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सहारनपुर: गणेशपुर के समीप एलिवेटेड रोड पर भीषण हादसा: बिहारीगढ़ के तीन किशोर गंभीर रूप से घायल

दिल्ली-देहरादून ग्रीन एक्सप्रेस-वे पर बुधवार का दिन एक और दर्दनाक हादसे का गवाह बना

सहारनपुर: गणेशपुर के समीप एलिवेटेड रोड पर भीषण हादसा: बिहारीगढ़ के तीन किशोर गंभीर रूप से घायल

 

सहारनपुर: दिल्ली-देहरादून ग्रीन एक्सप्रेस-वे पर बुधवार का दिन एक और दर्दनाक हादसे का गवाह बना, जब गणेशपुर के समीप एलिवेटेड रोड पर एक अनियंत्रित बाइक पर सवार तीन किशोर एक परिवहन निगम की बस की चपेट में आ गए। हादसा इतना भीषण था कि तीनों गंभीर रूप से घायल हो गए और लहूलुहान हालत में सड़क पर पड़े मिले। उन्हें तत्काल राहगीरों की मदद से पास के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।

यह घटना दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे पर लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं की श्रृंखला में एक और कड़ी है, जो इस बात का गंभीर संकेत देती है कि तेज रफ्तार और लापरवाही का जानलेवा खेल जारी है। बिहारीगढ़ कस्बे के निवासी ये तीनों किशोर इंटर कॉलेज, टांकों सुंदरपुर के छात्र बताए जा रहे हैं, जो सुबह के समय किसी काम से बाइक पर सवार होकर गणेशपुर की ओर जा रहे थे।

 

हादसे की भयावहता

 

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुबह करीब 11 बजे का समय था। एलिवेटेड रोड पर वाहनों की आवाजाही सामान्य थी। अचानक, दिल्ली की ओर से आ रही एक तेज रफ्तार बाइक, जिस पर तीन युवक सवार थे, अनियंत्रित होकर सामने से आ रही एक परिवहन निगम की बस से टकरा गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बाइक बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई और तीनों युवक हवा में उछलकर सड़क पर जा गिरे। उनके सिर और शरीर के अन्य हिस्सों से खून बह रहा था। घटना की भयावहता देख मौके पर अफरा-तफरी मच गई। बस चालक ने तुरंत बस रोक दी और राहगीरों की भीड़ जमा हो गई।

कुछ जांबाज राहगीरों ने तुरंत मानवता का परिचय देते हुए घायल युवकों की मदद के लिए आगे हाथ बढ़ाया। उन्होंने बिना किसी देरी के पुलिस और एंबुलेंस को सूचित किया और खुद इन घायलों को सड़क के किनारे सुरक्षित स्थान पर ले गए। मौके पर पहुंचे कुछ लोगों ने बताया कि बाइक की स्पीड काफी तेज थी और तीन लोगों का एक बाइक पर सवार होना भी खतरे को और बढ़ा रहा था। यह भी सामने आया कि तीनों युवकों ने हेलमेट नहीं पहना था, जिसके कारण उनके सिर में गंभीर चोटें आईं।

 

लापरवाही और तेज रफ्तार का जानलेवा कॉकटेल

 

यह घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि उस खतरनाक प्रवृत्ति का परिणाम है जो युवाओं में तेजी से बढ़ रही है। दिल्ली-देहरादून ग्रीन एक्सप्रेस-वे, जो अपनी चौड़ी और चिकनी सड़कों के लिए जाना जाता है, अब तेज रफ्तार के शौकीनों के लिए एक रेस ट्रैक बन गया है। बाइक सवार बिना किसी डर के 100-120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ते हैं, जिससे न केवल उनकी बल्कि दूसरों की जान भी जोखिम में पड़ जाती है। यह घटना इस बात की फिर से पुष्टि करती है कि तेज रफ्तार और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी का परिणाम कितना घातक हो सकता है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि पुलिस और परिवहन विभाग को इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। इस एक्सप्रेस-वे पर स्पीड गन और सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाने, और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग लगातार उठाई जा रही है।

 

नागरिकों और प्रशासन की जिम्मेदारी

 

यह घटना हमें याद दिलाती है कि सड़क सुरक्षा केवल सरकार या पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक की है। जब हम बाइक पर तीन लोगों को बैठाते हैं या बिना हेलमेट के सफर करते हैं, तो हम अपनी और अपने प्रियजनों की जिंदगी को दांव पर लगा रहे होते हैं। इस हादसे में घायल हुए तीन युवक किसी परिवार के बेटे हैं, किसी के दोस्त हैं, और उनका भविष्य इस एक लापरवाही के कारण अंधकारमय हो सकता है।

स्थानीय प्रशासन को भी इस मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। ओवर-स्पीडिंग के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने और नियमित रूप से चेकिंग करने की आवश्यकता है। साथ ही, युवाओं को भी समझना होगा कि रोमांच और लापरवाही के बीच की रेखा बहुत पतली है, और उसे पार करने का परिणाम कितना भयानक हो सकता है।

 

समाज में जागरूकता की कमी

 

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में, खासकर युवाओं के बीच, हेलमेट पहनने की आदत बहुत कम है। वे अक्सर इसे एक बोझ मानते हैं, न कि जीवन रक्षक कवच। यह मानसिकता बदलने की जरूरत है। शिक्षा संस्थानों और अभिभावकों को भी अपने बच्चों को सड़क सुरक्षा के नियमों के प्रति जागरूक करना चाहिए। इस हादसे में घायल हुए तीनों युवक छात्र हैं, और यह घटना उनके स्कूल और समाज के लिए एक सबक है।

अस्पताल में भर्ती कराए गए तीनों युवकों के परिवार को सूचित कर दिया गया है। उनके परिजनों में कोहराम मच गया है। हर कोई उनके ठीक होने की दुआ कर रहा है। यह घटना गणेशपुर के समीप हुई, लेकिन इसकी गूंज पूरे बिहारीगढ़ कस्बे में महसूस की जा रही है। हर कोई अपने बेटों के बारे में चिंतित है और इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के तरीकों पर विचार कर रहा है।

यह दुर्घटना केवल एक खबर नहीं, बल्कि एक दर्दनाक कहानी है जो हमें बताती है कि सुरक्षा के नियमों को अनदेखा करना कितना भारी पड़ सकता है। उम्मीद है कि इस घटना से सबक लेकर हम सब सड़क पर चलते समय अधिक सतर्क रहेंगे और दूसरों को भी सुरक्षित रहने के लिए प्रेरित करेंगे।

✍️ रिपोर्ट: एलिक सिंह

संपादक – समृद्ध भारत समाचार पत्र

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