रात के सन्नाटे में इंसानियत की मिसाल—गुप्त ‘अमूख बंधु’ ने घायल न्यायालय कर्मचारी को बचाया, गंभीर हालत में रायपुर रेफर* *“मदद करना फर्ज था, नाम बताने का लालच नहीं।”*
आभास शर्मा बलौदा बाजार (जिला प्रमुख) *रात के सन्नाटे में इंसानियत की मिसाल—गुप्त ‘अमूख बंधु’ ने घायल न्यायालय कर्मचारी को बचाया, गंभीर हालत में रायपुर रेफर* *“मदद करना फर्ज था, नाम बताने का लालच नहीं।”* बलौदाबाजार। मानवता आज भी जिंदा है—यह साबित कर दिखाया एक गुप्त अमूख बंधु ने, जिन्होंने रात के अंधेरे में सड़क पर तड़प रहे एक घायल को देखकर बिना समय गँवाए उसकी जान बचाने का साहसिक कदम उठाया। निवास भाटागाँव आवासीय कॉलोनी में रहते है घटना नवीन शाला के सामने गार्डन चौक के पास देर रात घटित हुई, जहाँ 52 वर्षीय सहदेव भोई, जो स्थानीय न्यायालय में कर्मचारी के रूप में सेवा दे रहे हैं, एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गए। *भीड़ खड़ी रही… पर मदद को आगे आया सिर्फ एक इंसान* प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दुर्घटना के बाद सहदेव भोई सड़क के किनारे गंभीर रूप से घायल अवस्था में पड़े थे। दर्द से कराहते हुए उन्होंने कई मिनट तक सहायता की आस लगाए रखी, लेकिन घटनास्थल पर मौजूद कई लोग बस खड़े होकर देखने में व्यस्त रहे। किसी ने पुलिस को फोन करने की कोशिश नहीं की, न ही घायल को अस्पताल पहुँचाने की हिम्मत दिखाई।इसी बीच, भीड़ में से एक अमूख बंधु आगे आए। उन्होंने न सिर्फ स्थिति को समझा, बल्कि बिना किसी हिचकिचाहट के घायल सहदेव भोई को ई रिक्शा (ऑटो)वाहन में उठाकर सीधे जिला अस्पताल बलौदाबाजार पहुंचाया। उनकी यह त्वरित कार्रवाई ही सहदेव की जिंदगी के लिए निर्णायक साबित हुई। *जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने शुरू किया इलाज, बढ़ती गंभीरता पर रायपुर रेफर* जिला अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार, सहदेव भोई को सिर, कंधे और शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटें आई थीं। दुर्घटना के कारण भारी रक्तस्राव भी हुआ था। डॉक्टरों ने तत्काल उपचार शुरू किया, किन्तु उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई। स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञ चिकित्सकों ने उन्हें अति-गंभीर बताते हुए रायपुर जहाँ संदर्भित किया गया हो में भेजने का निर्णय लिया। अस्पताल कर्मियों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “यदि अमूख बंधु कुछ मिनट भी देर करते, तो स्थिति और भयावह हो सकती थी।” *कौन हैं ये अमूख बंधु?—स्थानीय लोग जानना चाह रहे, पर वे रहना चाहते हैं गुप्त* घटना के बाद ग्रामीणों में इस बात की चर्चा शुरू हो गई कि इतना बड़ा कदम उठाने वाला यह व्यक्ति कौन है? लेकिन अमूख बंधु ने खुद आगे आकर पहचान बताने से इनकार किया है। उनका कहना है कि “मदद करना मेरा फर्ज था, नाम बताने का लालच नहीं।” उनकी यह विनम्रता और संवेदनशीलता लोगों को और भी प्रभावित कर रही है। *भाटा गांव में दुख और चिंता का माहौल* सहदेव भोई, जो वर्षों से न्यायालय में ईमानदारी से सेवा दे रहे हैं, उनके दुर्घटना में घायल होने की खबर से भाटा गांव आवासीय कॉलोनी सहित पूरे क्षेत्र में दुख एवं चिंता का माहौल है। उनके परिजन और सहकर्मी लगातार अस्पताल से संपर्क बनाए हुए हैं। *भीड़ का मौन बनाम इंसान का साहस — समाज पर बड़ा सवाल* इस घटना ने एक बार फिर उस कटु वास्तविकता को उजागर किया है जहाँ दुर्घटना के बाद लोग वीडियो बनाने या तमाशा देखने में लग जाते हैं, लेकिन सहायता के लिए आगे नहीं आते। पर वहीं एक अनजान व्यक्ति का साहस और मानवता समाज के लिए प्रेरणा बन गया है।
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