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सहारनपुर:  मेला गुघाल में पुलिस सुरक्षा बनी मिसाल – निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह के नेतृत्व में शांति और विश्वास का माहौल 

मेला गुघाल 2025: निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह के नेतृत्व में सुरक्षा और सुव्यवस्था की मिसाल 

सहारनपुर:  मेला गुघाल में पुलिस सुरक्षा बनी मिसाल – निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह के नेतृत्व में शांति और विश्वास का माहौल 

मेला गुघाल 2025: निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह के नेतृत्व में सुरक्षा और सुव्यवस्था की मिसाल 

सहारनपुर: सहारनपुर का प्रसिद्ध मेला गुघाल इस बार सुरक्षा और व्यवस्थित आयोजन के मामले में यादगार साबित हुआ। हर साल लाखों की भीड़ को आकर्षित करने वाले इस मेले में आमतौर पर चोरी, झगड़े और बच्चों के गुम होने जैसी घटनाओं की घटनाएं सामने आती रही हैं, जिससे आम जनता में असुरक्षा की भावना बनी रहती थी। लेकिन इस वर्ष, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी के निर्देश पर निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह को मेला सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई और उन्होंने अपनी तेजतर्रार नेतृत्व क्षमता, रणनीति और कुशल टीम वर्क से मेले को पूरी तरह सुरक्षित व सुव्यवस्थित बनाया। पिछले वर्षों के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए, निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह ने सुरक्षा का ऐसा जाल बिछाया कि मेला आए प्रत्येक परिवार ने बिना किसी भय के इसका आनंद लिया।

सहारनपुर पुलिस के पास पिछले वर्षों के आंकड़े हैं कि मेले में भीड़ और शोर-शराबे के बीच कई अपराधी तत्व सक्रिय रहते हैं। चोरी, झगड़े, बच्चों का गुम होना और लापरवाही के कारण कई बार दुर्घटनाएं हुई हैं। पिछले साल मेला में दर्ज अपराधों की संख्या इस बार की तैयारी के पीछे सबसे बड़ी चुनौती थी। निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए सुरक्षा की सटीक रणनीति तैयार की। मेले के मुख्य प्रवेश द्वार, भीड़ वाले स्थल और झूले-खेल के आसपास पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई, जबकि महिला पुलिस बल विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किए गए। इसके साथ ही सीसीटीवी कैमरों और अन्य तकनीकी साधनों का प्रभावी उपयोग किया गया, जिससे हर गतिविधि पर नजर बनी रही और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की पहचान तुरंत की जा सकी।

इस बार मेले में बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। भारी भीड़ में 108 बच्चे अपने परिवार से बिछड़ गए थे। यह आंकड़ा इस बात का प्रतीक है कि मेले में हर साल बच्चों के खो जाने की घटनाएं आम रही हैं। लेकिन इस बार, पुलिस की तत्परता, जागरूकता और तकनीकी साधनों के इस्तेमाल ने यह सुनिश्चित किया कि सभी 108 बच्चों को तुरंत बरामद कर उनके परिजनों को सौंप दिया गया। यह सफलता निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह की कार्यकुशलता, निर्णय लेने की क्षमता और टीम के समर्पण का प्रत्यक्ष प्रमाण है। बच्चों और परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित होने से मेला में आने वाले लोग न सिर्फ सुरक्षित महसूस कर रहे थे बल्कि उन्होंने पूरी तरह मेला का आनंद भी लिया।

मेले में महिलाओं की सुरक्षा को भी विशेष प्राथमिकता दी गई। निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह ने महिलाओं के लिए अलग निगरानी टीम बनाई और संवेदनशील स्थलों पर महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती की। इसके चलते महिलाओं ने बिना किसी भय या असुरक्षा की भावना के खरीदारी, झूले झूलने और धार्मिक आयोजनों में भाग लिया। इस बार का मेला यह साबित करता है कि अगर नेतृत्व मजबूत हो और रणनीति ठोस हो, तो सुरक्षा का माहौल पूरी तरह से कायम किया जा सकता है।

स्थानीय लोगों और नागरिक संगठनों ने भी इस बार की सुरक्षा व्यवस्था की सराहना की। उनके अनुसार, निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह की रणनीति ने यह संदेश दिया कि पुलिस सिर्फ अपराधियों को पकड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि आम जनता की सुरक्षा, विश्वास और आनंद का भी पूरा ध्यान रखती है। वरिष्ठ अधिकारियों ने भी निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह की इस उपलब्धि को सराहा और इसे पुलिसिंग का आदर्श मॉडल बताया।

इस मेला में पहले सालों की तुलना में अपराधों का स्तर काफी कम रहा। चोरी, झगड़े और असामाजिक गतिविधियों की संख्या नगण्य रही। इस सफलता का श्रेय पूरी तरह से निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह के नेतृत्व और उनकी टीम की सक्रियता को जाता है। पुलिस ने यह भी सुनिश्चित किया कि मेला आने वालों को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े। पेट्रोलिंग की नियमित अंतराल पर ड्यूटी, संदिग्ध लोगों की निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया ने इस सुरक्षा मॉडल को बेहद प्रभावी बनाया।

मेले के दौरान मिली प्रतिक्रिया से यह साफ हुआ कि आम लोग अब पुलिस पर भरोसा करने लगे हैं। बच्चों और परिवारों के सुरक्षित रहने से लोगों में विश्वास बढ़ा है और यह पुलिस की सकारात्मक छवि को भी मजबूती देता है। निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह ने यह साबित कर दिया कि जब नेतृत्व और रणनीति सही दिशा में हो, तो भारी भीड़ वाले आयोजनों में भी अपराध और असुरक्षा को पूरी तरह रोका जा सकता है।

मेला गुघाल 2025 यह संदेश देने वाला आयोजन बन गया कि आधुनिक तकनीक, महिला पुलिस बल की तैनाती, समय पर कार्रवाई और मजबूत नेतृत्व के जरिए किसी भी भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक कार्यक्रम को सुरक्षित बनाया जा सकता है। निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह की कुशल कार्यशैली ने यह साबित कर दिया कि सुरक्षा केवल कानून का पालन कराने तक सीमित नहीं है, बल्कि आम जनता में विश्वास, सुरक्षा और आनंद की भावना कायम करना भी इसका हिस्सा है।

स्थानीय प्रशासन और पुलिस के प्रयासों के चलते यह मेला सिर्फ एक धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं रहा, बल्कि सुरक्षा और सुव्यवस्था का आदर्श मॉडल बनकर सामने आया। पिछले सालों की घटनाओं के मुकाबले इस बार के मेला में शांति और सुरक्षा का माहौल इतना प्रभावशाली रहा कि पूरे सहारनपुर में इसकी प्रशंसा हो रही है। निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह ने अपने नेतृत्व और टीम की सक्रियता से यह स्पष्ट कर दिया कि अगर पुलिस ईमानदारी, समर्पण और तकनीकी साधनों का इस्तेमाल करते हुए कार्य करे, तो किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है और किसी भी सार्वजनिक आयोजन को पूरी तरह सुरक्षित बनाया जा सकता है।

इस मेला ने यह साबित कर दिया कि मजबूत नेतृत्व और ठोस रणनीति के साथ पुलिसिंग की जाए तो बड़े आयोजन भी अपराध मुक्त, सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाए जा सकते हैं। निरीक्षक प्रमोद कुमार सिंह की कार्यशैली और कुशल टीम वर्क ने मेला गुघाल 2025 को सहारनपुर का एक यादगार और सुरक्षित मेला बना दिया, जिसे आने वाले वर्षों में भी आदर्श माना जाएगा।

✍️ रिपोर्ट: एलिक सिंह
संपादक – समृद्ध भारत समाचार पत्र
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