
भीषण गर्मी और उमस से बेहाल वाराणसी और आसपास को इंद्रदेव ने बड़ी राहत दी। लेकिन तेज आंधी के साथ हुई इस बारिश से किसानों की खेती का भी बड़ा नुकसान हुआ है। खासकर बाजरे और मकई के अलावा फूल और सब्जियों की खेती प्रभावित हुई है। हालांकि लू के थपेड़े और भीषण तपिश से बिलबिला उठे लोगों ने बारिश के साथ ही मौसम का रूख बदलने पर इंद्रदेव को धन्यवाद दिया। खासकर टिनेशड, झोपड़ियों में रहनेवाले गरीबों, बिना एसी, कूलर के जीवन यापन करने वालों को तो काफी राहत मिली है। सोमवार की रात को करीब एक घंटे से अधिक समय तक झमाझम बारिश से मौसम सुहावना हुआ। 42 से 44 डिग्री के तापमान में जी रहे लोगों की हालत यह थी कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान की खबरों पर भी उन्हें भरोसा नही हो रहा था। मौसम विभाग ने 14 जून को हल्की बारिश के संकेत दिये थे। लेकिन वाराणसी के लोगों को निराशा हाथ लगी। हालांकि 15 जून को तेज आंधी और गरज-चमक के साथ बारिश का प्रभाव पास के जौनपुर जिले और आसपास में देखा गया। सैकड़ों पेड़, बिजली के खम्भे उखड़ गये। आकाशी बिजली से पांच लोगों की जान चली गई और तीन लोग झुलस गये। मवेशियों की भी मौत हुई थी। लेकिन वाराणसी के लोगों को भी बारिश का इंतजार था। आखिरकार सोमवार की रात इंद्रदेव ने कृपा की और जमकर बादल बरसें। वाराणसी की यह पहली बारिश थी।पहली ही बारिश झमाझम होने से लोगों का मन प्रसन्न हुआ। वहीं दूसरी ओर जलनिकासी न होने से सड़कों पर जगह-जगह पानी जमा हो गये। आंधी की रफ्तार फसलें सह नही सकीं और वह खेतों में ही लोट गईं। इससे कड़ी मेहनत कर फसल उगानेवाले किसान और उनके परिवार काफी निराश हो गये। आर्थिक क्षति के साथ फसल से होनेवाली कमाई की उम्मीद भी खत्म हो गई। राजातालाब, रोहनिया और आसपास के खेतों में पानी भर गये और फसलें डूब गईं। इसके अलावा मंगलवार की दोपहर भी बारिश से गर्मी से परेशान लोगों को राहत मिली है। सड़कों पर आवागमनबढ़ने लगा है। आसमान पर बादल छाये हुए हैं। इससे कड़ी धूप से राहत मिली है। उधर, प्री मानसून के सक्रिय होने से किसानों में इस बार अच्छी बारिश की उम्मीद जगी है। धान की रोपाई की तैयारियां शुरू हो गई हैं। धान की खेती के लिए नमी की जरूरत होती है। लेकिन अत्यधिक वर्षा नुकसान भी होता है।