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गुस्से में व्यक्ति उल्टा सीधा बोलता है जिससे विवाद बढ़ता है इसलिए क्रोध का इलाज केवल मौन है – राष्ट्रीय संत स्वामी कमलदास जी बापू

साधू ने अपने झोले से एक दवा की शीशी निकालकर उसे दी और बताया कि जब भी गुस्सा आये

राजस्थान के अलवर से श्री चित्रकूट धाम उत्तर प्रदेश पधारे हुए श्री शिवमहापुराण कथा के राष्ट्रीय कथा वाचक राष्ट्रीय संत स्वामी कमलदास जी बापू ने आज दैनिक सत्संग के दौरान एक कथा सुनाई उन्होंने कहा है कि एक स्त्री थी। उसे बात बात पर गुस्सा आ जाता था। उसकी इस आदत से पूरा परिवार परेशान था। उसकी वजह से परिवार में कलह का माहौल बना रहता था। एक दिन उस महिला के दरवाजे एक साधू आया। महिला ने साधू को अपनी समस्या बताई। उसने कहा, “महाराज! मुझे बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है। मैं चाहकर भी अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं रख पाती। कोई उपाय बताइये।” साधू ने अपने झोले से एक दवा की शीशी निकालकर उसे दी और बताया कि जब भी गुस्सा आये। इसमें से चार बूंद दवा अपनी जीभ पर डाल लेना। 10 मिनट तक दवा को मुंह में ही रखना है। 10 मिनट तक मुंह नहीं खोलना है, नहीं तो दवा असर नहीं करेगी।” महिला ने साधू के बताए अनुसार दवा का प्रयोग शुरू किया। सात दिन में ही उसकी गुस्सा करने की आदत छूट गयी। सात दिन बाद वह साधू फिर उसके दरवाजे आया तो महिला उसके पैरों में गिर पड़ी। उसने कहा, “महाराज! आपकी दवा से मेरा क्रोध गायब हो गया। अब मुझे गुस्सा नहीं आता और मेरे परिवार में शांति का माहौल रहता है।” तब साधू महाराज ने उसे बताया कि वह कोई दवा नहीं थी। उस शीशी में केवल पानी भरा था।

शिक्षा: गुस्से का इलाज केवल चुप रहकर ही किया जा सकता है। क्योंकि गुस्से में व्यक्ति उल्टा सीधा बोलता है, जिससे विवाद बढ़ता है। इसलिए क्रोध का इलाज केवल मौन है।

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