
राजस्थान में जनेऊ उतारने की घटना की तरह सिख बच्चों की किरपान उतारने वाले दोषियों को भी सज़ा मिलेगी।
ग्रह राज्य मंत्री ने दिया सिख जत्थेबंदियों को वचन।
श्री गंगानगर (राकेश घिंटाला)सिविल जज परीक्षा के एग्जाम में सिख परीक्षार्थियों के ककार उतारने के विरोध स्वरूप आज जयपुर में सिख जत्थेबंदियों ने जबरदस्त रोष प्रदर्शन किया। सिखों का आक्रोश इस बात पर ज्यादा था कि देश में सिखों को दो नंबर का शहरी मानकर उन्हें गुलामियत का एहसास कराया जा रहा है। इसीलिए लगातार सिखों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया जा रहा है। आज गुरुद्वारा राजा पार्क में सिख संगत इकट्ठी हुई और सामूहिक रूप से फैसला हुआ कि अगर सरकार ने सिखों की बात नहीं सुनी तो रात 9:00 बजे सिख संगत सीएम हाउस पहुंचेगी। उसके लिए सिख संगतों ने लंगर पानी का प्रबंध शुरू कर दिया, जिसे देख तुरंत ही सरकारी अमला कर हरकत मे आया और सरकार ने रात को 8:00 बजे शिष्टमंडल मंडल को सचिवालय में बुलाया। शिष्टमंडल का नेतृत्व करते हुए सिख धर्म प्रचार कमेटी राजस्थान के अध्यक्ष तेजिंदरपाल सिंह टिम्मा के नेतृत्व में 13 सदस्य कमेटी सचिवालय पहुंची। वहां गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम से बातचीत हुई। एक घंटे की बातचीत में शिष्टमंडल ने सिखों पर हो रही ज्यादतियों के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर किया। कि भाजपा सरकार में लगातार सिखों की भावनाओं को आहत किया जा रहा है। उन्हें दो नंबर का शहरी समझ वैसा ही व्यवहार किया जा रहा है। यहां तक कि देश की जेलों में बंद विदेशी कैदियों तक के लिए कानून का पालन किया जाता है पर 32-32 साल से जेलों में बंद बंदी सिक्खों के बारे में सरकार कोई फैसला नहीं ले रही व जानबूझकर सरकार इस मामले को लटका रही है। अगर देश के प्रधानमंत्री को मारने वाले दोषियों को सजा पूरी होते ही तुरंत रिहा किया जाता है तो एक जालिम मुख्यमंत्री करने वाले सिख बंदियों को उनकी सजा से दुगनी सजा काटने के बावजूद आज तक जेलों में बंद रखा है। बाल दिवस के बारे में बोलते तेजेंद्र पाल सिंह टिम्मा ने कहा कि बाल दिवस शब्द सिक्खों की धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं के अनुरूप नहीं है। यही बात श्री अकाल तख्त साहब और शिरोमणि कमेटी में सरकार से बता चुकी है कि बाल दिवस शब्द का प्रयोग न करके साहिबजादा शहादत दिवस दिन मनाया जाए। टिम्मा ने स्पष्ट कहा कि सिखों के धार्मिक फैसले लेने का सिर्फ सिख कौम का ही है। जैसे अयोध्या में सिख संगत कोई भी फैसला लेने के लिए सक्षम नहीं है किसी भी हिंदू टेंपल के बारे में उनकी मर्यादाओं परंपराओं के बारे फैसला करने का कोई अधिकार और हक़ सिख कौम का नहीं है सिख वहां पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकते हैं। पर भाजपा सरकार द्वारा लगातार सिखों के धार्मिक कार्यों में भी दखलंदाज़ी कर रही है जिससे सिख संगत में आक्रोश है। शिष्टमंडल ने स्पष्ट कहा की राजस्थान कभी लोकसभा के चुनाव तुगलकी फरमान जारी होता है कि सिख कृपाण पहन कर वोट नही डाल सकता है कभी भाजपा की स्टेज पर गुरुद्वारा को नासूर बताकर उन्हें नेस्तोनाबूद करने की बात की जाती है, कभी परीक्षा में सिख बच्चों के ककार उतारने के बहाने उन्हें रोक कर उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जाता है। इसीलिए सिखों की दूरियां बीजेपी से लगातार बढ़ रही है। क्योंकि भाजपा सिक्कों के साथ नफरत का व्यवहार करती है।। शिष्टमंडल ने कहा कि जब परीक्षा एग्जाम में डूंगरगढ़ में जब हिंदू बच्चों के जनेऊ उतरे गए थे, तब सरकार ने तुरन्त दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है तो कृपाण उतारने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो सकती। सिखों के भावनाओं का सम्मान करते हुए गृह राज्य मंत्री ने शिष्टमंडल को वचन दिया कि जिस तरह जनेऊ उतारने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। उसी तर्ज पर कृपाण उतरने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। और आरपीएससी सीबीएसई जितने भी एजुकेशन बोर्ड है सभी को निर्देश दिया जाएगा कि हर परीक्षा परिणाम से पहले ऐडमिशन लेटर में यह मेंशन किया जाएगा कि सिख बच्चे अपने धार्मिक चिन्ह पहन कर परीक्षा दे सकते हैं। बच्ची का दोबारा एग्जाम कराने के संबंध में गृह राज्य मंत्री का कि इसके लिए हाई कोर्ट ही सक्षम है सरकार अपने तौर पर वार्ता करके इस बार में वार्ता करेगी। सिख संस्थाओं ने हाई कोर्ट से भी अपील की के वह परीक्षा परिणाम को रोक जब तक इन बच्चों के विषय का फैसला नहीं होता तब तक रिजल्ट डिक्लेयर न किया जाए। एक घंटे की वार्ता के बाद सिख जत्थेबंदियों ने अपना धरना प्रोग्राम कैंसिल कर दिया और संगतों ने सामूहिक रूप से फैसला किया के 7 दिन तक हम इंतजार करेंगे, उसके बाद सिख संगत फिर गुरुद्वारा राजा पार्क में इकट्ठी होगी और इस सारे घटनाक्रम पर इसके अंजाम तक नज़रसानी रखकर अगली रूपरेखा तय करेगी।शिष्टमंडल में तेजिंदर पाल सिंह टिम्मा, बीबी हरमीत कौर गोलूवाला, शिवचरण सिंह बुगलियाँवाली, बाबा गगनदीप सिंह, संदीप सिंह किसान संघ, हरदीप सिंह संगरिया,जरनैल सिंह शिरोमणी कमेटी,अंग्रेज सिंह,अमरजीत सिंह शैरी, अमरवीर सिंह शंटी, मनमोहन सिंह, हरदीप सिंह चहल, मनिंदर सिंह साकेत, जगजीत सिंह,सिमरन सिंह,सुबेग सिंह रावला शामिल थे।
तेजिंदर पाल सिंह टिम्मा
चेयरमैन सिख धर्मप्रचार कमेटी राजस्थान