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शारदीय नवरात्र पूजा व्रत उपवास से आत्मशक्ति बढ़ती है।

नवरात्र पूजन ध्यान से जीवन में सकरात्मकता शांति का वास होता है


+++++++ शनिवार 20 सितंबर 2025 +++++++++
।शारदीय नवरात्र 2025 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं
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नागपुर-: नवरात्र देवी आदिशक्ति दुर्गा की व्रत उपासना का शुभ पर्व है। इस अवसर पर भक्तजन मां भगवती दुर्गा जी के नौ स्वरूपों का ध्यान पूजन वंदन अर्चन करते हुए व्रत उपवास भी करते हैं। नवरात्र का यह अवसर सिर्फ भोजन का ही नहीं , आत्मानुशासन, संयम और आत्म शुद्धि का भी प्रतीक होता है। नवरात्र में उचित नियम विधियों के साथ व्रत करने पर जीवन में सकरात्मकता शांति का वास होता है। नवरात्र पूजा ध्यान व्रत से आत्मबल बढ़ता है और तन मन की शुद्धि होती है। नवरात्र पूजन व्रत में श्रद्धा भक्ति, संयम सबसे अधिक जरूरी है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर सोमवार 2025 से प्रारंभ हो रही है, और इसका समापन 01 अक्टूबर 2025 नवमीं तिथि पर होगा। नवरात्र पूजा व्रत की शुरुआत घटस्थापना संकल्प के साथ होती है। नवरात्र के प्रथम दिन घटस्थापना की जाती है, संकल्प लेकर नङवरात्र व्रत की शुरुआत किया जाता है। नवरात्र व्रत उपवास करने वाले भक्तजन को प्रतिदिन देवी मां दुर्गा के अलग अलग नौ स्वरूपों की पूजा आराधना करनी चाहिए। नवरात्र के दौरान नौ दिनों तक संयम रखना , तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन मांसाहारी भोजन का त्याग करना चाहिए। नवरात्र में मादक पदार्थ का सेवन शराब तम्बाखू जैसे नकारात्मक चीजों से दूर रहना चाहिए। नवरात्र व्रत के दौरान शारिरिक मानसिक स्वच्छता सात्विकता का ध्यान रखना चाहिए। नवरात्र के प्रथम दिन ग घटस्थापना के साथ निर्जन उपवास भी कर सकते हैं। इसमें दिन में कुछ भी नहीं खाया जाता केवल पूजा आराधना के बाद जल ग्रहण किया जाता है। कमजोर शारिरिक स्थिति वाले फल कन्द मूल खा सकते हैं। नवरात्र के दूसरे दिन फलाहार व्रत किया जाता है। इसमें फल दूध, सिंघाड़े का आटा , कुट्टू का आटा, और सेंधा नमक से बने हुए व्यंजन खाया जाता है। इसी प्रकार नौ दिन उपवास रखते हुए सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। नवरात्र के प्रथम दिन देवीं मां शैलपुत्री को घी का भोग लगाएं पूजा करें सात्विक आहार लें। नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी को मिश्री का और फल का भोग लगाकर पूजा करें। तीसरे दिन देवी मां चंद्रघंटा की दूध खीर का भोग लगाकर पूजा करें सात्विक आहार लें। नवरात्र के चौथें दिन देवीं मां कूष्मांडा को मालपुए या हलुवे का भोग अर्पित करके पूजा आराधना करे। पांचवें दिन देवी स्कंदमाता को केले का फल अर्पित कर पूजा वंदना करें। फलाहार करें। छठवें दिन देवी मां कात्यायनी को फल शहद अर्पित करते हुए पूजा आराधना करें । नवरात्र के सातवें दिन देवी मां कालरात्रि को गुड़ा भोग लगाते हुए पूजा वंदना करें। आठवें दिन देवी महागौरी को हलुआ पूरी नारियल का भोग लगाते हुए पूजा आराधना करें। नवरात्र के अंतिम नवमें दिन पर देवीं मां सिद्धिदात्री की पूजा कर छोटी छोटी कन्याओं का पूजन कर खीर पुड़ी हलुवे का भोग लगाकर पूजन कर नवरात्र व्रत का समापन करें। नवरात्र में प्रतिदिन सुबह और शाम के समय में देवी मां की पूजा आरती कर भोग लगाना फलदायी होता है। नवरात्र की अषटमी व नवमी तिथि पर कन्या पूजन करना शूभ फलदायी माना जाता है। नवरात्र व्रत करने के दौरान नाखून काटना दाढ़ी बाल आदि नहीं कटवाना चाहिए। नवरात्र व्रत करने से शरीर से टॉक्सिनस बाहर निकालने में मदद मिलती है शरीर की सफाई होती है। नवरात्र व्रत के पूरा लाभ तभी मिलता है जब इसे सही विधि के अनुसार किया जाता है। नवरात्र में नौ दिन का व्रत रखने पर सादा पानी पीने के अलावा नारियल पानी ताजे फलों का रस आदि ले सकते है। इससे शरीर को डिटाक्सीफाई करने मे मदद मिलती है। व्रत खोलने के लिए जूस नारियल पानी छाछ आदि की भी सलाह दी जाती है। ( नोट-: इस आलेख में दिए गए उपाय केवल सामान्य जानकारी भर है। यह जानकारी विभिन्न माध्यमों पंचांग दंतकथाओं पर आधारित है। पाठकगण कृपया स्वविवेक से काम लें। और अधिक सही जानकारी के लिए कृपया अपने क्षेत्र के विषय विशेषज्ञों से सलाह ले ले)

अनंतपद्मनाभ

D Anant Padamnabh, village- kanhari, Bpo-Gorakhpur, Teh-Pendra Road,Gaurella, Distt- gpm , Chhattisgarh, 495117,
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