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ब्रेकिंग न्यूज़: देशभर में चर्च संपत्तियों पर सबसे बड़ा खुलासा: रूड़की की अरबों की चर्च भूमि पर फर्जी सौदे का पर्दाफाश* – *CNI और फर्जी आगरा डायोसिस के खिलाफ सबूतों की बाढ़, असली मालिक Church of India (CIPBC) हुआ साबित ।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही बताया CNI को अवैध, अब NCLT में भी चल रही जांचें* – *1924 से चली आ रही Diocese of Lucknow की जमीन पर 2001 में बने फर्जी आगरा डायोसिस ने किया कब्जे का प्रयास, पूरा खेल CNI के लोगों का निकला**

🔴 **देशभर में चर्च संपत्तियों पर सबसे बड़ा खुलासा: रूड़की की अरबों की चर्च भूमि पर फर्जी सौदे का पर्दाफाश* – *CNI और फर्जी आगरा डायोसिस के खिलाफ सबूतों की बाढ़, असली मालिक Church of India (CIPBC) हुआ साबित* – *सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही बताया CNI को अवैध, अब NCLT में भी चल रही जांचें* – *1924 से चली आ रही Diocese of Lucknow की जमीन पर 2001 में बने फर्जी आगरा डायोसिस ने किया कब्जे का प्रयास, पूरा खेल CNI के लोगों का निकला**

सहारनपुर/रूड़की, 22 अक्टूबर 2025। रूड़की के शेरकोठी क्षेत्र में स्थित चर्च की अरबों रुपये मूल्य की भूमि को लेकर चल रहा विवाद अब देशभर में धार्मिक संपत्तियों के सबसे बड़े खुलासे में तब्दील हो गया है। जांच और दस्तावेजी साक्ष्यों से यह सामने आया है कि यह भूमि असल में Church of India (CIPBC) यानी Indian Church Trustees – Diocese of Lucknow की है, जबकि इस पर कब्जा और सौदे का प्रयास करने वाले Church of North India Trust Association (CNI) और उसके अधीन बनाए गए तथाकथित आगरा डायोसिस दोनों ही फर्जी पाए गए हैं। भारत सरकार के गजट नोटिफिकेशन 1948 और Indian Church Act, 1927 के अनुसार देशभर की एंग्लिकन चर्च संपत्तियों का वैध स्वामित्व Church of India (CIPBC) के पास है। इसके तहत किसी अन्य संस्था को — विशेषकर Church of North India (CNI) को — कभी भी कानूनी मान्यता नहीं दी गई। वहीं Church of India (CIPBC) की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी और यह संस्था वर्ष 1924 से Indian Church Trustees, Diocese of Lucknow के रूप में वैधानिक रूप से अस्तित्व में है। दूसरी ओर, Church of North India Trust Association (CNI) का गठन वर्ष 1970 में हुआ था, जो एक निजी संस्था है और जिसका चर्च संपत्तियों से कोई वैधानिक या धार्मिक संबंध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने भी 2005 और 2013 में अपने दो अलग-अलग आदेशों में स्पष्ट कर दिया कि Church of North India Trust Association (CNI) एक अवैध संस्था (Illegal Body) है और Indian Church Act, 1927 के अंतर्गत आने वाली संपत्तियों पर केवल Church of India (CIPBC) का अधिकार है।

 

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों के बावजूद CNI के कथित पदाधिकारियों द्वारा देशभर में फर्जीवाड़े, दस्तावेजी धोखाधड़ी और कब्जों का सिलसिला जारी है। रूड़की में भी CNI और आगरा डायोसिस से जुड़े लोगों ने इस संपत्ति पर स्वामित्व का दावा किया था, लेकिन जांच में यह खुलासा हुआ कि तथाकथित “आगरा डायोसिस” स्वयं फर्जी निकली। दस्तावेजों से साबित हुआ कि यह “आगरा डायोसिस” वर्ष 2001 में बनाई गई थी और इसे Church of North India Trust Association (CNI) के अधीन पंजीकृत किया गया था। जबकि Indian Church Act, 1927 में “आगरा डायोसिस” नामक कोई डायोसिस अस्तित्व में नहीं है। यानी यह इकाई कानूनी रूप से शून्य (Non-Existent) है। अब सवाल यह उठता है कि जब 1924 से Diocese of Lucknow (CIPBC) अस्तित्व में है, तो फिर 2001 में बने इस “आगरा डायोसिस” को किस अधिकार से यह संपत्ति बेचने या हड़पने की अनुमति मिली? सूत्रों के अनुसार, इस पूरे खेल में Church of North India Trust Association (CNI) के ही कथित अधिकारी शामिल हैं, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के सहारे भूमि की खरीद-फरोख्त की साजिश रची है।

 

हमारी पड़ताल में यह भी सामने आया है कि Church of North India Trust Association (CNI) के खिलाफ कई गंभीर मामले नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में भी चल रहे हैं, जिनमें फर्जी निदेशक मंडल गठन, संपत्ति के दुरुपयोग और धोखाधड़ी से जुड़ी शिकायतें दर्ज हैं। वहीं, देशभर में CNI से जुड़े पदाधिकारियों पर अब तक 50 से अधिक एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं — जिनमें जालसाजी, फर्जी ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन और धार्मिक संपत्तियों पर अवैध कब्जे जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। Church of India (CIPBC) से जुड़े Diocese of Lucknow ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट कहा है कि “यह भूमि ऐतिहासिक रूप से Church of India की है, इसे किसी फर्जी ट्रस्ट या संस्था के नाम पर न तो बेचा जा सकता है और न ही कब्जा किया जा सकता है।” संस्था ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यदि कोई भी व्यक्ति या समूह इस संपत्ति पर दावा करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

 

स्थानीय ईसाई समुदाय ने भी Church of India (CIPBC) के इस कदम का समर्थन किया है। उनका कहना है कि वर्षों से चल रहे भ्रम को अब दूर किया जा रहा है और असली मालिक को न्याय मिलना चाहिए। समुदाय ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर फर्जी ट्रस्ट और आगरा डायोसिस के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए। Diocese of Lucknow (CIPBC) के अधिकारियों ने प्रशासन और न्यायालय दोनों स्तरों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। उन्होंने ज्ञापन के माध्यम से यह भी मांग की है कि सरकार Church of India (CIPBC) की वैधता को अभिलेखों में दर्ज करे और Church of North India Trust Association (CNI) की फर्जी गतिविधियों की जांच सीबीआई से कराई जाए।

 

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अदालतों ने Church of India (CIPBC) के स्वामित्व को फिर से मान्यता दे दी, तो देशभर में फैली सैकड़ों एकड़ चर्च संपत्तियों, मिशन स्कूलों और अस्पतालों का पुनर्गठन हो सकता है। इससे धर्म और संपत्ति दोनों के स्तर पर नया अध्याय खुलेगा। फिलहाल इतना तय है कि ऐतिहासिक, कानूनी और न्यायिक साक्ष्यों के आधार पर Church of North India (CNI) और आगरा डायोसिस के सभी दावे फर्जी साबित हो चुके हैं। असली और वैध स्वामित्व सिर्फ और सिर्फ Church of India (CIPBC) के पास है, जो 1924 से अस्तित्व में है और भारतीय कानूनों द्वारा मान्य है।

 

रूड़की में हुई यह कार्रवाई अब एक राष्ट्रीय धार्मिक-संपत्ति घोटाले का रूप ले रही है, जिसमें कई राज्यों की जांच एजेंसियां सक्रिय हो सकती हैं। CNI और उसकी सहयोगी संस्थाओं पर लगातार बढ़ते कानूनी शिकंजे के बीच यह साफ दिख रहा है कि अब फर्जी दावों का युग समाप्त हो रहा है और सच्चाई धीरे-धीरे सतह पर आ रही है — जहां Church of India (CIPBC) को उसकी असली पहचान और हक मिल रहा है।

 

रिपोर्ट: एलिक सिंह 

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रिपोर्ट: एलिक सिंह, संपादक – Vande Bharat Live TV News / संपादक – समृद्ध भारत समाचार पत्र, सहारनपुर

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