
सहकारी बैंक के पूर्व एमडी आचार्य की सेवाएं समाप्त
अनेक गंभीर आरोपो में पाये गये दोषी
कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल के सख्त निर्देश का हुआ असर
खरगोन (प्रवीण यादव):- कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल ने गत 27 मार्च 2025 को सहकारिता विभाग की गबन धोखा धडी की बैठक में जिले की सहकारी समितियों में की गई आर्थिक अनियमितता के प्रकरणों की विस्तार से समीक्षा की थी। इस दौरान जिला सहकारी बैंक खरगोन के राजेन्द्र आचार्य द्वारा किये गए गबन के मामले में तुरंत जाँच करने तथा दो माह के भीतर उनकी सेवा समाप्ति का अंतिम ऑर्डर जारी करने के निर्देश बैंक प्रबंध संचालक पीएस धनवाल दिए गए थे।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए श्री धनवाल ने बताया कि राजेन्द्र आचार्य ने जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक खरगोन में प्रभारी प्रबंध संचालक के रूप पदस्थगी के दौरान गंभीर प्रशासनिक एवं गंभीर आर्थिक अनियमितताएं की गयी थी। इस कारण बैंक द्वारा आदेश कमांक / स्थापना / 2023-24/5997 दिनांक 21.12.2023 निलंबित किया जाकर बैंक के पत्र कमांक / स्थापना /2023-24/7196 दिनांक 19.02.2024 आरोप पत्र जारी किया जाकर आरोप के संबंध में जवाब समाधानकारक नही होने से बैंक के पत्र कमांक / स्थापना / 2024-25/361 दिनांक 23.04.2024 से विभागीय जाँच संस्थित विभागीय जॉच बोर्ड नियुक्त किया गया एवं तत्पश्चात 10.00 लाख से अधिक की आर्थिक अनियमितताओं के आरोपों को छोडकर शेष आरोपों की विभागीय जॉच हेतु बैंक के पत्र कमांक / स्थापना / 2025-26/372 दिनांक 17.04.2025 से विभागीय जॉच संस्थित की जाकर श्री अनिल कानुनगो प्रबंधक स्थापना को जॉच अधिकारी नियुक्त कर श्रीमति संध्या रोकडे प्रबंधक विपणन को प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नियुक्त किया गया। जॉच अधिकारी द्वारा दिनांक 30.05.2025 को जॉच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया।
जॉच प्रतिवेदन अनुसार जिला सहकारी केन्द्रीय मर्यादित, के सेवायुक्तो के (नियोजन, निबंधन तथा कार्यस्थिति) सेवानियम 2014 यथा संशोधित के नियम कमांक 47 (1) के उपनियम 7, 13, 17, 20 एवं 25 के सभी 06 (छः) गंभीर दुराचरण के आरोप प्रमाणित पाये गये है। आचार्य आरोपों के संबंध में स्टाफ उपसमिति के समक्ष व्यक्तिगत सुनवाई में दिनांक 10.06.2025 को उपस्थित हुये उनके द्वारा आरोपों के संबंध में अपना पक्ष समर्थन करने हेतु कोई साक्ष्य / तथ्य प्रस्तुत नही किये गये।
जॉच अधिकारी द्वारा इस प्रकरण में आरोपवार जॉच के दिये गये निष्कर्ष औचित्यपूर्ण है, राजेन्द्र आचार्य के संस्थित विभागीय जाँच प्रकरण पर स्टाफ उपसमिति की बैठक में विचार विमर्श कर स्टाफ उपसमिति इस निर्णय पर पहुँची कि जॉच प्रतिवेदन में 06 आरोपों का पृथक-पृथक विश्लेषण व राजेन्द्र आचार्य द्वारा व्यक्तिगत सुनवाई में आरोपों के संबंध में अपना पक्ष समर्थन करने हेतु कोई साक्ष्य / तथ्य प्रस्तुत नही करने, आचार्य के विरूद्ध विभागीय जाँच में सभी आरोप गंभीर दुराचरण के प्रमाणित पाये जाने, कर्तव्य निर्वहन में उपेक्षावान रहने, आचरण बैंक के हितो के विपरीत होने, बैंक धन व बैंक में जमा लोकधन की सुरक्षा के विपरीत होने तथा इस प्रकरण में प्रस्तुत समस्त तथ्यों पर समग्र रूप से विचार करने के उपरांत, श्री राजेन्द्र आचार्य का कृत्य दुर्लभतम होने से इनका पद पर बना रहना बैंक हित में नही होने के आधार पर जिला सहकारी केन्द्रीय मर्यादित, के सेवायुक्तो के (नियोजन, निबंधन तथा कार्यस्थिति) सेवानियम 2014 यथा संशोधित के प्रमुख कदाचरण के नियम कमांक 47 (1) के उपनियम 7, 13, 17, 20 एवं 25 के सभी 06 गंभीर दुराचरण के आरोप प्रमाणित पाये जाने से नियम कमांक 48.1.4 के अंतर्गत राजेन्द्र आचार्य प्रबंधक (योजना एवं विकास) को “सेवा समाप्त” के दण्ड से दंडित किये जाने सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाकर दिनांक 11.06.2025 उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गयी।