रांची: राज्य सरकार ने महिलाओं को देने वाली मंइयां सम्मान योजना का लाभ लेने वालों को लिए कड़े गाइडलाइंस जारी किए हैं। सामाजिक सुरक्षा विभाग की निदेशक ने तीन दिसंबर को सभी जिलों के उपायुक्त को पत्र भेजकर ऐसे लाभुकों को चिह्नित करने और योजना से बाहर करने का निर्देश दिया है।
पत्र के मुताबिक, जिन महिलाओं को पति किसी भी तरह के सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त संस्थान में मानदेय या निविदा पर भी काम कर रहे हैं उन्हें लाभ से वंचित कर दिया जाएगा।
अबतक इस योजना में 53 लाख 63 हजार 354 महिलाओं को लाभ की स्वीकृति मिली हुई है। जबकि 64 लाख 42 हजार 005 महिलाओं ने इसके लिए कुल आवेदन किया है। नए प्रविधान के मुताबिक ऐसे अयोग्य लोगों की पहचान इसी साल दिसंबर महीने तक करनी है और उन्हें पोर्टल से बाहर करना है।
उपायुक्तों को निर्देश दिया गया है कि ऐसे लोगों को लाभ लेने से रोकते हुए दी गई राशि वसूल करने की प्रक्रिया भी प्रारंभ की जाए। बताया गया है कि कई महिलाएं दो- दो जिलों में योजना का लाभ ले रही हैं।
*राशि की वसूली और नियमों में बदलाव का हो रहा विरोध*
मंइयां सम्मान योजना के लिए जारी किए गए नए निर्देश का भारतीय जनता पार्टी विरोध कर रही है।
प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी कह चुके हैं कि जिन महिलाओं को इसका लाभ मिल चुका है उनसे राशि वसूलने नहीं दिया जाएगा। भाजपा ने राज्य सरकार पर महिलाओं से झूठे वादे करने का भी आरोप लगाया है।
जिन 10 लाख से अधिक महिलाओं का आवेदन अभी लंबित है उन्हें भी यथाशीघ्र इस योजना से जोड़ने की बात पार्टी ने कही है। जबकि सरकार के पत्र के मुताबिक अबतक प्राप्त आवेदनों की अभी स्क्रूटनी की जाएगी
*योजना की राशि नहीं पहुंची, ग्रामीण महिलाओं में नाराजगी*
विधानसभा चुनाव से पहले हेमंत सोरेन सरकार द्वारा महिलाओं के लिए शुरू की गई “मंइयां समान योजना” को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में नाराजगी बढ़ रही है। इस योजना के तहत महिलाओं को चार माह तक 1000 रुपये दिए गए थे और दिसंबर माह से 2500 रूपये की राशि खातों में जमा करने की घोषणा की गई थी।
सरकार ने 11 दिसंबर को भुगतान का वादा भी किया था, लेकिन अब तक यह राशि महिलाओं के खातों में नहीं पहुंची है। ग्रामीण इलाकों में महिलाएं आपस में चर्चा कर रही हैं कि किसके खाते में राशि आई है।
एक महिला ने कहा, “मुझे तो नहीं मिला, तुझे मिला क्या?” कई महिलाओं ने अपने बैंक पासबुक अपडेट करवाए, लेकिन कोई पैसे की बैंक खाते में नई एंट्री नहीं मिली। महिलाएं आपस में चर्चा कर रही है कि सरकार ने केवल 2500 देने की वादा किया, लेकिन अब तक इसे पूरा नहीं किया।
महिलाओं का कहना है कि चुनाव से पहले सरकार ने यह योजना शुरू कर भरोसा दिलाया था, लेकिन दिसंबर माह के 2500 रूपये राशि न आने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। कुछ महिलाओं ने इसे सरकार की साख से जोड़ते हुए कहा कि यदि यह राशि नहीं मिली, तो हेमंत सोरेन की सरकार पर से विश्वास उठ जाएगा।
अब सवाल यह उठता है कि क्या हेमंत सोरेन सरकार महिलाओं के खातों में समय पर राशि पहुंचाकर उनकी विश्वास जीत सकती है या मामला चुनावी वादों के खोखलेपन का सबूत बनेगा। महिलाओं का कहना है कि यदि राशि जल्द खातों में नहीं पहुंची, तो उनका गुस्सा सरकार के खिलाफ बढ़ सकती है।