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नवनिर्वाचित जदयू सांसद देवेशचंद्र ठाकुर को शपथ ग्रहण करने से रोका जाए।

अमरीश की ✒️

नवनिर्वाचित जदयू सांसद देवेशचंद्र ठाकुर को शपथ ग्रहण करने से रोका जाए।

 

मैं जदयू सांसद देवेशचंद्र ठाकुर के अमर्यादित बयान की कड़ी निंदा करता हूँ, जिसमें उन्होंने कहा कि वे यादव, मुस्लिम और कुशवाहा जाति के लोगों का काम नहीं करेंगे। उनके इस बयान से सामाजिक समरसता को गहरा आघात पहुंचेगा और देश की विविधता, एकता, अखंडता और संप्रभुता को खतरा उत्पन्न हो सकता है।

 

लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदाताओं को अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देने की स्वतंत्रता है। सांसद के इस बयान की निंदा करता हूँ।

 

मैं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और चुनाव आयोग से अपील करता हूँ कि इस सांसद पर कार्रवाई करें। उनकी सदस्यता समाप्त की जानी चाहिए और उन्हें तत्काल शपथ ग्रहण से रोका जाना चाहिए।

 

विधानसभा परिषद के सदस्य और मंत्री के रूप में इनके कार्य किसी से छिपे नहीं हैं। नवनिर्वाचित सांसद काम के प्रति कितने वफादार और नैतिकवान हैं, यह उनके पिछले जनप्रतिनिधि कार्यों के सरकारी निधि से हुए कार्यों के मूल्यांकन या जांच द्वारा पता लगाया जा सकता है।

 

यह अत्यंत खेदजनक है कि माननीय सांसद अपने बयान पर अब भी कायम हैं।

 

सांसद या जनप्रतिनिधि को वोट देने वाली जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए, न कि टिकट देने वाले राजनीतिक दल के प्रति। सांसद को अपनी मर्यादाएं और कार्य संविधान व कानून के दायरे में रहकर करना चाहिए। अगर सांसद यादव, कुशवाहा और मुस्लिम का काम नहीं करेंगे तो उनका काम कैसे होगा? सांसद अपनी निधि का फंड और बीमार जनता के स्वास्थ्य खर्च की अनुशंसा शासन एवं प्रशासन से नहीं करेंगे, जिसके लिए विभिन्न वैकल्पिक उपाय हैं।

जिस जनप्रतिनिधि को अपनी मर्यादा, संवैधानिक और कानूनी ज्ञान नहीं हो, वह सांसद बनने के योग्य नहीं है। माननीय सांसद ने तो शपथ ग्रहण के पहले ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है, जिसका जनप्रतिनिधित्व कानून/प्रोटोकॉल अनुमति नहीं देता है। इसलिए इस सांसद पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

 

हमारी सरकार और प्रशासनिक तंत्र जनता का काम जाति देखकर नहीं करती है। कोई भी विकास कार्य जाति विशेष के लिए नहीं होता है। अगर सांसद के दबाव में इन तीनों जातियों के हितार्थ भेदभाव होता है, तो इसके लिए न्यायपालिका भी है।

 

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