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महाराष्ट्र राजनीति: महाविकास अघाड़ी (MVA) बनाम महायुति (NDA)

महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय एक बार फिर महाविकास अघाड़ी (MVA) और महायुति (NDA) के बीच तगड़ी भिड़ंत देखने को मिल रही है। दोनों ही गठबंधन अपनी-अपनी स्थिति को मजबूती देने के लिए सियासी दांव-पेच खेल रहे हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं इन दोनों प्रमुख गठबंधनों के बीच की ताज़ा स्थिति और राजनीतिक मुकाबले की बारीकियों के बारे में:

महाविकास अघाड़ी (MVA):

महाविकास अघाड़ी, जिसे MVA के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख गठबंधन है जो 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद बना था। इस गठबंधन में तीन प्रमुख पार्टियाँ शामिल हैं:

  1. शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) – एक प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी जो महाराष्ट्र में वर्षों से सत्ता में रही है।
  2. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) – शरद पवार के नेतृत्व में एक बड़ी क्षेत्रीय पार्टी, जो महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  3. कांग्रेस – राष्ट्रीय पार्टी जो महाराष्ट्र में एक पुराना राजनीतिक आधार रखती है और राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

हालांकि, यह गठबंधन 2022 में टूटकर अलग-अलग हो गया, जब उद्धव ठाकरे गुट ने शिवसेना को ‘बदला’ और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना का एक नया गुट बना लिया। इसके बाद, शिवसेना-शिंदे और BJP के गठबंधन ने राज्य में सत्ता संभाली।

हालांकि, MVA का नेतृत्व शरद पवार और उद्धव ठाकरे गुट के पास है, और वे इसे पुनः मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। विशेष रूप से आगामी चुनावों में ये गठबंधन अपनी रणनीतियों को लेकर सक्रिय है। MVA का उद्देश्य महाराष्ट्र में ‘धर्मनिरपेक्ष’ राजनीति का पक्ष रखना है, और यह भाजपा के हिंदुत्व और विकास पर आधारित एजेंडे से टकरा रहा है।

महायुति (NDA):

महायुति, जिसे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) के नाम से भी जाना जाता है, बीजेपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) का गठबंधन है, जिसमें अन्य सहयोगी दल भी शामिल हैं। इस गठबंधन में बीजेपी की प्रमुख भूमिका है और इसका मुख्य फोकस ‘हिंदुत्व’ और विकास के मुद्दों पर है।

एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना का बीजेपी के साथ गठबंधन महाराष्ट्र में सत्ता में है। यह गठबंधन खासकर महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ पार्टी है और भाजपा लगातार अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए रणनीतिक कदम उठा रही है। बीजेपी शिंदे गुट को समर्थन देती है, जबकि शिवसेना का एक बड़ा हिस्सा MVA के साथ खड़ा है, जिससे राज्य की राजनीति में घमासान जारी है।

मुख्य मुद्दे और ताजगी:

  1. शिवसेना का विभाजन:
    शिवसेना में बंटवारे के बाद, उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के बीच सत्ता संघर्ष जारी है। दोनों गुटों ने एक-दूसरे को “असली शिवसेना” होने का दावा किया है। यह मुद्दा राज्य की राजनीति में प्रमुख विवाद बना हुआ है।
  2. स्थानीय चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव:
    महाराष्ट्र में अगले विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ तेज़ हो रही हैं। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव भी महत्वपूर्ण होंगे, और दोनों गठबंधन इस समय अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए चुनावी रणनीतियाँ बना रहे हैं।
  3. महात्मा गांधी, छत्रपति शिवाजी और हिंदुत्व:
    बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के लिए धार्मिक राजनीति और हिंदुत्व प्रमुख मुद्दा बना हुआ है, वहीं MVA इसे धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के एजेंडे से चुनौती दे रहा है।
  4. शरद पवार की भूमिका:
    शरद पवार, जो NCP के प्रमुख हैं, महाविकास अघाड़ी के अहम नेता हैं और उनकी सियासी रणनीतियाँ राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वह भारतीय राजनीति में अपने अनुभव और रणनीतिक सोच के लिए जाने जाते हैं।
  5. विकास बनाम धर्मनिरपेक्षता:
    महायुति (NDA) की मुख्य रणनीति विकास और केंद्र सरकार की योजनाओं को राज्य में लागू करने की रही है, जबकि महाविकास अघाड़ी (MVA) की प्राथमिकता सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और राज्य के अधिकारों को बनाए रखना है।

निष्कर्ष:

महाराष्ट्र की राजनीति में महाविकास अघाड़ी (MVA) और महायुति (NDA) के बीच प्रतिस्पर्धा आने वाले दिनों में और भी तीव्र हो सकती है। दोनों गठबंधनों के पास अपने-अपने मुद्दे हैं, और उनका प्रभाव आगामी चुनावों में देखा जाएगा। शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट के बीच की संघर्षपूर्ण स्थिति ने राज्य की राजनीति को और भी जटिल बना दिया है, जिससे महाविकास अघाड़ी और महायुति के बीच भिड़ंत तय दिखती है।

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