वोट नीलाम करने का वस्तु नहीं जिसे हम क्षणिक लाभ के लिए नीलाम कर देते हैं – भाई दिनेश
आरा। वोट लोकतंत्र में जनता का बहुत बड़ी ताकत है जिसके बदौलत आम आदमी अपना और समाज का भविष्य बदल देता है। वोट नीलाम करने का वस्तु नहीं है जिसे हम नीलाम कर देते है कुछ क्षणिक लाभ, लोभ, लालच, भय-द्वेष्य में।उक्त बातें राजद नेता पूर्व विधायक जगदीशपुर भाई दिनेश ने प्रेस ब्यान जारी कर कहा।उन्होंने कहा कि जगदीशपुर विधान सभा क्षेत्र के जनता के वोट का ताकत ही था जिसके बदौलत तीस वर्षों से मृत नहर को जिंदा किया पुनः आपका वोट का ताकत ही होगा कि 100 वर्षों का कच्ची नहर पक्की नहर में तब्दील होगा।चुनाव वाले दिन आप दुबक कर घर पर मत बैठना, नहीं तो वो प्रधान बन जाएगा जिसे आप नहीं चाहते। आप इन उम्मीदवारों के अंगूरी और शहद जैसे जुमलों में मत आना। किसी लालच या छलावे में मत आना क्योंकि ये लोग मंझे हुए छलिए भी होते हैं। अपने विवेक का इस्तेमाल कर ही मत देना। पूरा हिसाब-किताब लगा कर ही अपने मत का दान करना। अगर कोई भी प्रत्याशी आपको नहीं भा रहा हो तो उसे चुनने के लिए आप बाध्य नहीं हैं। किसी के इस बहकावे में भी मत आना कि आपके मत का पता चल जाएगा। ये गुप्त मतदान होता है जिसे गुप्त ही रखा जाता है और आप स्वयं भी अपने मत को गुप्त ही रखना। जन प्रतिनिधि कैसे होंगे, ये मतदाताओं के विवेक पर निर्भर करता है। यह तय करना आपका हक भी है और कर्त्तव्य भी।
उन्होंने कहा कि यदि चुनावी संघर्ष की बात की जाए तो एक एक मत की क्या ताकत होती है, उन लोगों से पूछिए जो केवल एक मत से, दस मत और 100 मत से हारे हैं। इब्राहम लिंकन ने कहा है, ‘मतपत्र गोली से ज़्यादा शक्तिशाली होता है।’ कौन भूल सकता है 17 अप्रैल 1999 का दिन जब भाजपा की 13 दिन पुरानी वाजपेयी सरकार नेशनल कॉन्फ्रैंस के सैफुदीन सोज़ के एक वोट से गिर गई थी। चुनावों के इतिहास में यह इंगित है कि विधानसभा व लोकसभा चुनावों में भी बहुत कम वोटों के अंतर से हार-जीत हुई है। यहां तक कि एक वोट के अंतर से भी फैसले हुए हैं। एक-एक मत को जोड़ने के लिए हर व्यक्ति से संपर्क साधना पड़ता है और हर घर की चौखट पर वोट मांगने जाना पड़ता है। हार-जीत का फैसला अमूमन कम मतों के अंतर से होता है। एक व्यक्ति या परिवार के इधर से उधर हो जाने से चुनावी समीकरण बदल जाता है। इन चुनावों में एक वोट से जीत या हार का फैसला कोई आश्चर्य की बात नहीं। 10-20 मतों का अंतर तो आम ही है। कई बार टाई अर्थात बराबरी की स्थिति भी हो जाती है और वोट की इस शक्ति का प्रयोग करने का मौका मतदाताओं को पांच साल बाद मिलता है। चुनावी शतरंज की इस बिसात के बीच मैदान में उतरे उम्मीदवार अपने समर्थकों के साथ मतदाताओं यानी आप लोगों की ओर रुख कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि याद रखिए अपने मत के इस्तेमाल का सुनहरा अवसर बार-बार नहीं आता। अबकी बार चुनाव प्रचार में जब कोई उम्मीदवार आपके पास आएगा तो उससे कुछ सवाल ज़रूर कीजिएगा।सवाल करने का इससे ज़्यादा बढि़या मौका आपको नहीं मिलेगा क्योंकि ये उम्मीदवार बार-बार आपके दर पर थोड़े आएंगे। ये पांच साल में बस एक बार ही अच्छी पकड़ में आते हैं। पुराने प्रतिनिधियों से पिछले पांच सालों का हिसाब-किताब ज़रूर पूछिए। उनसे पूछना कि उन कसमें-वादों का क्या हुआ जो वे पिछले चुनाव में वोट मांगते वक्त करके गए थे। उनसे पूछिए उस सड़क का क्या हुआ जिसे निकालने का वे वादा और इरादा कर गए थे। उस कच्ची सड़क का क्या हुआ जिसे वे पक्का करने वाले थे। उनसे पूछिए कि आपके गांव के रास्ते ठीक क्यों नहीं हैं। आपके स्कूल में लंबे समय से मास्टर जी क्यों नहीं है, जहां आप अपने बच्चों को ये सपना लिए शिक्षा ग्रहण करने भेजते हैं कि बेटा पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बनेगा और आपका, अपना और कुल का नाम रोशन करेगा। उनसे पूछना कि आपके गांव के अस्पताल में डॉक्टर साहब क्यों नहीं है? जब वे हाथ जोड़ कर आपके दरवाज़े पर वोट मांगने आएंगे तो हाथ जोड़ कर ये ज़रूर पूछना कि उस पीने के पानी का क्या हुआ जो वो हर घर के नलों तक पहुंचाने वाले थे। आप सवाल उन नए उम्मीदवारों से भी अब जन प्रतिनिधि बनने के लिए लालायित हैं। उनसे पूछना कि आने वाले पांच सालों में वे आपके लिए क्या कमाल करने वाले हैं। उनके पास कौन सा ब्लूप्रिंट है जिसके तहत वे आपके गांव या शहर की कायाकल्प कर देंगे। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रबुद्ध मतदाताओं! आप उनसे इन सवालों को ज़रूर पूछना। इनसे सवाल पूछने का हक तो आपका बनता ही है। ये तय करना आपका हक भी है और कर्त्तव्य भी यदि जन प्रतिनिधि कर्मठ व जुझारू होंगे, तो आपके गांव भी विकसित होंगे। गांव विकसित होंगे तो देश विकसित होगा। अतः अपने मत की शक्ति को पहचानो और इसका विवेकपूर्ण इस्तेमाल करो। आपका एक वोट आपके गांव व पंचायत की दशा बदल सकता है। अतः लोकतंत्र के इस आधारभूत कार्य में शामिल हो कर निश्चित दिन अपने पोलिंग बूथ जाकर अपने मत का प्रयोग करें। फिर याद दिलाता हूं, आपका मत गोली से अधिक शक्तिशाली है। बढि़या मौका है, इसे हाथ से न जाने देना। ये आपके मत का दान है, दान का मत नहीं। आपका एक मत आपके गांव की तस्वीर व तकदीर बदल सकता है। मत उम्मीदवारों के लिए हो सकता है आफत, पर मतदाता की है ये ताकत। अतः उसे करें मतदान, जो करे गांव, गरीब, किसान का उत्थान।