाने की होगी, जिसे इस घटना ने गहरी चोट पहुंचाई है। यह मामला पुलिसकर्मियों के लिए भी एक सीख है कि वर्दी का अनुशासन हर हाल में बनाए रखना ज़रूरी है, चाहे वह ड्यूटी हो या निजी जीवन का कोई जश्न।
✍️ रिपोर्ट: एलिक सिंह, संपादक – वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़ / समृद्ध भारत समाचार, 📍 उत्तर प्रदेश महासचिव – भारतीय पत्रकार अधिकार परिषद, 📞 8217554083