
सीकर. सीकर वन विभाग एवं राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मंगलवार को विश्व ओज़ोन दिवस 2025 के उपलक्ष्य में स्मृति वन में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष का थीम था “विज्ञान से वैश्विक कार्रवाई”, जिसके अंतर्गत ओज़ोन परत की सुरक्षा और सामुदायिक भागीदारी से पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विविध गतिविधियाँ आयोजित की गईं।
इस अवसर पर जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने मियावाकी मॉडल पर आधारित वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ किया। इस मॉडल के अंतर्गत स्मृति वन में एक नया वन ब्लॉक विकसित करने की शुरुआत की गई, जिसमें देशज प्रजातियों के 500 पौधे लगाए गए।
कार्यक्रम में सत्यप्रकाश द्वारा मियावाकी मॉडल पर एक विशेष व्याख्यान दिया गया, जिसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार आमजन छोटे स्थानों में भी घने वनों का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने अपने प्रस्तुतीकरण में समुदाय आधारित हरित प्रयासों की महत्ता पर बल दिया।
उप वन संरक्षक गुलजारीलाल जाट ने मुख्य भाषण देते हुए ओज़ोन परत के संरक्षण के वैज्ञानिक पक्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने ओज़ोन-क्षरणकारी पदार्थों के प्रयोग में कमी लाने तथा अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने का आह्वान किया, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जा सके।
इस अवसर पर सविता, क्षेत्रीय प्रबंधक, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीकर भी उपस्थित रही और उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण तथा ओज़ोन परत संरक्षण में बोर्ड की सक्रिय भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्थानीय समुदाय एवं औद्योगिक इकाइयों से प्रदूषण नियंत्रण के प्रति सजगता बरतने का आग्रह किया।
वन विभाग एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लक्ष्मणगढ़ तहसील के बलारां एवं राहनावा ग्राम स्थित राजकीय विद्यालयों में चित्रकला प्रतियोगिता एवं जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इन गतिविधियों में छात्रों एवं ग्रामीण समुदाय ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
जिला स्तरीय कार्यक्रम में वन विभाग के कर्मचारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी, स्थानीय औद्योगिक इकाइयों के प्रतिनिधि तथा स्थानीय नागरिकों ने भाग लिया, जिससे कार्यक्रम को एक सामूहिक जन-आंदोलन का स्वरूप मिला।
कार्यक्रम का समापन सभी प्रतिभागियों द्वारा यह संकल्प लेने के साथ हुआ कि वे ओज़ोन परत की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए विज्ञान-आधारित कार्यवाहियों को अपनाएंगे और इस वर्ष की थीम “विज्ञान से वैश्विक कार्रवाई” को धरातल पर उतारेंगे।