उत्तर प्रदेशबस्ती

बस्ती जिले में प्रशासन पुलिस की चल रही अपनी सरकार

✍️अजीत मिश्रा(खोजी)✍️ 

बस्ती में दरोगा मेहरबान, मनचले पहलवान

बस्ती, 17 मई। यूपी में आपराधिक घटनायें बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं। खास तौर से महिलाओं और बच्चियों के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म की घटनायें। इसमे ज्यादातर मामलों में पुलिस की ढ़िलाई सामने आती है। बस्ती जिले में भी ऐसी ही एक घटना सामने आई है जिसमे सरेराह युवती को जबरिया अपनी कार में खींचकर बैठाने की कोशिश, उसके साथ छेडछाड, बैड टच और मारपीट करने वाले आरोपियों को पुरानी बस्ती पुलिस ने दरियादिली दिखाते हुये थाने से ही छोड़ दिया। पुलिस ने थानों को अदालत बनाकर रखा है।

यहां न्याय न मिला तो पीड़ित सिर पटककर मर जायेगा उसे न्याय नही मिल पायेगा। पहना न्याय पुलिस करती है लेकिन यह ज्यादातर मामलों में नही देखा जा रहा है। पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र के हथियागढ़ की रहने वाली युवती दीपमाला उर्फ पूर्वी दूबे ने गांव के ही अनूप सिंह व प्रिस पाण्डेय पर सरेराह छेड़ने, अश्लील हरकत करने व विरोध करने पर मारने पीटने तथा जबरदस्ती अपनी कार में बैठाने का गंभीर आरोप लगाया है।

पुरानी बस्ती पुलिस को दिये शिकायती पत्र में पूर्वी ने ये सारी बातें लिखी है। घटना 16 मई की रात 9.00 बजे की है जब युवती अपनी मां और बहन के साथ एक वैवाहिक कार्यक्रम में जा रही थी। गनीमत रहा कोई अनहोनी होने से पहले कुछ राहगीर मौके पर आ गये और इसी बीच आरोपियों को गाड़ी छोड़कर भागना पड़ा। पूर्वी ने पुरानी बस्ती पुलिस ने सुसंगत धाराओं में मामला दर्ज कर कार्यवाही की मांग किया था।

युवती की मानें तो पुलिस ने चालाकी दिखाते हुये पूर्वी के हाथ की लिखी तहरीर बदल दी और मामले को साधारण बताते हुये एक नई तहरीर गढ़ दी। मामूली धाराओं में पुलिस चालान कर कोर्ट भेज देती है लेकिन इतने गंभीर मामले को थानाध्यक्ष ने अपने स्तर से ही निपटा दिया। सवाल ये है कि युवती के साथ इससे बड़ी कोई घटना हुई तो कौन जिम्मेदार होगा, स्थानीय थानेदार, बस्ती पुलिस या फिर वे जिन पर पुलिस ने दरियादिली दिखाई है। फिलहाल युवती ने पुलिस अधीक्षक से मामले को सज्ञान लेकर अपने जान माल की सुरक्षा और आरोपियों पर सख्त कार्यवाही की मांग किया है।

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