मंत्र में तारण और मारण दोनों शक्ति होती है समाहित – पुरी शंकराचार्य
गुलशन साहू की रिपोर्ट
रायपुर – ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज आज पुरी अहमदाबाद एक्सप्रेस से रायपुर पहुंचे। यहां रेल्वे स्टेशन पहुंचने पर शिष्यों एवं श्रद्धालुओं ने उनका भव्य स्वागत किया। पूरा स्टेशन हम भारत भव्य बनायेंगे – हम हिन्दू राष्ट्र बनायेंगे और हिन्दू राष्ट्र भारतवर्ष की जय हो के उद्घोष से गुंजायमान हो उठा। यहां स्वागत पश्चात महाराजश्री सड़क मार्ग से श्रीसुदर्शन संस्थानम् , शंकराचार्य आश्रम रावाभांठा रायपुर के लिये प्रस्थान किये। यहां प्रथम सत्र में शिष्यों एवं श्रद्धालुओं को पुरी शंकराचार्यजी का दर्शन सुलभ हुआ , वहीं द्वितीय सत्र में महाराजश्री ने पीठ परिषद् , आदित्यवाहिनी – आनन्दवाहिनी के सांगठनिक बैठक में संगठन के पदाधिकारियों एवं सदस्यों को संगठन के उद्देश्यों के अलावा चयन , प्रशिक्षण और नियोजन तथा हिन्दू राष्ट्र निर्माण में उनके दायित्व विषय पर मार्गदर्शन प्रदान किया।सुदर्शन संस्थानम् रायपुर में सायंकालीन सत्र में आयोजित संगोष्ठी में विभिन्न जिज्ञासुओं के धर्म, राष्ट्र और ईश्वर से संबंधित शंकाओं का समाधान करते हुये पुरी शंकराचार्यजी ने ईश्वर के विभिन्न रूपों में विभिन्नता के उत्तर में कहा कि सच्चिदानन्द स्वरूप सर्वेश्वर ही सब देवों एवं शक्ति के रूप में स्वयं को विरुपित करते हैं। मंत्र में मारण और तारण दोनों की शक्ति होती है अत: मंत्र का जाप सावधानी पूर्वक शास्त्रोक्त विधि से करना चाहिये। किसी अन्य व्यक्ति के प्रति अपराध हो जाने से अपराध बोध से मुक्ति कैसे मिलती है। प्रत्येक व्यक्ति में ईश्वर रहते हैं अतः ईश्वर के समक्ष अपनी गलती के लिये क्षमा प्रार्थना करनी चाहिये। सनातन वर्णाश्रम व्यवस्था का शास्त्रीय विधि से पालन करने पर समाज की अधिकांश विकृतियों का समाधान हो सकेगा। सृष्टि की संरचना त्रुटिहीन है, आपस में परस्पर समन्वय के द्वारा ही इसके उद्देश्य प्राप्ति की ओर दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। सच्चिदानन्द स्वरूप सर्वेश्वर स्वयं जीव, जगत् और जगदीश्वर के रूप में स्वयं को अभिव्यक्त करते हैं। सुसंस्कृत सुरक्षित सम्पन्न सेवापरायण सर्वहितप्रद समाज एवं व्यक्ति की संरचना में सहभागिता सुनिश्चित करना प्रत्येक सनातनी का कर्तव्य है। छत्तीसगढ़ प्रवास के दूसरे दिन 22 अप्रैल को पूर्वान्ह साढ़े ग्यारह बजे दर्शन , दीक्षा एवं शाम छह बजे महाराजश्री के दर्शन , संगोष्ठी का कार्यक्रम आयोजित है। जबकि छत्तीसगढ़ प्रवास के तीसरे और अन्तिम दिन 23 अप्रैल को पूर्वान्ह साढ़े ग्यारह बजे मारूति प्राकट्य महोत्सव पर श्रद्धालुओं को पुरी शंकराचार्यजी के श्रीमुख से दिव्य आध्यात्मिक संदेश सुलभ होगा , वहीं शाम को छह बजे दर्शन संगोष्ठी का कार्यक्रम आयोजित है। श्रीसुदर्शन संस्थानम् में आयोजित सभी कार्यक्रमों की समाप्ति के पश्चात पुरी शंकराचार्यजी 24 अप्रैल को सुबह दस बजे श्रीसुदर्शन संस्थानम् से सड़क मार्ग से रायपुर रेल्वे स्टेशन के लिये प्रस्थान करेंगे । जहां से वे दुर्ग जम्मूतवी स्पेशल ट्रेन से लगभग पौने बारह बजे नई दिल्ली के लिये रवाना हो जायेंगे। पुरी शंकराचार्यजी द्वारा संस्थापित संगठन धर्मसंघ पीठपरिषद् आदित्यवाहिनी आनन्दवाहिनी ने सभी श्रद्धालुओं को इस त्रिदिवसीय प्रवास के अवसर पर पुरी शंकराचार्य महाभाग के दर्शन , श्रवण लाभ लेने की अपील की है। महाराजश्री के स्वागत कार्यक्रम में सीमा तिवारी , नवनीत तिवारी , टीकाराम साहू, डेविड साहू , भोला तिवारी, बजरंग गुप्ता, पद्मा चंद्राकर , टंकेश्वर चंद्रा सहित संगठन के सभी पदाधिकारी उपस्थित थे। इसकी जानकारी श्रीसुदर्शन संस्थानम् , पुरी शंकराचार्य आश्रम / मीडिया प्रभारी अरविन्द तिवारी ने दी।