छत्तीसगढ़

सामाजिक सौहार्द और पारिवारिक एकता के साथ सरायपाली में मनाया गया ‘आंवला नवमी’ पर्व

सरायपाली : कार्तिक शुक्ल पक्ष की पावन तिथि नवमी को सरायपाली अंचल में ‘आंवला नवमी’ (अक्षय नवमी) का पर्व सामाजिक सौहार्द और पारिवारिक एकता के अनूठे संगम के साथ मनाया गया। धार्मिक आस्था और परंपरा के इस पर्व पर लोगों ने मिलकर पूजा-अर्चना की और सामूहिक रूप से प्रसादी ग्रहण कर सद्भाव का संदेश दिया।

पर्व का धार्मिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और शिवजी का वास माना जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा, परिक्रमा और उसके नीचे बैठकर भोजन करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

सामूहिक पूजा और भोजन

महिलाओं ने की विशेष आराधना: अंचल की महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में एकत्रित होकर विधि-विधान से आंवला वृक्ष की पूजा की। उन्होंने कच्चा दूध, हल्दी, रोली, अक्षत और फूल अर्पित कर वृक्ष की परिक्रमा की तथा परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना की।

सामुदायिक मिलन का केंद्र: इस अवसर पर सरायपाली के विभिन्न सामाजिक संगठनों और मोहल्लों में सामूहिक भोजन का आयोजन किया गया। आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर सभी आयु वर्ग के लोगों ने एक साथ भोजन ग्रहण किया, जो पारिवारिक एकता और आपसी प्रेम का प्रतीक बना।

पीढ़ियों का संगम: बुजुर्गों ने युवा पीढ़ी को इस पर्व के महत्व से अवगत कराया, जिससे नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिला। यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान न रहकर सामाजिक मिलन और भाईचारे का बड़ा माध्यम बन गया।

सौहार्द और सद्भाव का संदेश

स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर पर कहा कि यह पर्व हमें प्रकृति के संरक्षण के साथ-साथ एकजुटता और प्रेम का भी संदेश देता है। सरायपाली के निवासियों ने इस पर्व को अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक सद्भाव को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में उपयोग किया, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है।

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