
अजीत मिश्रा (खोजी)
।।टोल वसूलना ” बना सरकार का परम धर्म ।।
*टैक्स से बड़ा होता टोल टैक्स !*
केन्द्रीय मंत्री के एलान से ऐसा लग रहा है कि भारत सरकार और राज्यों की सरकारों का मुख्य काम टोल वसूलना है। टोल वसूलना परम धर्म है। तभी हर दिन टोल वसूलने के नए नए तरीके निकाले जा रहे हैं।
एक नए तरीके की घोषणा केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने की है। उन्होंने कहा है कि सरकार तीन हजार रुपए का सालाना पास जारी करने जा रही है, जिससे दो सौ बार टोल नाका पार किया जा सकता है। उनका कहना है कि इससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। उनका खर्च कम होगा और टोल नाके पर लगने वाला समय भी कम होगा, लोगों को लाइन में नहीं लगना होगा।
सवाल है कि क्या यही कह कर फास्टैग नहीं शुरू हुआ था ? कहा गया था कि फास्टैग से लोगों को सुविधा होगी। हालांकि अब भी टोल नाकों पर लंबी लंबी लाइन लगी रहती है। अब इसी नाम पर सालाना पास बेचा जा रहा है। पहले लोगों को फास्टैग के लिए मजबूर किया गया। अगर आपके पास फास्टैग नहीं है और आप टोल नाके पर पहुंच गए तो उनको दोगुना पैसा देना होगा। सौ फीसदी जुर्माना लगा कर फास्टैग के लिए मजबूर किया गया और अब सालाना पास का आइडिया आया है। हालांकि इससे कोई ज्यादा राहत लोगों को नहीं मिलने वाली है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक मुर्गी को सरकार कितनी बार हलाल करना चाहती है ? सरकार के टैक्स की वजह से गाड़ियों के दाम बढ़े हैं। अगर आप 10 लाख रुपए की एक गाड़ी खरीदते हैं तो सरकार उसमें करीब तीन लाख रुपया सरकार का टैक्स होता है। इसके बाद रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स के नाम पर आपसे पैसा लिया जाता है। उसके बाद पेट्रोल और डीजल पर 40 फीसदी से ज्यादा टैक्स सरकार लेती है। उसके ऊपर से प्रति लीटर रोड इंफ्रास्ट्रक्चर का सेस लेती है और तब टोल टैक्स लेती है। मजेदार बात यह है कि इतना टैक्स लेने के बाद सरकार कहती है कि आपके आयकर के पैसे से सरकार सड़कें बनवाती है।
बेचारी जनता !!!