उत्तर प्रदेशबस्तीलखनऊ

फर्जी हाजिरी–फर्जी फोटो से लूट की खुली मंडी ग्राम पंचायत आंबारी व पिपरा कला

एक ही फोटो दो ग्राम पंचायतों में अपलोड कर पैसा निकालने का मामला भी चर्चाओं में है

अजीत मिश्रा (खोजी)

।। मनरेगा में देखने को मिला सातवा अजूबा दो ग्राम पंचायत में एक ही फोटो अपलोड कर चल रहा है है फर्जी हाजिरी।।

💫 मनरेगा में ‘महा घोटाला’ का केंद्र बना आंबारी।

02 दिसंबर 25, उत्तर प्रदेश

रूधौली – बस्ती ।।  फर्जी हाजिरी–फर्जी फोटो से लूट की खुली मंडी ग्राम पंचायत आंबारी व पिपरा कला। बस्ती जनपद के रुधौली विकासखंड की ग्राम पंचायत आंबारी इस समय मनरेगा भ्रष्टाचार का ज्वलंत उदाहरण बन गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि यहां मनरेगा के नाम पर फर्जी हाजिरी, फर्जी फोटो अपलोडिंग, कागजी कार्यवाही और सरकारी धन की लूट खुलेआम चल रही है।

लेकिन इस पूरे खेल की सबसे बड़ी और चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि— खंड विकास अधिकारी योगेंद्र राम त्रिपाठी की ‘खास’ सचिव रंजना चौधरी को कई न्याय पंचायतों की जिम्मेदारी मिली है,और ग्रामीणों के अनुसार इन्हीं क्षेत्रों में सबसे अधिक फर्जीवाड़े की शिकायतें सामने आ रही हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि मनरेगा के काम कागजों में पूरे दिखाए जा रहे हैं, फोटो अपलोड कर भुगतान ले लिया जाता है, जबकि जमीनी हकीकत पूरी तरह अलग है।

🔥 एक ही फोटो दो ग्राम पंचायतों में अपलोड कर पैसा निकालने का मामला भी चर्चाओं में है।

आंबारी में कृष्ण चंद्र मिश्र कीचक से पोखरा होते हुए सत्यराम के चक तक का कार्य दिखाने के लिए जो फोटो अपलोड की गई, वही फोटो एक अन्य ग्राम पंचायत में भी उपयोग कर ली गई—भ्रष्टाचारियों के लिए एक फोटो = दो भुगतान!

उधर पिपरा कला में निर्मला देवी की चक से नहर तक मार्ग को कागजों में पूरा दिखाकर भुगतान उठा लिया गया, जबकि मौके पर कार्य नदारद है।

क्लस्टर पानी परियोजना में भी भौकाल?

ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा ही नहीं, बल्कि गांव के पास चल रहे क्लस्टर पानी प्रोजेक्ट पर भी इनका खास “प्रभाव” देखा जा रहा है, और यहां भी कई अनियमितताओं के आरोप ग्रामीणों द्वारा लगाए गए हैं।

ग्रामीणों के सवाल तीखे और सीधे —

👉 मनरेगा में इतनी बड़ी लूट किसके संरक्षण में हो रही है?

👉 फर्जी फोटो, फर्जी मस्टररोल, और कागजी विकास पर क्यों नहीं हुई अब तक कड़ी कार्रवाई?

👉 क्या प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी चुप है?

क्या सचिवों और स्थानीय प्रभावशाली कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना यह फर्जीवाड़ा संभव है?लोगों का कहना है तत्काल जांच, फर्जी भुगतान की रिकवरी, और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है, ताकि मनरेगा जैसी गरीबों की योजना को भ्रष्टाचारियों के चंगुल से मुक्त किया जा सके।

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