A2Z सभी खबर सभी जिले की

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: संताल क्षेत्र में सियासी घमासान, जानें 18 सीटों का हाल

झारखंड की राजनीति में संताल क्षेत्र का एक विशेष महत्व है। यह क्षेत्र न केवल आदिवासी आबादी के लिए जाना जाता है, बल्कि यह झारखंड के विधानसभा चुनावों में भी एक निर्णायक भूमिका निभाता है। 2024 में होने वाले विधानसभा चुनावों में संताल क्षेत्र की 18 सीटों पर सियासी घमासान तेज हो गया है, जहां विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच जबरदस्त मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है।

 

संताल क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति

 

 

 

 

 

झारखंड के संताल क्षेत्र में कुल 18 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से अधिकांश आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित हैं। यह क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी (BJP), झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबले का गवाह रहा है। संताल क्षेत्र की राजनीति हमेशा से ही जातीय, सामाजिक और विकासात्मक मुद्दों से जुड़ी रही है। आदिवासी अधिकारों की रक्षा, जल, जंगल और ज़मीन पर नियंत्रण जैसे मुद्दे यहां के प्रमुख राजनीतिक सवालों में शुमार होते हैं।

 

 

 

 

 

प्रमुख राजनीतिक दलों की स्थिति

 

 

 

 

 

1. **झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)**

 

 

 

 

झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थिति संताल क्षेत्र में मजबूत मानी जाती है। पार्टी के प्रमुख नेताओं का आदिवासी समाज में गहरा प्रभाव है, और यह पार्टी इस क्षेत्र के विकास और आदिवासी अधिकारों की बात करने में अग्रणी रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार में JMM को आदिवासी वोटबैंक का महत्वपूर्ण समर्थन मिलता है। पार्टी का मुख्य मुद्दा आदिवासियों की भूमि सुरक्षा और उनके कल्याण को प्राथमिकता देना है।

 

 

 

 

 

2. **भारतीय जनता पार्टी (BJP)**

 

 

 

 

 

भारतीय जनता पार्टी भी संताल क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। BJP ने आदिवासी समुदायों में अपनी पकड़ बनाने के लिए कई योजनाओं और विकास परियोजनाओं का दावा किया है। इसके अलावा, पार्टी ने आदिवासी समुदाय के बीच अपने नेताओं को भेजकर संताल क्षेत्र में अपनी छवि को सुधारने का प्रयास किया है। हालांकि, BJP को यहां JMM और कांग्रेस के गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है।

 

 

 

 

 

 

3. **कांग्रेस पार्टी**

 

 

 

 

 

कांग्रेस भी संताल क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। पार्टी ने आदिवासी मुद्दों को अपनी प्राथमिकताओं में रखा है और इसे एक सशक्त प्रतिद्वंद्वी के रूप में प्रस्तुत किया है। कांग्रेस का मुख्य ध्यान गरीब आदिवासी परिवारों के लिए रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर है।

 

 

 

 

 

18 सीटों का हाल

 

 

 

 

 

 

संताल क्षेत्र की 18 सीटों पर विभिन्न दलों के बीच जबरदस्त टक्कर हो रही है। इन सीटों पर जातीय समीकरण, आदिवासी समुदाय के मुद्दे और स्थानीय नेताओं की पहचान अहम भूमिका निभाते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण सीटों और राजनीतिक परिस्थितियों का विश्लेषण किया गया है:

 

 

 

 

 

1. **बाघमारा (Baghmara)**

 

 

 

 

 

यह सीट कांग्रेस और BJP के बीच सीधी प्रतिस्पर्धा का गवाह रही है। पिछले चुनावों में यहां BJP ने जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार कांग्रेस अपने नेता को फिर से मैदान में उतारने की तैयारी में है। आदिवासी वोट बैंक इस चुनाव में निर्णायक साबित हो सकता है।

 

 

 

 

 

2. **सारठ (Sarath)**

 

 

 

 

 

यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा और भाजपा के बीच संघर्ष का केंद्र बन चुकी है। यहां के स्थानीय आदिवासी मुद्दों को लेकर दोनों दलों ने जोरदार प्रचार किया है। खासकर जल, जंगल और ज़मीन के अधिकारों को लेकर हेमंत सोरेन की सरकार को लाभ मिल सकता है।

 

 

 

 

 

 

3. **गढ़वा (Garhwa)**

 

 

 

 

गढ़वा क्षेत्र में भी JMM और BJP के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। JMM ने अपनी कड़ी मेहनत और आदिवासी समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाई है, जबकि BJP ने विकास कार्यों को प्रमुख मुद्दा बनाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है।

 

 

 

 

 

4. **लिट्टीपाड़ा (Littipada)**

 

 

 

 

यह सीट आदिवासी वोटरों के हिसाब से काफी अहम है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने यहां पर अपनी पकड़ मजबूत की है, लेकिन बीजेपी ने यहां पर भी आदिवासी मुद्दों को प्रमुख बनाकर अपनी चुनौती पेश की है।

 

 

 

 

 

5. **दुमका (Dumka)**

 

 

 

 

 

दुमका विधानसभा क्षेत्र, जो झारखंड के आदिवासी इलाके में आता है, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के लिए एक प्रमुख गढ़ रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का परिवार इस क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, और पार्टी यहां अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

 

 

 

 

 

राजनीतिक घमासान का कारण

 

 

 

 

 

 

संताल क्षेत्र में सियासी घमासान का मुख्य कारण इस क्षेत्र के आदिवासी समुदायों के मुद्दों पर आधारित है। पिछले कुछ वर्षों में आदिवासी समाज के बीच असंतोष बढ़ा है, खासकर जल, जंगल और ज़मीन के अधिकारों को लेकर। JMM और कांग्रेस दोनों ने इन मुद्दों को प्रमुख बनाया है, जबकि BJP ने विकास के मुद्दे को प्राथमिकता दी है। आदिवासी जमीनों की लूट, प्राकृतिक संसाधनों का शोषण और स्थानीय निवासियों को हाशिये पर डालने जैसे मुद्दों ने इस क्षेत्र में सियासी उबाल को बढ़ाया है।

 

 

 

 

 

 

सत्ताधारी गठबंधन और विपक्ष

 

 

 

 

 

हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली JMM-कांग्रेस गठबंधन सरकार आदिवासी वोटरों को साधने में सफल रही है, लेकिन BJP भी अपनी आदिवासी योजनाओं और विकास कार्यों के जरिए इस वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने राज्य में विकास, रोजगार और सरकारी योजनाओं को प्रमुख मुद्दा बना रखा है।

 

 

 

 

 

2024 चुनाव का भविष्य

 

 

 

 

 

2024 के विधानसभा चुनाव में संताल क्षेत्र में चुनावी मुकाबला निर्णायक साबित हो सकता है। राजनीतिक समीकरण और स्थानीय मुद्दे इस चुनाव को खास बनाएंगे। भाजपा के लिए यह क्षेत्र चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, जहां आदिवासी समुदाय की स्थिति प्रमुख है, जबकि JMM और कांग्रेस दोनों ने इस समुदाय के मुद्दों को भुनाने की पूरी कोशिश की है।

 

 

 

 

 

यदि भाजपा अपनी योजनाओं के प्रचार में सफल रहती है, तो वह इस क्षेत्र में सेंधमारी करने में सफल हो सकती है, लेकिन JMM और कांग्रेस की पकड़ भी मजबूत दिखाई दे रही है। संताल क्षेत्र में सत्ता परिवर्तन का मतलब पूरे राज्य की राजनीति में बदलाव ला सकता है, और यही कारण है कि 2024 में होने वाला चुनाव झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

 

 

 

 

 

Vande Bharat Live Tv News
Back to top button
error: Content is protected !!