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न्याय की लड़ाई अब गांधी मैदान में — मुरहा नागेश फिर भूख हड़ताल पर चार माह पहले कलेक्ट्रेट क़े सामने धरने बैठे थे,प्रशासनिक उदासीनता क़े चलते फिर मजबूर गरियाबंद-:अमलीपदर के ग्रामीण मुरहा नागेश एक बार फिर अपने परिवार सहित गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। प्रशासन से बार-बार गुहार लगाने और आश्वासन मिलने के बावजूद उनकी पुश्तैनी जमीन का हक आज तक वापस नहीं मिला है। अब न्याय की आस में थक चुके मुरहा नागेश ने कहा है कि “जब तक जमीन हमें वापस नहीं मिलती, तब तक हम मैदान नहीं छोड़ेंगे।” चार माह पहले कलेक्ट्रेट में भी दी थी चेतावनी याद दिला दें कि 14 जुलाई 2025 को मुरहा नागेश और उनके परिजन गरियाबंद कलेक्ट्रेट के सामने दिनभर भूख हड़ताल पर बैठे थे। उस समय स्थानीय प्रशासन ने मौके पर पहुँचकर आंदोलन समाप्त कराने की कोशिश की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी जमीन की समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा, तथा उनकी पुश्तैनी जमीन उन्हें वापस दिलाई जाएगी। प्रशासन के वादे पर भरोसा करते हुए मुरहा नागेश्वर ने उस दिन अपनी हड़ताल समाप्त कर दी थी। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी उनकी जमीन का मामला जस का तस बना हुआ है। *प्रशासनिक उदासीनता से बढ़ी नाराजगी* मुरहा नागेश ने बताया कि उन्होंने अब तक कई बार तहसील और राजस्व विभाग के अधिकारियों को आवेदन दिया, पर हर बार सिर्फ़ “जल्द समाधान होगा” का जवाब मिला। उनका कहना है कि “हम गरीब लोग हैं, हमारे पास लड़ाई लड़ने के साधन नहीं, लेकिन जब तक अपनी जमीन वापस नहीं मिलती, तब तक मैदान में बैठे रहेंगे।” ग्रामीणों का कहना है कि मुरहा परिवार की जमीन को लेकर वर्षों से विवाद चला आ रहा है। प्रशासन ने समस्या सुलझाने का भरोसा तो दिया, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। *गांधी मैदान बना संघर्ष का केंद्र* आज सुबह से मुरहा नागेश अपने परिवार के साथ गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनके साथ क्षेत्र के ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता भी समर्थन में पहुँचे। हड़ताल स्थल पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस बल भी मौके पर मौजूद है। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन जब तक जमीन वापस नहीं दिलाता, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की मांग की है, ताकि गरीब परिवार को फिर बार-बार धरने की मजबूरी न झेलनी पड़े। *ग्रामीणों की भावनाएँ* गाँव के बुजुर्गों ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस पूरे वर्ग की लड़ाई है जो आज भी अपने हक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। “कलेक्ट्रेट से लेकर गांधी मैदान तक का यह संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि गरीबों की आवाज़ अब भी सुनी नहीं जा रही,” ग्रामीणों ने कहा। *मुख्य बिंदु* 14 जुलाई को कलेक्ट्रेट में पहली भूख हड़ताल प्रशासन ने जमीन दिलाने का दिया था आश्वासन चार महीने बीतने के बाद भी नहीं हुआ कोई समाधान अब गांधी मैदान में परिवार सहित फिर भूख हड़ताल पर बैठे मुरहा नागेश ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल न्याय की मांग की

न्याय की लड़ाई अब गांधी मैदान में — मुरहा नागेश फिर भूख हड़ताल पर चार माह पहले कलेक्ट्रेट क़े सामने धरने बैठे थे,प्रशासनिक उदासीनता क़े चलते फिर मजबूर गरियाबंद-:अमलीपदर के ग्रामीण मुरहा नागेश एक बार फिर अपने परिवार सहित गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। प्रशासन से बार-बार गुहार लगाने और आश्वासन मिलने के बावजूद उनकी पुश्तैनी जमीन का हक आज तक वापस नहीं मिला है। अब न्याय की आस में थक चुके मुरहा नागेश ने कहा है कि “जब तक जमीन हमें वापस नहीं मिलती, तब तक हम मैदान नहीं छोड़ेंगे।” चार माह पहले कलेक्ट्रेट में भी दी थी चेतावनी याद दिला दें कि 14 जुलाई 2025 को मुरहा नागेश और उनके परिजन गरियाबंद कलेक्ट्रेट के सामने दिनभर भूख हड़ताल पर बैठे थे। उस समय स्थानीय प्रशासन ने मौके पर पहुँचकर आंदोलन समाप्त कराने की कोशिश की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी जमीन की समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा, तथा उनकी पुश्तैनी जमीन उन्हें वापस दिलाई जाएगी। प्रशासन के वादे पर भरोसा करते हुए मुरहा नागेश्वर ने उस दिन अपनी हड़ताल समाप्त कर दी थी। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी उनकी जमीन का मामला जस का तस बना हुआ है। *प्रशासनिक उदासीनता से बढ़ी नाराजगी* मुरहा नागेश ने बताया कि उन्होंने अब तक कई बार तहसील और राजस्व विभाग के अधिकारियों को आवेदन दिया, पर हर बार सिर्फ़ “जल्द समाधान होगा” का जवाब मिला। उनका कहना है कि “हम गरीब लोग हैं, हमारे पास लड़ाई लड़ने के साधन नहीं, लेकिन जब तक अपनी जमीन वापस नहीं मिलती, तब तक मैदान में बैठे रहेंगे।” ग्रामीणों का कहना है कि मुरहा परिवार की जमीन को लेकर वर्षों से विवाद चला आ रहा है। प्रशासन ने समस्या सुलझाने का भरोसा तो दिया, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। *गांधी मैदान बना संघर्ष का केंद्र* आज सुबह से मुरहा नागेश अपने परिवार के साथ गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनके साथ क्षेत्र के ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता भी समर्थन में पहुँचे। हड़ताल स्थल पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस बल भी मौके पर मौजूद है। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन जब तक जमीन वापस नहीं दिलाता, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की मांग की है, ताकि गरीब परिवार को फिर बार-बार धरने की मजबूरी न झेलनी पड़े। *ग्रामीणों की भावनाएँ* गाँव के बुजुर्गों ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस पूरे वर्ग की लड़ाई है जो आज भी अपने हक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। “कलेक्ट्रेट से लेकर गांधी मैदान तक का यह संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि गरीबों की आवाज़ अब भी सुनी नहीं जा रही,” ग्रामीणों ने कहा। *मुख्य बिंदु* 14 जुलाई को कलेक्ट्रेट में पहली भूख हड़ताल प्रशासन ने जमीन दिलाने का दिया था आश्वासन चार महीने बीतने के बाद भी नहीं हुआ कोई समाधान अब गांधी मैदान में परिवार सहित फिर भूख हड़ताल पर बैठे मुरहा नागेश ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल न्याय की मांग की

न्याय की लड़ाई अब गांधी मैदान में — मुरहा नागेश फिर भूख हड़ताल परन्याय की लड़ाई अब गांधी मैदान में — मुरहा नागेश फिर भूख हड़ताल पर

चार माह पहले कलेक्ट्रेट क़े सामने धरने बैठे थे,प्रशासनिक उदासीनता क़े चलते फिर मजबूर

गरियाबंद-:अमलीपदर के ग्रामीण मुरहा नागेश एक बार फिर अपने परिवार सहित गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। प्रशासन से बार-बार गुहार लगाने और आश्वासन मिलने के बावजूद उनकी पुश्तैनी जमीन का हक आज तक वापस नहीं मिला है।

अब न्याय की आस में थक चुके मुरहा नागेश ने कहा है कि “जब तक जमीन हमें वापस नहीं मिलती, तब तक हम मैदान नहीं छोड़ेंगे।”

चार माह पहले कलेक्ट्रेट में भी दी थी चेतावनी

याद दिला दें कि 14 जुलाई 2025 को मुरहा नागेश और उनके परिजन गरियाबंद कलेक्ट्रेट के सामने दिनभर भूख हड़ताल पर बैठे थे।
उस समय स्थानीय प्रशासन ने मौके पर पहुँचकर आंदोलन समाप्त कराने की कोशिश की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी जमीन की समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा, तथा उनकी पुश्तैनी जमीन उन्हें वापस दिलाई जाएगी।

प्रशासन के वादे पर भरोसा करते हुए मुरहा नागेश्वर ने उस दिन अपनी हड़ताल समाप्त कर दी थी। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी उनकी जमीन का मामला जस का तस बना हुआ है।

*प्रशासनिक उदासीनता से बढ़ी नाराजगी*

मुरहा नागेश ने बताया कि उन्होंने अब तक कई बार तहसील और राजस्व विभाग के अधिकारियों को आवेदन दिया, पर हर बार सिर्फ़ “जल्द समाधान होगा” का जवाब मिला।

उनका कहना है कि “हम गरीब लोग हैं, हमारे पास लड़ाई लड़ने के साधन नहीं, लेकिन जब तक अपनी जमीन वापस नहीं मिलती, तब तक मैदान में बैठे रहेंगे।”

ग्रामीणों का कहना है कि मुरहा परिवार की जमीन को लेकर वर्षों से विवाद चला आ रहा है। प्रशासन ने समस्या सुलझाने का भरोसा तो दिया, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

*गांधी मैदान बना संघर्ष का केंद्र*

आज सुबह से मुरहा नागेश अपने परिवार के साथ गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनके साथ क्षेत्र के ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता भी समर्थन में पहुँचे।

हड़ताल स्थल पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस बल भी मौके पर मौजूद है।

ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन जब तक जमीन वापस नहीं दिलाता, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की मांग की है, ताकि गरीब परिवार को फिर बार-बार धरने की मजबूरी न झेलनी पड़े।

*ग्रामीणों की भावनाएँ*

गाँव के बुजुर्गों ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस पूरे वर्ग की लड़ाई है जो आज भी अपने हक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है।

“कलेक्ट्रेट से लेकर गांधी मैदान तक का यह संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि गरीबों की आवाज़ अब भी सुनी नहीं जा रही,” ग्रामीणों ने कहा।

*मुख्य बिंदु*

14 जुलाई को कलेक्ट्रेट में पहली भूख हड़ताल
प्रशासन ने जमीन दिलाने का दिया था आश्वासन

चार महीने बीतने के बाद भी नहीं हुआ कोई समाधान

अब गांधी मैदान में परिवार सहित फिर भूख हड़ताल पर बैठे मुरहा नागेश

ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल न्याय की मांग की

    चार माह पहले कलेक्ट्रेट क़े सामने धरने बैठे थे,प्रशासनिक उदासीनता क़े चलते फिर

    गरियाबंद-:अमलीपदर के ग्रामीण मुरहा नागेश एक बार फिर अपने परिवार सहित गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। प्रशासन से बार-बार गुहार लगाने और आश्वासन मिलने के बावजूद उनकी पुश्तैनी जमीन का हक आज तक वापस नहीं मिला है।

    अब न्याय की आस में थक चुके मुरहा नागेश ने कहा है कि “जब तक जमीन हमें वापस नहीं मिलती, तब तक हम मैदान नहीं छोड़ेंगे।”

    चार माह पहले कलेक्ट्रेट में भी दी थी चेतावनी

    याद दिला दें कि 14 जुलाई 2025 को मुरहा नागेश और उनके परिजन गरियाबंद कलेक्ट्रेट के सामने दिनभर भूख हड़ताल पर बैठे थे।
    उस समय स्थानीय प्रशासन ने मौके पर पहुँचकर आंदोलन समाप्त कराने की कोशिश की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी जमीन की समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा, तथा उनकी पुश्तैनी जमीन उन्हें वापस दिलाई जाएगी।

    प्रशासन के वादे पर भरोसा करते हुए मुरहा नागेश्वर ने उस दिन अपनी हड़ताल समाप्त कर दी थी। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी उनकी जमीन का मामला जस का तस बना हुआ है।

    *प्रशासनिक उदासीनता से बढ़ी नाराजगी*

    मुरहा नागेश ने बताया कि उन्होंने अब तक कई बार तहसील और राजस्व विभाग के अधिकारियों को आवेदन दिया, पर हर बार सिर्फ़ “जल्द समाधान होगा” का जवाब मिला।

    उनका कहना है कि “हम गरीब लोग हैं, हमारे पास लड़ाई लड़ने के साधन नहीं, लेकिन जब तक अपनी जमीन वापस नहीं मिलती, तब तक मैदान में बैठे रहेंगे।”

    ग्रामीणों का कहना है कि मुरहा परिवार की जमीन को लेकर वर्षों से विवाद चला आ रहा है। प्रशासन ने समस्या सुलझाने का भरोसा तो दिया, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

    *गांधी मैदान बना संघर्ष का केंद्र*

    आज सुबह से मुरहा नागेश अपने परिवार के साथ गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनके साथ क्षेत्र के ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता भी समर्थन में पहुँचे।

    हड़ताल स्थल पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस बल भी मौके पर मौजूद है।

    ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन जब तक जमीन वापस नहीं दिलाता, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

    स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की मांग की है, ताकि गरीब परिवार को फिर बार-बार धरने की मजबूरी न झेलनी पड़े।

    *ग्रामीणों की भावनाएँ*

    गाँव के बुजुर्गों ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस पूरे वर्ग की लड़ाई है जो आज भी अपने हक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है।

    “कलेक्ट्रेट से लेकर गांधी मैदान तक का यह संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि गरीबों की आवाज़ अब भी सुनी नहीं जा रही,” ग्रामीणों ने कहा।

    *मुख्य बिंदु*

    14 जुलाई को कलेक्ट्रेट में पहली भूख हड़ताल
    प्रशासन ने जमीन दिलाने का दिया था आश्वासन

    चार महीने बीतने के बाद भी नहीं हुआ कोई समाधान

    अब गांधी मैदान में परिवार सहित फिर भूख हड़ताल पर बैठे मुरहा नागेश

    ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल न्याय की मांग की

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