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शाहजहांपुर, यूपी में एक खेत की जुताई चल रही थे। खेत से 21 तलवारें, 13 बंदूक, खंजर-भाले निकले हैं। ये हमारे देश के क्रन्तिकारियों के हैं पर अभी वो भी इस पर दावा करें गे जिनके पूर्वज माफ़ीनाफा लिख कर अंग्रेज़ों के लिये मुखबिरी कर रहे थे!

शाहजहांपुर में जोताई के दौरान खेत में मिला हथियारों का जखीरा, तलवारें देख दंग रह गया किसान

खेत में मिले पुराने हथियार – फोटो।शाहजहांपुर जिले के गांव ढकिया तिवारी निवासी किसान बुधवार को अपने खेत में जोताई कर रहे थे। इसी दौरान हल अटक गया। जब उन्होंने खोदाई की तो हथियारों का जखीरा देख दंग रह गए।शाहजहांपुर के निगोही क्षेत्र के ढकिया तिवारी गांव में बुधवार को खेत की जोताई के दौरान पुरानी तलवारों, बंदूक की नालों व अन्य हथियारों का जखीरा मिला है। हथियारों में जंग लगी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि हथियार डेढ़ से दो सौ साल पुराने हो सकते हैं। पुलिस व तहसील की टीम ने मौका मुआयना कर जायजा लिया है। प्राथमिक जांच के बाद प्रशासन आगे की कार्रवाई करेगा।

ढकिया तिवारी गांव के बाबू राम के अनुसार बुधवार पूर्वाह्न करीब 11 बजे वह अपने खेत में जोताई कर रहे थे। तभी एक जगह हल किसी ठोस वस्तु में अटक कर रुक गया। देखने पर खेत में जमींदोज तलवारें नजर आईं। उन्हें निकालकर आगे जोताई शुरू की तो फिर हल अटक गया। तब फावड़े से खोदाई की तो वहां 20 तलवारें, दस सिंगल बैरल बंदूकों की नली, एक दोनाली बंदूक की नली, एक बरछी और दो तमंचे जैसे हथियार मिले। इसकी चर्चा गांव में फैलते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण खेत पर पहुंच गए।2011 में खरीदा था खेत
इस बीच प्रभारी निरीक्षक भी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए। उन्होंने उच्चाधिकारियों को मामले से अवगत कराया तो तिलहर तहसील से कुछ कर्मचारी भी वहां आ गए। खेत मालिक ने बताया कि वर्ष 2011 में उन्होंने यह खेत गांव के ही एक परिवार से खरीदा था। पहले यहां एक ऊंचे टीले जैसा था। इसी वर्ष जून में दो फुट मिट्टी निकालकर भराव में ले ली गई थी। तभी से खेत खाली था। गेहूं बोने के इरादे से बुधवार को जोताई की गई।
हथियारों की जांच करेंगे पुरातत्वविद्
निगोही में मिलीं तलवारों और बंदूकों के संदर्भ में एसएस कॉलेज के इतिहास विभाग के पुरातत्वविद् डॉ.दीपक सिंह ने बताया कि तलवारों में चांदी की मूठ लगी बताई गई है। वहीं बंदूक की सिर्फ नाल है। लकड़ी का हिस्सा दीमक खा गया होगा। इसकी जांच कर स्थिति का पता लगाया जाएगा। माना जा सकता है कि हथियार डेढ़ से दो सौ साल पुराने होंगे। भारत में बंदूकों का प्रयोग 16वीं सदी से प्रारंभ हो गया था।हड़प्पाकालीन अस्त्र-शस्त्र भी हो चुके हैं बरामद
इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. विकास खुराना ने बताया कि निगोही के कई खेड़े पुरातात्विक दृष्टि से समृद्ध हैं। इसी क्षेत्र में अभी हाल ही में हड़प्पाकालीन अस्त्र-शस्त्र भी बरामद हुए हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से भी तलवारें व बंदूकें साथ में मिली हैं। बृहस्पतिवार को डीएम से मिलकर कुछ तलवारों को विभागीय अध्ययन के लिए प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा। इनका संबंध 1857 की आजादी की लड़ाई से भी हो सकता है।

एसडीएम तिलहर जीत सिंह राय ने बताया कि ढकिया तिवारी में खेत से शस्त्र मिलने की बात संज्ञान में आने पर क्षेत्रीय कानूनगो और लेखपाल को मौके पर भेजा गया था। कानूनगो की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।मौ दीन पत्रकार ब्यूरो चीफ भोजपुर जिला मुरादाबाद

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