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‘जात पात की करो विदाई, हम सब हिंदू भाई भाई’, लाखों हिंदुओं को बुलाकर पदयात्रा से पहले बागेश्वर बाबा ने दिखाई ताकत

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के प्रसिद्ध धार्मिक नेता बागेश्वर धाम सरकार के प्रमुख, पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, ने हाल ही में एक बड़ी धार्मिक पदयात्रा का आयोजन किया था, जिसमें लाखों हिंदू भक्तों ने भाग लिया। इस पदयात्रा में उन्होंने एक बार फिर से 'जात पात की करो विदाई, हम सब हिंदू भाई भाई' का नारा देकर समाज में जातिवाद और भेदभाव को समाप्त करने की बात की। यह कदम उनके द्वारा हिंदू समाज को एकजुट करने और धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया।

 

बागेश्वर बाबा का यह कदम एक तरह से हिंदू समाज के बीच एकता और भाईचारे का संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है। उनका मानना है कि हिंदू धर्म को एकजुट करने के लिए सबसे पहले जातिवाद, धार्मिक भेदभाव और सामाजिक असमानताओं को दूर करना जरूरी है। “हम सब हिंदू भाई भाई हैं” का नारा इस बात का प्रतीक है कि धर्म और संस्कृति के नाम पर समाज में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। उनका यह संदेश धार्मिक एकता को बढ़ावा देने और भारतीय समाज में सामूहिकता की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

बागेश्वर बाबा की पदयात्रा

 

 

 

 

 

 

पदयात्रा से पहले, बागेश्वर बाबा ने लाखों हिंदू श्रद्धालुओं को एकत्र किया, जिन्होंने उनकी बातों को सुना और उनके विचारों से प्रेरित हुए। इस कार्यक्रम में उनके साथ कई प्रमुख संत और धार्मिक नेता भी शामिल हुए, जिन्होंने एकजुटता और भाईचारे के संदेश को फैलाया। यह पदयात्रा सिर्फ धार्मिक भावना को जागरूक करने के लिए नहीं थी, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक पहल भी थी। बागेश्वर बाबा ने अपने अनुयायियों से अपील की कि वे समाज में जातिवाद, ऊंच-नीच और भेदभाव को समाप्त करें और एकता की भावना से कार्य करें।

 

 

 

 

 

धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर बागेश्वर बाबा का दृष्टिकोण

 

 

 

 

 

 

बागेश्वर बाबा हमेशा से ही अपने विचारों और धर्म से संबंधित मुद्दों को लेकर सक्रिय रहे हैं। वे मानते हैं कि हिंदू समाज को एकजुट करके ही देश में सच्ची सामाजिक समरसता लाई जा सकती है। उनका कहना है कि हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है जो सभी को समानता और भाईचारे का संदेश देता है। वे कई बार यह कह चुके हैं कि अगर हिंदू समाज में कोई बुराई है, तो वह जातिवाद और धार्मिक असमानताओं से संबंधित है, जिन्हें हमें खत्म करना होगा।

 

 

 

 

 

 

उनकी पदयात्रा में लाखों लोग शामिल हुए और यह आयोजन भारत के विभिन्न हिस्सों में चर्चा का विषय बना। लोग इस कार्यक्रम में बागेश्वर बाबा के विचारों से प्रभावित होकर अपने जीवन में बदलाव लाने का संकल्प लेते हुए दिखे। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा और लोग एक-दूसरे के प्रति ज्यादा सहिष्णु और सहयोगात्मक होंगे।

 

 

 

 

 

 

धर्म और राजनीति का मिश्रण

 

 

 

 

 

हालांकि बागेश्वर बाबा के इस आयोजन को बहुत से लोग एक धर्मिक पहल के रूप में देख रहे हैं, लेकिन कुछ विश्लेषक यह मानते हैं कि इसमें राजनीति भी एक प्रमुख भूमिका निभाती है। बागेश्वर बाबा की बढ़ती लोकप्रियता और उनकी बातों का प्रभाव केवल धार्मिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी गहरा होता है। कई लोग इसे 2024 के आम चुनाव से पहले हिंदू वोटों को एकजुट करने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं।

 

 

 

 

 

हालांकि बागेश्वर बाबा ने अपनी धार्मिक यात्रा को पूरी तरह से धार्मिक रूप से प्रस्तुत किया है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस प्रकार के कार्यक्रम देश में धार्मिक और राजनीतिक माहौल को प्रभावित कर सकते हैं।

 

 

 

 

 

बागेश्वर बाबा के प्रभाव

 

 

 

 

 

 

बागेश्वर बाबा की लोकप्रियता पिछले कुछ सालों में तेज़ी से बढ़ी है। उनकी धार्मिक प्रवचन और कर्मकांडों से जुड़ी बातें लाखों भक्तों को आकर्षित करती हैं। उनके अनुयायी उन्हें भगवान के रूप में पूजते हैं और उनकी बातों को धर्म की अंतिम सत्य मानते हैं। बागेश्वर बाबा की प्रसिद्धि का मुख्य कारण उनके द्वारा किए गए चमत्कारों और धार्मिक कार्यों के लिए उन्हें दिए गए सम्मान हैं।

 

 

 

 

 

 

उनकी उपदेशों में एक स्पष्ट संदेश होता है कि धर्म के नाम पर समाज में कोई भी भेदभाव नहीं होना चाहिए। इस संदेश को वे निरंतर अपने अनुयायियों में फैलाते हैं और इसी कारण से उनकी पदयात्रा और धार्मिक अभियान को व्यापक समर्थन मिलता है।

 

 

 

 

 

निष्कर्ष

 

 

 

 

 

बागेश्वर बाबा का यह कदम भारतीय समाज में एकता, भाईचारे और समानता की ओर एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उनका उद्देश्य हिंदू समाज को जातिवाद और भेदभाव से मुक्त करना है, ताकि सभी लोग समान रूप से एकजुट होकर अपने धर्म और संस्कृति का पालन करें। इस प्रकार के आयोजन न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं, जो आने वाले समय में भारतीय समाज के लिए सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

 

 

 

 

 

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