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निर्जला व्रत प्रारंभ,गुड़-चावल की खीर का लगा भोग, डूबते सूर्यदेव को आज देंगे अर्घ्य

आज सात नवंबर को व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। सूर्य उपासना के इस महापर्व की अद्वितीय विशेषता है कि यह संपूर्ण भक्ति और संकल्प के साथ मनाया जाता है। यह पर्व न केवल पारिवारिक समृद्धि के लिए होता है, बल्कि जीवन की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी मनाया जाता है और इसमें स्त्री और पुरुष समान रूप से भाग लेते हैं।

वन्दे भारत कोरबा:- छठ महापर्व के दूसरे दिन बुधवार को भक्तों ने खरना के अवसर पर पूरे दिन निर्जल रहकर उपवास रखा और शाम को छठी मैया के लिए खास प्रसाद तैयार किया। व्रतियों ने चावल, दूध और गुड़ का खीर बना कर मां छठी को अर्पण किया। इसके बाद व्रतियों ने प्रसाद को एकांत में ग्रहण किया और फिर परिवारजनों व संबंधियों में बांटा। इस विधि के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का कठोर उपवास भी प्रारंभ हो गया है।

रातभर ठेकुआ और अन्य पारंपरिक प्रसाद बनाने की तैयारी होती रही।
अज्ञेय नगर निवासी रोशन सिंह बताते हैं कि, छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाय के अनुष्ठान से हुई। जिसमें व्रतियों द्वारा सात्विक भोजन किया गया। द्वितीय दिवस आज खरना के साथ विशेष प्रसादी बनाया गया। इसके साथ व्रतियों का 36 घंटे का कठिन तप भी शुरू हो गया। सात नवंबर को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा।
छठ पूजा के प्रसाद और फल को एक बांस की टोकरी, जिसे दउरा कहा जाता है। देवकारी में रखकर पूजा का प्रारंभ होता है। सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल और अन्य पूजन सामग्री रखी जाती है। जिसे घर का कोई एक सदस्य अपने सिर पर रखकर श्रद्धा से छठ घाट की ओर ले जाते हैं।

महिलाएं गाएंगी पारंपरिक छठ गीत

तट पर निकलने से पहले पवित्रता बनाए रखने के उद्देश्य से दउरा को सिर पर उठा कर ले जाया जाता है। महिलाएं इस यात्रा में पारंपरिक छठ गीत गाती हैं। बिलासपुर के तोरवा छट घाट में यह नजारा देखने लायक होता है। इसके अलावा अब मरीमाई मंदिर स्थित तालाब और कोनी के आसपास अरपा तट पर व्रती पहुंचते हैं।
तट पर व्रतियां अपने घर के किसी सदस्य द्वारा बनाए गए चबूतरे पर बैठती हैं। वहीं मिट्टी से बने छठ माता के चौरे पर पूजा का पूरा सामान सजाकर दीप जलाए जाते हैं। सूर्यास्त से ठीक पहले सूर्यदेव को अर्घ्य देने का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत होता है, जिसमें भक्त घुटने भर पानी में खड़े होकर पांच बार परिक्रमा करते हैं और संध्या अर्घ्य समर्पित करते हैं।

आज व कल वाहनों का प्रवेश ऐसे

पर्व के दौरान तोरवा छठ घाट क्षेत्र में भारी वाहनों का प्रवेश सात नवंबर की दोपहर दो बजे से लेकर आठ नवंबर की सुबह 11 बजे तक पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।

जनसुविधा के लिए निम्नलिखित डायवर्सन किए गए हैं।

यातायात पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि, वे परिवर्तित मार्ग का पालन करें, ताकि किसी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके।
  • महमंद मोड़ भारी वाहन डायवर्सनः महमंद मोड़ से शहर में प्रवेश करने वाले सभी भारी वाहनों को सिरगिट्टी की ओर डायवर्ट किया जाएगा।
  • चिल्हाटी तिराहा भारी वाहन डायवर्सनः चिल्हाटी तिराहा से शहर में प्रवेश करने वाले भारी वाहनों को सेंदरी-मोपका बाईपास से आगे भेजा जाएगा। हल्के वाहन, जैसे दुपहिया और कार, मोपका-सरकंडा-लिंगियाडीह-दयालबंद-तोरवा मार्ग से आवागमन कर सकेंगे।
  • छठ घाट तिराहा डायवर्सनः इस तिराहे से छठ घाट की ओर सभी प्रकार के वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा, कार आदि वाहनों को आरके नगर लिंगियाडीह रोड से डायवर्ट किया जाएगा।
  • धान मंडी मोड़ (तोरवा पेट्रोल पंप) डायवर्सनः यहां से छठ घाट की ओर सभी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। कार आदि वाहनों को गुरुनानक चौक, दयालबंद होते हुए डायवर्ट किया जाएगा।

बाजारों में छठ पूजा की रौनक

बुधवार को बिलासपुर के बाजारों में छठ पूजा की तैयारी का उत्साह देखते ही बन रहा था। पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए लोग दोपहर से ही बाजारों का रुख कर रहे थे। बुधवारी, शनिचरी, तोरवा, बृहस्पति, गोल बाजार, देवकीनंदन चौक, मंगला और सरकंडा के फुटपाथ पर सजी दुकानों पर सूप, दउरा, अदरक, मूली, ईख, नारियल, नारंगी, और केला जैसी सामग्री की भारी मांग रही। सूप और दउरे की मांग विशेष रूप से रही।

फलों और वस्त्रों की जमकर खरीदारी

छठ पूजा के लिए फलों की जबरदस्त मांग देखने को मिली। नारियल के अलावा, नींबू, सेब, केला, संतरा, अमरूद, नाशपाती और अनानास जैसे फल विशेष रूप से छठ के बाजार की रौनक बढ़ा रहे थे। बाजार में सेब की भी भरपूर आवक थी। सेब एवं केले की मांग सबसे अधिक रही। पूजा के लिए गमछा और अन्य वस्त्रों की खरीदारी भी जोरों पर रही। साड़ियों की दुकानों पर दिनभर ग्राहकों की भीड़ देखी गई।

कल देंगे उगते सूर्य को अर्घ्य

छठ महापर्व के अंतिम दिन आठ नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। इस दौरान व्रती पवित्र जल में कमर तक खड़े होकर सूर्य देव की पूजा करती हैं। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए एक लोटे में जल, कच्चे दूध की कुछ बूंदे, लाल चंदन, फूल, अक्षत और कुश डाल लेंगे। इसके बाद सूर्य देव को धीरे-धीरे जल प्रवाहित कर अर्घ्य देंगे। इसके साथ सूर्य मंत्रों का जाप करते हुए दउरा और सूप में रखे सामग्री से पूजा करेंगी।
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