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पारंपरिक रचनाओं को भी कौशल विकास प्रशिक्षण के साथ जोड़ें – श्रीमती छिब्बर

पारंपरिक रचनाओं को भी कौशल विकास प्रशिक्षण के साथ जोड़ें – श्रीमती छिब्बर
 

महासमुंद 13 जून 2024/ नीति आयोग की समिति (वि.अ.मु.का.) एवं राज्य स्तरीय अधिकारी आकांक्षा विकास कार्यक्रम एवं जिलों के प्रभारी सचिव श्रीमती निधि छिब्बर ने आज गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभा में जिला अधिकारियों की बैठक लेकर आकांक्षा सूचकांकों की प्रगति की समीक्षा की। मुख्य सचिव श्रीमती छिब्बर ने आकांक्षी जिले के विभिन्न सूचकांकों, स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, कौशल एवं वित्तीय समावेशन, आधारभूत संरचना सहित अन्य क्षेत्रों में किए गए कार्यों एवं गतिविधियों की समीक्षा की तथा रैंकिंग में सुधार और बेहतर प्रदर्शन के लिए कार्य किया। करते हुए कामियों को दूर करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया।
श्रीमती छिब्बर ने समीक्षा करते हुए कहा कि कार्य की प्रगति सूचकांकों के अनुरूप तीव्र गति से होनी चाहिए। इसके लिए समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य एवं पोषण के क्षेत्र में जागरूकता बहुत जरूरी है। सिकल सेल जैसी बीमारी को रोकने के बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं, इसकी पहचान करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। कुपोषित बच्चों को प्रशिक्षण केन्द्रों में तीव्र मॉनिटरिंग की जाती है, लेकिन स्कूल में प्रवेश के बाद मॉनिटरिंग धीमी पड़ती है। इसके लिए शिक्षक को भी आवश्यक प्रयास करना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए विभिन्न सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सुधार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पारंपरिक व्यवसाय जैसे कैमरों के द्वारा बांस और बसना क्षेत्र में बुनकरों द्वारा संबलपुरी साड़ी का निर्माण किया जाता है, जिसे कौशल विकास प्रशिक्षण के साथ जोड़ा जाता है तथा उत्पादों को बेचने के लिए भी विशेष प्रयास किया जाता है।
श्रीमती छिब्बर ने कहा कि आकांक्षा शील के लिए विभिन्न विचारधाराओं के लिए इंडेक्स निर्धारित किए गए हैं। उन सूचकांकों के अनुरूप लक्ष्य की उपलब्धि हासिल करना जाना है। उन्होंने संबंधित विचारों के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए विशेष रूप से प्रयास करें। साथ ही डेटा प्रविष्टि के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि प्रविष्टि सही तरीके से हो सके। उल्लेखनीय है कि पिथौरा विकासखण्ड को आकांक्षी जिले के रूप में चुना गया है। श्रीमती छिब्बर ने इंडेक्सों के सुधार के लिए जन्म के समय बच्चों के कम वजन पर ध्यान रखते हुए एनआरसी में भर्ती कराने और पोषण ट्रैकर के माध्यम से लगातार निगरानी करने की बात कही है। साथ ही महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य और मितानिनों की बैठक लेने के निर्देश दिए गए।
कलेक्टर श्री प्रभात मलिक ने जिलों में चले जा रहे योजनाओं के बारे में बताया कि 292 ग्राम पंचायतों का चयन कर टीआई मुक्त ग्राम घोषित किया गया है। यह आदर्श राज्य में सबसे अधिक है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सिकल सेल जांच अभियान में 366801 सिकल सेल परीक्षण किए गए हैं। जिसमें से 539 प्रतिशत को प्रमाण पत्र जारी किया गया है, यह भी राज्य में सबसे अधिक है। किशोरी एवं महिलाओं का लगातार अपराधीकरण किया जा रहा है। जिले में स्वयं के भवन पर 1699 केबलबाड़ी केन्द्र संचालित है। इन बाढ़बाड़ी केन्द्रों में २.७ प्रतिशत विद्युतीकरण और गर्मी से बचने के लिए पंखा और कुलर की व्यवस्था की गई है। साथ ही सभी सब्जियांबाड़ी केन्द्रों में गैस व चूल्हा से खाना बनता है। लोगों को रिपोर्ट सीधे उनके मोबाइल नंबर के माध्यम से भेजी जा रही है। प्रतिदिन 200-250 ई-लैब रिपोर्ट उचित रूप से प्रदर्शित की जा रही है। इसके अलावा, जिलों के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में ब्लड स्टोरेज की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा अन्य इंडेक्स के संदर्भ में भी चर्चा की गई।
 मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एस.आलोक ने विभागीय गतिविधियों से संबंधित प्रगति एवं लक्ष्य के संबंध में पावर पेंट प्रेजेंटेशन दिया। बैठक में वनमंडलाधिकारी श्री पंकज राजपूत, अपर कलेक्टर श्री रवि साहू, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, महिला एवं बाल विकास एवं जिले के विभिन्न मुद्दों के जिला अधिकारी उपस्थित थे।

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