
जिला संवाददाता – दुष्यन्त वर्मा
रिपोर्ट –
श्रावस्ती में स्कूल से गायब रहने वाले आठ शिक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। कार्रवाई के डर से एक सहायक शिक्षक ने त्यागपत्र दे दिया है, जबकि दो ने अवैतनिक अवकाश के लिए आवेदन किया है। चार शिक्षक अभी भी लापता हैं और विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस का कोई जवाब नहीं दे रहे हैं।
श्रावस्ती में जॉइन करने के बाद स्कूल नहीं आने वाले आठ शिक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटकने लगी है। आगे का जुगाड़ न लगा तो एक सहायक शिक्षक ने त्यागपत्र दे दिया है। वहीं, दो ने अवैतनिक अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र भेज दिया है। चार शिक्षक अब भी लापता हैं। इनका कोई जवाब नहीं आया है। एक अन्य शिक्षक को बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से नोटिस भेजा गया है।
नदारद शिक्षक लगातार सैलरी उठा रहे हैं।
श्रावस्ती जिले के इकौना के गोमदापुर में तैनात रहीं सहायक शिक्षिका मोना सक्सेना 10 अक्टूबर 2018 से बिना किसी सूचना के विद्यालय से नदारद हैं। इन्हें अंतिम नोटिस मिला तो इन्होंने दिमागी टीबी होने की बात कहकर काम करने में शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को अक्षम बताते हुए अवैतनिक अवकाश के लिए प्रार्थनापत्र भेज दिया।
रिहारन पुरवा प्राथमिक विद्यालय में तैनात रहीं देवकी चौहान चार सितंबर 2022 से लापता हैं। इन्हें विभागीय नोटिस मिला तो इन्होंने भी पत्र लिखकर अवैतनिक अवकाश मांग लिया है। चार शिक्षक अभी भी लापता हैं, जिनमें से एक और लापता शिक्षक को नोटिस भेजा गया है। लापता शिक्षकों में किढ़िहौना विद्यालय से तीन मार्च 2023 से लापता सुधीर कुमार वर्मा और उच्च प्राथमिक विद्यालय मुश्काबाद में तैनात 20 सितंबर 2023 से लापता प्रधान शिक्षक जय प्रकाश ने अंतिम नोटिस पर भी कोई जवाब नहीं भेजा है।
पटपरगंज द्वितीय विद्यालय से एक मार्च 2021 से लापता सहायक शिक्षक रवि ने अंतिम नोटिस पर विभाग को त्यागपत्र भेजा है। उच्च प्राथमिक विद्यालय मध्य नगर में 18 दिसंबर 2023 से लापता सहायक शिक्षिका चांदनी पाल ने अनुपस्थिति का कारण न बताकर अवैतनिक अवकाश के लिए प्रार्थनापत्र भेजा है। वहीं, हरिहरपुररानी के गुलरा बंजारा में तैनात सहायक शिक्षिका 11 नवंबर 2023 से बिना सूचना लापता हैं। जब इसकी पोल खुली तो विभाग की ओर से इन्हें भी अंतिम नोटिस भेजा गया है।
अब देखने वाली बात यह है कि प्रदेश के सबसे पिछड़े जिले श्रावस्ती में सरकारी स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता एवं शिक्षण बेहद निम्न स्तर पर पहुंच गई है यहां पर अध्यापक उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से तो आकर अपनी नियुक्ति तो ले लेता है लेकिन सरकारी स्कूलों में वह जाने से कतराते हैं और अगर वह चले भी गए तो उन्हें अपने फोन और अपने दूसरे कार्यों में व्यस्त रहते हैं और बच्चों पर ध्यान देने की कोई आवश्यकता ही नहीं समझते हैं।
उनको ऐसा लगता है कि अब वह सरकार के दामाद बन गए हैं और उनको अपनी सेवानिवृत्ति तक उनको कोई हिला नहीं सकता है अगर ऐसी ही व्यवस्था रही तो श्रावस्ती जनपद की शिक्षा व्यवस्था बिल्कुल धराशाई हो जाएगी और यहां के बच्चे शिक्षा के अभाव में गलत कार्यों और आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त हो जाएंगे।
मेरा शासन से प्रश्न है? कि जब हमारे जनपद में योग्य शिक्षकों की कमी नहीं है तो ऐसी स्थिति में जब सरकारी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया होती है तो जिले के युवकों को ही मौका क्यों नहीं दिया जाता अगर ऐसा होता है तो जिले के शिक्षक मेहनत से अपने कर्तव्य का निर्वहन करते और बच्चों को गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा प्रदान करते जिससे कि श्रावस्ती जनपद उत्तर प्रदेश के अन्य विकसित जनपदों की कतार में आगे खड़ा दिखेगा।
Discover more from Vande Bharat Live Tv News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.