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: हेमंत सोरेन, उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे… इस एग्जिट पोल के बाद लड्डू ऑर्डर करने की जहमत कौन उठाएगा

भारत में चुनावी परिणामों से पहले एग्जिट पोल के नतीजे अक्सर ही राजनीति में हलचल मचा देते हैं। हाल ही में हुए कुछ चुनावों के बाद जिनके परिणाम का अनुमान लगाए गए थे, उन्होंने राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा पैदा की है। खासकर झारखंड, महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में एग्जिट पोल के नतीजे यह सवाल खड़ा कर रहे हैं कि आखिर चुनावी नतीजों के आधार पर किसे लड्डू खाने का मौका मिलेगा और कौन सिर झुका कर बैठ जाएगा। इस बार एग्जिट पोल के परिणामों के बाद सवाल उठ रहा है कि हेमंत सोरेन, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे में से कौन खुश होकर लड्डू खाएगा और कौन उन लड्डू को साझा करने की जहमत उठाएगा?

 

हेमंत सोरेन – झारखंड का ‘सीएम’ बने रहने की उम्मीद

 

 

 

 

 

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के साथ मिलकर राज्य में सत्ता को संभाला हुआ है। एग्जिट पोल के अनुसार, उनके नेतृत्व में राज्य में गठबंधन की सरकार बनने की उम्मीद जताई जा रही है। अगर ये पोल सही साबित होते हैं और हेमंत सोरेन की सरकार बनी रहती है, तो उनके समर्थकों के लिए यह खुशी की बात होगी। ऐसे में, हेमंत सोरेन शायद उन नेताओं में से होंगे जिन्हें लड्डू मंगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि उनकी पार्टी जीत के जश्न में डूबेगी।

 

 

 

 

 

उद्धव ठाकरे – महाराष्ट्र की सियासी उलझन

 

 

 

 

 

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (Uddhav faction) और शरद पवार की NCP के साथ गठबंधन के बाद जो सियासी समीकरण बने थे, वे हमेशा चर्चा में रहे हैं। लेकिन एकनाथ शिंदे द्वारा शिवसेना के बागी होने के बाद उद्धव ठाकरे की राजनीति में मुश्किलें बढ़ गईं। एग्जिट पोल के नतीजों के अनुसार, उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र में सरकार बनाने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है, खासकर शिंदे गुट के साथ चल रही शक्ति की कड़ी टक्कर के बाद। ऐसे में उद्धव ठाकरे शायद इस बार लड्डू मंगवाने के बजाय इस सियासी उलझन को सुलझाने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे।

 

 

 

 

 

एकनाथ शिंदे – बागी गुट की ताकत का आकलन

 

 

 

 

 

 

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे का गुट उद्धव ठाकरे की शिवसेना से अलग हो गया है, और उसके बाद से वह अपनी सत्ता को लेकर लगातार प्रयास कर रहे हैं। एग्जिट पोल के नतीजों में अगर शिंदे गुट को स्पष्ट बहुमत मिलता है तो वह सत्ता की बागडोर संभाल सकते हैं। यदि यह अनुमान सही साबित होता है, तो शिंदे को अपने समर्थकों के साथ लड्डू का आनंद लेने का मौका मिल सकता है, और उनकी पार्टी के भीतर सत्ता की जीत का उत्सव मनाया जा सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

राजनीतिक सियासत और लड्डू का प्रतीक

 

 

 

 

 

 

राजनीति में अक्सर यह कहा जाता है कि चुनावी परिणामों के बाद नेताओं को ही नहीं, उनके समर्थकों को भी लड्डू खाने का मौक़ा मिलता है। यह न केवल खुशी का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि चुनावी जीत के बाद समर्थकों और कार्यकर्ताओं के लिए एक तरह का उत्सव मनाया जाता है। परंतु इस बार यह सवाल उठ रहा है कि, हेमंत सोरेन, उद्धव ठाकरे, या एकनाथ शिंदे में से किसे अपने साथियों को लड्डू खिलाने का मौक़ा मिलेगा और कौन इस जीत के जश्न में एक कदम पीछे रह जाएगा।

 

 

 

 

 

 

अंतिम विचार

 

 

 

 

 

 

 

सच कहा जाए तो एग्जिट पोल के नतीजे अक्सर किसी खास दिशा में संकेत देते हैं, लेकिन अंतिम परिणाम कुछ और हो सकते हैं। हालांकि, इस बार एग्जिट पोल से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि झारखंड में हेमंत सोरेन को बढ़त मिल सकती है, जबकि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है। अब देखना यह होगा कि चुनावी नतीजे क्या कहते हैं और लड्डू का ऑर्डर कौन और किसके लिए करता है।

 

 

 

 

 

 

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