
” देवताओं के दर्शन को जीवन में आत्मसात करें
सु श्री भावना मार्कण्डेय
बांगरदा ( खरगोन ) – एक दर्शन देवताओं के चित्र या मूर्ति का होता हैं. दूसरा दर्शन चित्र के साथ – साथ देवताओं के चरित्र का होता हैं. देवताओं के आदर्श, चरित्र एवं प्रेरणाओं को जीवन में आत्मसात करके हमारे चिंतन को उत्कृष्ट, चरित्र को पवित्र एवं आचरण को उर्धगामी बनाया जा सकता हैं. ईश्वर की दैनिक उपासना से साधनाशील एवं संयमशील व्यक्तित्व का निर्माण होता हैं |
उक्त विचार श्री रेवा गुर्जर मांगलिक भवन बांगरदा में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा वाचक सु श्री भावना मार्कण्डेय ने व्यक्त किये |उनोन्हे देवताओं के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुवे कहा कि भगवान श्रीराम मर्यादा, शिव आत्म कल्याण एवं लोक कल्याण, श्रीकृष्ण कर्म एवं प्रेम, माँ गंगा पवित्रता, माँ दुर्गा संगठन, माँ गायत्री सदबुद्धि के प्रतिक के रूप में हैं. देवताओं के तत्व दर्शन को जीवन में प्रतिष्ठित कर व्यक्तित्व निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण कि सकल्पनाओं को पुर्ण किया जा सकता हैं.
कथा के प्रारम्भ में हुकुम चंद पटेल एवं मंजुला पटेल द्वारा जोड़े से व्यासपीठ का पूजन किया गया. तत्पश्चात शुभम पटेल एवं पायल पटेल द्वारा जोड़े से कथा वाचक दीदी का मंगल तिलक करते हुवे पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया गया. संगीत टोली द्वारा भक्ति – भाव से परिपूर्ण भजन प्रस्तुत किये गए. जिन पर श्रद्धालु जमकर थिरके. इस अवसर पर कथा श्रवण के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीणजन व क्षेत्रवासी उपस्थित रहें

