
सिद्धार्थनगर। शहर से लेकर गांव तक बिना पंजीकरण और सुविधाओं के धड़ल्ले से कोचिंग सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। छात्रों को अधिक अंक दिलाने, इंजीनियर और डाॅक्टर बनाने का सपना दिखाकर कोचिंग सेंटर में बुलाया जा रहा है। विभाग के आंकड़ों में केवल 65 कोचिंग सेंटर ही पंजीकृत हैं। वहां भी मानक के अनुसार व्यवस्था नहीं है। यहां अग्निशमन यंत्र तक नहीं लगाया जा सका है। कई कोचिंग सेंटरों को अपरोक्ष रूप से सहायता प्राप्त और सरकारी विद्यालयों के शिक्षक चला रहे हैं, जबकि शासन की ओर से इस पर प्रतिबंध है।
छात्रों को परीक्षाओं में अधिक अंक दिलाने और उनके बेस मजबूत करने के नाम पर छात्रों को कोचिंग में बुलाया जा रहा है। इससे शहर से लेकर गांव तक जगह-जगह कोचिंग सेंटर खुल रहे हैं। जबकि इन सेंटरों में अन्य शिक्षकों के अलावा सरकारी तथा सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षक भी शामिल हो रहे हैं। जबकि कोचिंग सेंटर को लेकर सरकार के भी सख्त निर्देश हैं, लेकिन विभागीय खानापूर्ति होने की स्थिति है कि कई कोचिंग सेंटरों में सहायता प्राप्त या सरकारी विद्यालयों के शिक्षक पढ़ा रहे हैं या उन्हें संरक्षण दे रहें। इसी का फायदा उठाते हुए कोचिंग संचालक छात्रों को गुमराह करके संस्था चला रहे हैं। प्रबुद्ध वर्ग की मानें तो पहली कक्षा से ही ट्यूशन का ट्रेंड चल गया है। स्नातक स्तर की पढ़ाई तो अब पूरी तरह ट्यूशन पर ही निर्भर है। गांव, कस्बा, बाजार में कोचिंग संस्थानों के बड़े-बड़े बोर्ड लगे देख जा सकते हैं। जबकि कई कोचिंग सेंटरों में सुविधाएं नहीं हैं।
कोचिंग सेंटरों की जांच की जा रही है। कोचिंग सेंटर का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए कहा जा रहा है जो लोग रजिस्ट्रेशन नहीं करवा रहे हैं। उन पर कार्रवाई भी की जा रही है।
अरुण कुमार, डीआईओएस