
नईदिल्ली , मनरेगा को लेकर एक बार फिर देश में भ्रम फैलाने की कोशिशें की जा रही हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि ‘विकसित भारत: जी राम जी योजना’ मनरेगा को कमजोर नहीं बल्कि उससे आगे बढ़ाने वाली योजना है। यह कानून मजदूरों, गरीबों और गांवों के सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है।
इस योजना के अंतर्गत मजदूरों को अब 100 नहीं बल्कि 125 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी दी गई है। यदि किसी कारणवश कार्य उपलब्ध नहीं हो पाता है, तो बेरोजगारी भत्ते के प्रावधान को और अधिक सशक्त किया गया है। साथ ही मजदूरी भुगतान में देरी होने पर अतिरिक्त राशि देने का स्पष्ट प्रावधान भी कानून में शामिल किया गया है।
सरकार द्वारा इस योजना के लिए ₹1,51,282 करोड़ से अधिक की विशाल धनराशि प्रस्तावित की गई है, ताकि रोजगार सृजन में धन की कोई कमी न रहे और उसी राशि से गांवों का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके। इसके तहत जल संरक्षण, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, आजीविका आधारित गतिविधियां तथा प्राकृतिक आपदाओं से बचाव से जुड़े कार्य प्राथमिकता से किए जाएंगे।
कृषि कार्य के मौसम में छोटे और सीमांत किसान भाई-बहनों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिससे खेती और रोजगार के बीच संतुलन बना रहे।
इस योजना में एक और महत्वपूर्ण सुधार करते हुए प्रशासनिक व्यय को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 9 प्रतिशत किया गया है। प्रस्तावित राशि का 9 प्रतिशत लगभग ₹13,000 करोड़ होता है, जिससे पंचायत सचिव, रोजगार सहायक एवं तकनीकी स्टाफ को समय पर और पर्याप्त वेतन मिलेगा, ताकि वे पूरी क्षमता से विकास कार्यों को धरातल पर उतार सकें।
यह कानून गरीबों के अधिकारों की रक्षा, गांवों को आत्मनिर्भर बनाने और विकसित भारत के निर्माण के लिए विकसित गांव के संकल्प को पूरा करने की दिशा में मजबूत आधार प्रदान करता है।









