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Rti अधिनियम लागू हुए 20 वर्ष हो चुके हैं मगर पुलिस विभाग ने शासन के इस गंभीर योजना का अत्यंत गंभीर मजाक बना रखा है.

सूचना का अधिकार अधिनियम से सम्बन्धित जानकारी का इनफार्मेशन बोर्ड प्रत्येक जन सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी के कार्यालय के ठीक सामने बड़े बोर्ड में औऱ बड़े अक्षरों में स्थायी रूप से लिखा हुआ लगना चाहिए जिसे कि कोई भी जन सामान्य देख सके औऱ उसके अनुसार आवेदन,अपील एवं अन्य कार्यवाही कर सके. इस इनफार्मेशन बोर्ड में जन सूचना अधिकारी का नाम व पद,प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम व पद एवं द्वितीय अपीलीय अधिकारी का नाम व पता के साथ अन्य सूचनाएँ जैसे कि आवेदन शुल्क कितना होगा,प्रथम अपीलीय शुल्क कितना होगा औऱ द्वितीय अपीलीय शुल्क कितने रुपए होगा यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित होना चाहिए.
Rti अधिनियम लागू हुए 20 वर्ष हो चुके हैं मगर पुलिस विभाग ने शासन के इस गंभीर योजना का अत्यंत गंभीर मजाक बना रखा है. थाने से लेकर csp, एडीशनल एस पी, iucaw, एसपी, डी आई जी,आई जी,डीजीपी तक किसी के भी कार्यालय में ऐसा बोर्ड नही लगाया गया है जबकि शासन का स्पष्ट सर्कुलर है कि ऐसा बोर्ड लगाया जाये औऱ ऐसा बोर्ड ना लगानेवाले औऱ कोई भी जानकारी को छुपाने वाले या छुपाने का प्रयास करनेवाले अधिकारी के विरुद्ध गंभीर अनुशासनिक कार्यवाही कि जाएगी .जब राजधानी रायपुर जिले औऱ नगर कि यह स्थिति है तो फिर राज्य के अन्य जिलों औऱ भीतरी भागों की दयनीय स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है.पुलिस विभाग मानकर चलता है कि उसके आतंक को देखते हुए किसका साहस है कि वह rti लगाएगा औऱ rti लगाने कि आवश्यकता क्या है? कोई rti का आवेदन लेकर जाये तो इन अधिकारियों के द्वारा उन्हें भगा दिया जाता है औऱ आवेदन लिया ही नही जाता है. फिर आवेदन यदि पंजीकृत डाक से भेजो तो समय सीमा में जानकारी नही दी जाती है या जानकारी दी ही नही जाती है औऱ यदि आधी अधूरी जानकारी दी भी जाती है तो उसमें यह नही बताया जाता कि यदि इस जानकारी से आवेदक संतुष्ट नही है तो वह किस अधिकारी के पास औऱ कितने दिनों के भीतर अपील कर सकता है. ऐसा जानबूझकर किया जाता है ताकि आवेदन करने वाला भटक भटक कर घर बैठ जाये.जबकि शासन के इस सम्बन्ध में सख्त आदेश युक्त सर्कुलर बार बार जारी हुए हैं!

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