
सागर। वंदे भारत लाईव टीवी न्यूज रिपोर्टर सुशील द्विवेदी,8225072664- भूख महान है!
भूख बड़ी अजीब चीज़ है साहब। यह कभी छुट्टी पर नहीं जाती, न हड़ताल करती है। बाकी सब कुछ इंतज़ार कर सकता है – मेट्रो, शादी, बोनस, यहाँ तक कि शादी की सालगिरह की बधाई भी – लेकिन भूख नहीं!
भूख जब लगती है तो बड़ी ईमानदार होती है। अमीर को पिज़्ज़ा का सपना दिखाती है और गरीब को सूखी रोटी का। फर्क इतना कि अमीर कहते हैं “आज कुछ लाइट खा लेते हैं”, और गरीब कहते हैं “आज कुछ खा लेते तो अच्छा होता।”ऑफिस वाले लोग भी भूख से बड़ा रिश्ता रखते हैं। बॉस की डांट से भूख मर जाती है और तनख्वाह आने से भूख दुगनी हो जाती है। लंच ब्रेक में तो भूख, दोस्ती का सबसे सच्चा टेंडर पास करती है—जो डिब्बा खोलता है, वही सबसे प्यारा सहकर्मी बन जाता है।
राजनीति में भी भूख का खूब जलवा है। नेताओं की भूख पेट से कम और कुर्सी से ज़्यादा जुड़ी है। जनता भूखी रहे तो भी कोई बात नहीं, बस भाषण में “गरीबी हटाओ” का नारा गरमागरम परोसा जाए। भूख का असली कमाल यह है कि यह हमें इंसान बनाए रखती है। सोचिए, अगर भूख न होती तो न पराठे बनते, न पकोड़े तले जाते और न ही माँ के हाथों के खाने की इज़्ज़त होती।
तो प्यारे पाठकों, जब अगली बार पेट से आवाज़ आए तो उसे इग्नोर मत कीजिए। भूख सिर्फ याद दिला रही होती है—ज़िंदगी बाकी है, खिचड़ी पक रही है! आस्था मिश्रा