“शिमला समझौता”

हाल ही में हुए पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाएं हैं। अब पाकिस्तानी मीडिया में भी इस बात की चर्चा है की पाकिस्तान भारत के साथ हुए शिमला समझौता को रद्द कर दे , आइए जानते हैं की क्या है ये शिमला समझौता ….

शिमला समझौता हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में 28 जून से 2 जुलाई 1972 तक चली कई दौर की वार्ताओं का परिणाम था।

समय और स्थान: यह समझौता 2 जुलाई 1972 को भारत के हिमाचल प्रदेश के शिमला शहर में हुआ था।

पार्टीज़: यह समझौता भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ।

पृष्ठभूमि: 1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद, जिसमें पाकिस्तान को पराजय का सामना करना पड़ा और बांग्लादेश का जन्म हुआ, युद्ध के बाद शांति स्थापित करने हेतु यह समझौता किया गया।

मुख्य उद्देश्य:

* भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सामान्य संबंधों की बहाली करना।
* भविष्य में सभी विवादों को आपसी बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से हल करना।

शर्तें (मुख्य बिंदु):

* भारत और पाकिस्तान बल प्रयोग नहीं करेंगे।

* कश्मीर समेत सभी मुद्दों को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से हल किया जाएगा।

* लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) को दोनों देश मान्यता देंगे और इसका उल्लंघन नहीं करेंगे।

* युद्धबंदियों की रिहाई: भारत ने लगभग 90,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को मानवीय आधार पर रिहा किया।

* बांग्लादेश को मान्यता: शिमला समझौते में पाकिस्तान ने प्रत्यक्ष रूप से बांग्लादेश को मान्यता नहीं दी थी, लेकिन भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए वह इस दिशा में आगे बढ़ा।

महत्व: यह समझौता भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों को कूटनीतिक और शांतिपूर्ण तरीके से सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
आलोचना: कई लोगों का मानना है कि इस समझौते से भारत ने युद्ध में मिली रणनीतिक बढ़त को पूरी तरह से उपयोग नहीं किया।

#ShimlaAgreement

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