
अजीत मिश्रा (खोजी)
22 दिसंबर 25, उत्तर प्रदेश।
लखनऊ ।। राजधानी में फर्जी शैक्षणिक डिग्रियां बेचने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने इस रैकेट के सरगना समेत उसके तीन साथियों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में खुलासा हुआ है कि यह संगठित गिरोह बीते चार वर्षों से लखनऊ के गोमतीनगर क्षेत्र से संचालित हो रहा था और इसकी जड़ें देश के 25 राज्यों तक फैली हुई थीं।
⭐ गोमतीनगर से चलता था इंटर-स्टेट नेटवर्क:-
पुलिस जांच में सामने आया है कि गिरोह गोमतीनगर में साइबर कैफे और निजी ऑनलाइन एग्जाम सेंटर की आड़ में फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां तैयार करता था। यहीं से देशभर के अलग-अलग राज्यों में ग्राहकों से संपर्क कर उन्हें मनचाही डिग्री उपलब्ध कराई जाती थी। दिल्ली, मुंबई, मध्य प्रदेश समेत कई बड़े राज्यों में इस गिरोह ने करोड़ों रुपए की फर्जी डिग्रियां बेचीं।
⭐ बिना पढ़ाई डिग्री का लालच, प्रतीकात्मक परीक्षा:-
गिरोह जरूरतमंद युवाओं को बिना पढ़ाई और मेहनत के डिग्री दिलाने का लालच देता था। कई मामलों में शक से बचने के लिए प्रतीकात्मक ऑनलाइन परीक्षा भी कराई जाती थी, जिससे फर्जीवाड़ा असली जैसा लगे।
⭐ PHD से लेकर BTech-MBA तक की डिग्रियां:-
जांच में सामने आया है कि गिरोह PHD, BTech, BCA, MCA, MBA, MSc, BA और MA जैसी डिग्रियां तैयार करता था। कोर्स और विश्वविद्यालय के नाम के हिसाब से कीमत तय की जाती थी। सामान्य डिग्री 25 हजार रुपए में जबकि प्रोफेशनल और उच्च डिग्रियां 4 लाख रुपए तक में बेची जाती थीं।
⭐ 2021 से सक्रिय, 15 करोड़ का अवैध कारोबार:-
पुलिस के मुताबिक यह रैकेट वर्ष 2021 से सक्रिय था। अब तक करीब 1500 से अधिक लोगों को फर्जी डिग्रियां बेची जा चुकी हैं। इस अवैध कारोबार का कुल टर्नओवर लगभग 15 करोड़ रुपए आंका गया है।
⭐ 25 यूनिवर्सिटी के नाम पर बनीं फर्जी डिग्रियां:-
छापेमारी के दौरान 25 अलग-अलग विश्वविद्यालयों के नाम पर बनी 923 फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट बरामद की गईं। इसके अलावा 15 विश्वविद्यालयों की कूटरचित मुहरें, विशेष पेपर, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, प्रिंटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किए गए हैं।
⭐ फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वालों पर भी कार्रवाई:-
पुलिस को पूछताछ में यह भी पता चला है कि फर्जी डिग्री लेने वाले कई लोग निजी कंपनियों में नौकरी हासिल कर चुके हैं। अब पुलिस ऐसे लोगों की सूची तैयार कर रही है, ताकि फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी करने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा सके।

















