
सीतापुर। 23 महीने बाद सीतापुर जेल से बाहर आए आज़म ख़ान, मीडिया की नजरों से बचते हुए रामपुर के लिए रवाना
सीतापुर। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आज़म ख़ान मंगलवार को 23 महीने की लंबी कैद के बाद आखिरकार सीतापुर जेल से रिहा हो गए। कानूनी औपचारिकताओं के कारण उनकी रिहाई में लगभग पांच घंटे की देरी हुई और सुबह 7 बजे होने वाली रिहाई प्रक्रिया दोपहर 12 बजे पूरी हो सकी।
जेल से बाहर निकलते ही मीडिया का सबसे बड़ा प्रयास था कि वे आज़म ख़ान का चेहरा कैमरों में कैद कर सकें। जेल गेट पर बड़ी संख्या में पत्रकार मौजूद थे, लेकिन पूर्व मंत्री ने मीडिया को कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उनकी चुप्पी और गंभीर स्वरूप ने पत्रकारों को हैरानी में डाल दिया। पत्रकार कई बार उनसे बातचीत करने की कोशिश करते रहे, लेकिन आज़म ख़ान शांतिपूर्वक अपनी गाड़ी में बैठकर सीधे रामपुर के लिए रवाना हो गए।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, आज़म ख़ान अपने दोनों बेटों के साथ एक ही वाहन में बैठे और बिना किसी रुकावट के रामपुर की ओर बढ़ गए। उनके इस कदम ने राजनीतिक गलियारों में कई तरह के चर्चाओं को जन्म दिया है। लंबे समय तक जेल में रहने के बाद आज़म ख़ान की चुप्पी और मीडिया से दूरी राजनीतिक दृष्टिकोण से कई संदेश दे रही है।
रामपुर पहुंचने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि आज़म ख़ान सार्वजनिक रूप से किस मंच से अपनी बात रखते हैं और किस तरह की रणनीति के साथ समाजवादी पार्टी के समर्थन में सक्रिय होते हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी रिहाई न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि पार्टी के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
गौरतलब है कि आज़म ख़ान की जेल यात्रा के दौरान उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने लगातार उनके जल्द रिहाई की मांग की। जेल से बाहर आते ही उनके समर्थकों में उत्साह की लहर दौड़ गई। हालांकि आज़म ख़ान ने कोई बयान नहीं दिया, उनकी मौजूदगी और चुप्पी ने समर्थकों को यह संदेश दिया कि अब समय रणनीति और संयम का है।
23 महीने की कैद के दौरान आज़म ख़ान के राजनीतिक प्रभाव और उनके समर्थकों की सक्रियता लगातार चर्चा में रही। उनकी रिहाई से न केवल समाजवादी पार्टी में हलचल बढ़ी है, बल्कि राजनीतिक पार्टियों और नेताओं की नजरें भी इस दिशा में टिक गई हैं। अब सवाल यह है कि रामपुर पहुंचने के बाद वह किस समय और किस माध्यम से अपनी रणनीति और संदेश साझा करते हैं।
साथ ही, जेल से बाहर निकलते ही आज़म ख़ान की सुरक्षा और उनके कार्यक्रम की जानकारी मीडिया और जनता के लिए संवेदनशील बनी हुई है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आज़म ख़ान की चुप्पी और सटीक समय पर निर्णय उनकी रणनीतिक समझ को दर्शाती है।
✍️ रिपोर्ट : एलिक सिंह
संपादक – समृद्ध भारत समाचार पत्र
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