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शिक्षा विभाग का कारनामा

*शिक्षा विभाग का कारनामा…..*

*ऐवजी रखने के आरोप में निलंबित हुए शिक्षक चौधरी को उसी शाला में किया बहाल!*

*डीईओ ने नियमों के विपरीत निलंबित शिक्षकों को पुनः बहाल कर उसी स्थान पर कर दी पदस्थापना*

रिपोर्ट पवन सावले

धार। जिला कलेक्टर के द्वारा स्कूलों, छात्रावासों आदि का निरीक्षण करने के आदेश दिए गए थे, इसी आदेश के तहत बदनावर विकास खंड में एसडीएम के द्वारा स्कूलों, छात्रावास का निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण के दौरान प्रा.वि. घटगारा विकास खंड शिक्षा बदनावर का भी निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण के दौरान मौके पर संस्था में किराए की शिक्षिका छात्रों को अध्यापन का कार्य करवाते हुए मिली थी। एसडीएम की उक्त निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर संस्था में पदस्थ शिक्षक कैलाश चौधरी मौके पर अनुपस्थित पाए गए थे, उनकी जगह पर किराए की शिक्षिका अध्यापन का कार्य करवाते हुए मिली थी। शिक्षा विभाग ने अपने निलंबन आदेश में स्पष्ट लिखा था कि मौके पर अनुपस्थित शिक्षक की जगह कॉलेज की छात्रा पढ़ाती मिली। चौधरी को प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता हैं। निलंबित होने के पश्चात आरोप पत्र, आधार आदि दिए जाकर जांच की गई थी। किंतु विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एवं जनचर्चा है कि शिक्षक चौधरी को निलंबन से बहाल करते हुए शासकीय नियमों के विपरीत पुनः उसी स्कूल प्रा.वि. घटगारा नया भवन में ही पदस्थ कर दिया गया है जबकि शासन के नियम है कि निलंबन से बहाल होने पर मुख्यालय बदल दिया जाता है।

*एवजी रखने का गंभीर आरोप, सजा कुछ भी नहीं!*

ऐवजी रखने जैसे गंभीर आरोप के लिए कोई भी विस्तृत जांच नहीं हुई और न ही सजा के रूप में तो कोई वेतवृद्धि आदि नहीं रोकी गई है, मात्र कुछ दिनों का वेतन काटकर विभाग ने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है! नियमानुसार वेतन वृद्धि रोकी जानी चाहिए थी और अन्य दूसरी जगह पदस्थापना होना चाहिए थी।

*ऐवजी रखने के आरोप में होना चाहिए एफ़आईआर, अन्य जिलों में कलेक्टर ने करवाई है एफ़आईआर*

आपको बता दें कि प्रदेश के सागर, दमोह जिले और नर्मदापुरम संभाग की कई संस्थाओं में शिक्षकों के द्वारा किराए पर शिक्षक रखकर अध्यापन कार्य करवाया जा रहा था। जांच के दौरान मौके पर पहुंची टीमों ने निरीक्षण किया और दोषी पाए जाने पर एफआईआर दर्ज की गई है। ठीक इसी प्रकार की घटना धार जिले के बदनावर विकास खंड में हुई है। ऐवजी रखने के आरोप में जहां विकास खंड शिक्षा अधिकारी सहित शिक्षक दोषी पाए गए हैं, उनके विरुद्ध विभाग कठोर कार्यवाही करते हुए एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही होना चाहिए किंतु शिक्षा विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों की मिलीभगत से ऐसे लापरवाह शिक्षको के विरुद्ध विभाग ने कोई कठोर कार्यवाही नहीं की है बल्कि उन्हें मामूली सजा देकर बहाल करते हुए पुनः उसी जगह पर पदस्थ कर दिया गया है। इन्हें विद्यार्थियों के भविष्य से किसी को कोई लेना देना नहीं है।

*सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत विभाग के बाबू नहीं देते जानकारी*

जब इस संबंध में इस संवाददाता ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत डीईओ कार्यालय से जानकारी लेना चाही तो विभाग के बाबू नियमों का हवाला देकर जानकारी देने में आनाकानी कर रहे है और निलंबन से बहाल होने के आदेश को भी छिपा रहे है। विभागीय अधिकारी कर्मचारियों की मिली भगत से निलंबित शिक्षकों को पुनः उसी जगह पर पदस्थ करना नियमों के विपरीत है। आरटीआई सम्बन्धित शाखा के बाबू भी कार्यालय से अधिकांशतः गायब रहता है।

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