उत्तर प्रदेशबस्ती

धरातल पर कूल 59 मजदूरों की उपस्थिति कागजो में 183 मजदूरो की लग रही हाजिरी 

अजीत मिश्रा (खोजी)

बी०डी०ओ० बनकटी की संलिप्तता से ग्राम पंचायत गंगौरी में चल रहा मनरेगा भ्रष्टाचार

-मनरेगा भ्रष्टाचार का मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में होने के बाद भी अनदेखी बना रही भ्रष्टाचारियों की चांदी

-अशरजोफत में पोखरा खुदाई कार्य में मिले मज़दूरों ने आन कैमरा बतायें अपनी संख्या- 20 वही 93 मजदूरों की लग रही हाजिरी 

-गंगौरा दक्षिण पुरवा में पोखरा खुदाई कार्य में मज़दूरों ने ऑन कैमरा बयां किया अपनी संख्या 39 वही 90 मज़दूरों की लगी हाजिरी

-धरातल पर कूल 59 मजदूरों की उपस्थिति कागजो में 183 मजदूरो की लग रही हाजिरी 

-डी0सी0 साहब (मनरेगा) मेहरबान – भ्रष्टाचार हो रहा खुलेआम

      बस्ती ।। हर हाथ को काम – काम का पूरा दाम के लोकलुभावन नारे के साथ केन्द्र सरकार भले ही गांवो मे गरीबों के रोज़गार हेतु लाख जुगत करे लेकिन जिम्मेदारों की संलिप्तता और भ्रष्टाचारियों की जुगलबंदी सरकार के मंसूबे पर पानी फेर दे रही है।

प्राप्त समाचार के अनुसार – हालिया मामला बनकटी ब्लॉक के ग्राम पंचायत गगौरी का है। जहां खुल्लमखुल्ला हो रहे भ्रष्टाचार रूपी डकैती को ऑन कैमरा मीडिया टीम ने पकड़ा है,अशरजोफत में पोखरा खुदाई कार्य में मजदूरों ने ऑन कैमरा बताया कि उनकी संख्या 20 है,जबकि 93 मजदूरों की हाजिरी लगाई गई है। इसी तरह गंगौरा दक्षिण पुरवा में पोखरा खुदाई कार्य में मजदूरों ने ऑन कैमरा बताया कि उनकी संख्या 39 है,जबकि 90 लोगों की हाजिरी लगाई गई है। धरातल पर 59 मजदूरों की उपस्थिति है, जबकि कागजों में 183 मजदूरों की हाजिरी लगाई जा रही है।मजदूरों ने ऑन कैमरा बयान दिया है, जिसमें धरातल पर उनकी संख्या कम है, लेकिन कागजों में अधिक मजदूरों की हाजिरी लगाई जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा योजना के तहत मजदूरी करने वाले मजदूरों को उनका अधिकार मिलना चाहिए, न कि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाए मनरेगा भ्रष्टाचार का एक बड़ा उदाहरण है,जिसमें बी०डी०ओ० और अन्य अधिकारी शामिल हो सकते हैं।

उच्चाधिकारियों को चाहिए कि इस मामले में जांच करें और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें। मनरेगा योजना का उद्देश्य गरीबों को रोजगार प्रदान करना है, लेकिन इस तरह के भ्रष्टाचार से योजना का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है।ऐसे में धरातल से नदारद मनरेगा मजदूरों की कागज़ों मे उपस्थिति होना एवं ब्लाक प्रशासन का अनजान रहना विकास का पोल खोलता नजर आ रहा है।सूत्रो के अनुसार मनरेगा के ज़िम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों की खुली छूट होने से जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने चहेतों का मनमानीपूर्ण हाजिरी लगाने/लगवाने में लगे हुए है। ब्लाक प्रशासन की उदासीनता से सरकार के जीरो टालरेंस की नीति को पलीता लगाया जा रहा है। केन्द्र सरकार की मनरेगा योजना को ब्लॉक के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा तार-तार किया जा रहा है। अपना जेब भरता तो भाड़ में जाए जनता की नीति को जिम्मेदार चरितार्थ कर रहे है। जनप्रतिनिधि एवं सचिव मिली जुली खिचड़ी पकाने में जुटे हैं और सरकारी धन के सफाये के लिए कटिबद्ध हो गए है। भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर प्रभावी कार्यवाही ना हो पाने से गरीब जनता का जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर से भी विश्वास उठ रहा है।मामला प्रकाश में आने के बाद भी जिले के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्यवाही करने के बजाय अपने हिस्से की मलाई काटने के मस्ती मे व्यस्त दिखाई पड़ रहे हैं।

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