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पूर्व जन्म के कर्मो का फल इस जन्म में मिलता है

देवास। संत सिरोमणी रावतपुरा सरकार के सानिध्य में आनंद भवन पेलेस पर में चल रहे चातुर्मास अनुष्ठान के अन्तर्गत श्रीमद् भागवत कथा के अन्तर्गत कथा वाचक पंडित मोहित नागर जी ने बताया कि महापुरूषों ने कहा कि उस श्रोता को चैतन्य करना चाहिए जो नाम का जाप करता है। कभी किसी को रूलाना नहीं चाहिए जो आदमी कहता है कि हम दुखी है वह खुद अपने कर्मो से दुखी है। जब कोई बिना मां की बेटी बिदा हो रही है या कोई गरीब की बेटी का ब्याह हो रहा है तो उसकी मदद करना चाहिए। दान से मिली दुआयें आपके जीवन में बहुत काम आयेगी आपने कहा कि पूर्व जन्म के कर्मो का फल इस जन्म में प्राप्त होता है। प्रेम की परिभाषा बताते हुए पंडित जी ने कहा कि प्रेम वह नहीं होता जो थोड़ी देर दिखावा करके किया जाता है प्रेम तो अटूट है और वह प्रेम प्रभु से हो जाये तो फिर बात ही क्या है। पंडित जी ने हमरी उलझन सुलझाओं भगवन तुम्हरे बिना हमरा कोई नहीं…………….

भजन सुनाया उन्होंने कहा वर्तमान युग में हर किसी की कुछ न कुछ है इच्छा है भगवान से प्रार्थना करना कि भगवान मेरी इच्छा पूरी हो न हो लेकिन तेरी इच्छा पूरी कर लेना भगवान जो भी देते है उसको प्रसाद के रूप में स्वीकार करना चाहिये। भगवान से भक्ति मांगना चाहिए जो कभी समाप्त नहीं होती है क्योंकि जहां पर भक्ति है वहां भाव है और जहां भाव है वहां नारायण है और जहां नारायण है वहां लक्ष्मी है। धर्म पर रहने वालों की कभी हार नहीं होती है क्योंकि भगवान धर्म पर चलने वाले का कभी हारने नहीं देते है। पंडित जी ने आज कथा में नानी बाई का मायरों की कथा सुनाते हुए सब को भाव विभोर कर दिया पंडित नागर जी ने कहा कि हम सब भाग्यशाली है जो चातुर्मास व्रत अनुष्ठान चल रहा है उसे प्रत्यक्ष अनुभव कर रहे है। आज की कथा में संत सिरोमणी रावतपुरा सरकार,राजमाता गायत्रीराजे पवार महाराज विक्रमसिंह पवार तथा महाराज श्री के अनुयायी सम्मिलित हुए।

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