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नई दिल्ली 12/05/2025
SAGA ग्रुप सोसाइटी के नाम पर देशभर के 16 राज्यों में 10 हजार करोड़ रुपये की ठगी करने वाले मास्टरमाइंड समीर अग्रवाल की हरकतों ने समाज को हिला कर रख दिया है। समीर अग्रवाल, जो इस समय दुबई में छिपा हुआ है, ने 7 सहकारी समितियों के जरिए लोगों को झूठे निवेश के सपने दिखाकर उनकी मेहनत की कमाई लूट ली। एमपी और यूपी पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए 50-50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है, जबकि सीबीआई ने उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है। इस घोटाले ने न केवल आर्थिक नुकसान पहुँचाया है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर कर दिया है।ठगी का जाल: कैसे बिछाया फंदाSAGA ग्रुप ने 2016 में अपनी शुरुआत की थी और जल्द ही देशभर में अपनी सहकारी समितियों का जाल फैला लिया। समीर अग्रवाल ने लोगों को उच्च रिटर्न का लालच देकर निवेश करने के लिए प्रेरित किया। इन समितियों में निवेश के नाम पर न्यूनतम 10,000 रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक की राशि जमा कराई गई। निवेशकों को बताया गया कि उनका पैसा रियल एस्टेट, शिक्षा, और अन्य बड़े प्रोजेक्ट्स में लगाया जाएगा, जिससे उन्हें 2-3 साल में दोगुना मुनाफा होगा।हालांकि, हकीकत यह थी कि यह एक पोंजी स्कीम थी, जिसमें पुराने निवेशकों को भुगतान करने के लिए नए निवेशकों के पैसे का इस्तेमाल किया जा रहा था। जब निवेशकों ने अपनी परिपक्वता राशि (मैच्योरिटी अमाउंट) माँगी, तो उन्हें टाल-मटोल कर जवाब दिया गया। कई निवेशकों ने बताया कि उन्हें धमकी भरे कॉल आए, जिसमें कहा गया कि अगर उन्होंने शिकायत की, तो उनका पैसा डूब जाएगा।समाज पर गहरा प्रभाव: टूटा भरोसाइस घोटाले का सबसे बड़ा असर सामाजिक भरोसे पर पड़ा है। दिल्ली के एक पीड़ित, 55 वर्षीय रमेश शर्मा, ने कहा, “मैंने अपनी रिटायरमेंट की जमा-पूंजी SAGA ग्रुप में लगाई थी। हमें बताया गया कि यह एक सुरक्षित निवेश है। लेकिन अब न तो पैसा मिला और न ही कोई जवाब। मैं अपने परिवार को क्या मुँह दिखाऊँ?”सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया मेहता कहती हैं, “ऐसे घोटाले न केवल आर्थिक नुकसान करते हैं, बल्कि लोगों का सहकारी समितियों और निवेश योजनाओं पर से भरोसा उठा देते हैं। खासकर छोटे शहरों और गाँवों में, जहाँ लोग अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित करने के लिए ऐसी योजनाओं पर भरोसा करते हैं, वहाँ यह घोटाला एक बड़ा झटका है।” कई परिवारों में इस घोटाले के बाद आपसी तनाव और झगड़े बढ़ गए हैं, क्योंकि लोग एक-दूसरे को निवेश के फैसले के लिए दोष दे रहे हैं।आर्थिक संकट और मानसिक तनाव SAGA ग्रुप की ठगी का शिकार ज्यादातर मध्यमवर्गीय और निम्न-आय वर्ग के लोग बने हैं। कई लोगों ने अपनी जमा-पूंजी, कर्ज, और यहाँ तक कि गहने बेचकर इस स्कीम में पैसा लगाया था। एक पीड़ित, 40 वर्षीय संजय वर्मा, ने बताया, “मैंने अपनी बेटी की शादी के लिए 5 लाख रुपये जमा किए थे। अब मेरे पास कुछ नहीं बचा। मैं रात को सो नहीं पाता, क्योंकि हर समय कर्ज चुकाने की चिंता सताती है।”मनोवैज्ञानिक डॉ. अनिल गुप्ता कहते हैं, “ऐसे घोटालों के बाद पीड़ितों में डिप्रेशन, चिंता, और आत्मविश्वास की कमी देखी जा रही है। कई लोग खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं और सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़ जाते हैं।”समीर अग्रवाल: दुबई में छिपा मास्टरमाइंड जांच में पता चला है कि समीर अग्रवाल ने ठगी के बाद देश छोड़ दिया और अब वह दुबई में रह रहा है। सूत्रों के अनुसार, उसके पास सेंट किट्स एंड नेविस और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की नागरिकता है, जिसके कारण उसकी गिरफ्तारी में कानूनी अड़चनें आ रही हैं। हाल ही में यह भी खबर आई कि समीर ने अपना ऑफिस लंदन शिफ्ट कर लिया है और वहाँ से निवेशकों को झूठे आश्वासन दे रहा है।पुलिस ने बताया कि समीर अग्रवाल ने इस घोटाले को अंजाम देने के लिए एक बड़े नेटवर्क का सहारा लिया, जिसमें फिल्मी सितारे और बड़े एजेंट शामिल थे। इन एजेंट्स को कमीशन देकर निवेशकों को लुभाया गया। ललितपुर पुलिस ने इस मामले में अभिनेता श्रेयस तलपड़े को भी आरोपी बनाया है, क्योंकि उन्होंने SAGA ग्रुप के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था।पुलिस की कार्रवाई और चुनौतियाँएमपी, यूपी, और उत्तराखंड पुलिस इस मामले की जांच में जुटी हुई है। उत्तराखंड पुलिस ने हाल ही में इस घोटाले से जुड़े 5 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने 190 करोड़ रुपये की ठगी की थी। हालांकि, समीर अग्रवाल की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है। डीसीपी (क्राइम ब्रांच) अनिल यादव ने कहा, “हम समीर अग्रवाल को पकड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। लेकिन उसकी दोहरी नागरिकता और विदेश में रहने की वजह से कानूनी प्रक्रिया में समय लग रहा है।”पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसी योजनाओं में निवेश करने से पहले उनकी विश्वसनीयता की जांच करें। साथ ही, पीड़ितों से कहा गया है कि वे अपनी शिकायतें दर्ज कराएँ, ताकि जांच में तेजी लाई जा सके।समाधान की जरूरत विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को ऐसी सहकारी समितियों पर सख्त निगरानी रखने की जरूरत है। वित्तीय सलाहकार राकेश जैन सुझाव देते हैं, “लोगों को जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाए जाने चाहिए। साथ ही, ऐसी समितियों के रजिस्ट्रेशन और ऑपरेशन के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए।”SAGA ग्रुप सोसाइटी घोटाले ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि निवेश और सहकारी समितियों के नाम पर होने वाली ठगी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। जब तक समीर अग्रवाल जैसे लोग कानून के शिकंजे में नहीं आएँगे, तब तक समाज में भरोसा बहाल करना मुश्किल होगा।
SAGA ग्रुप सोसाइटी और समीर अग्रवाल से जुड़े घोटाले के सामाजिक प्रभाव को विस्तार से दर्शाता है।











