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ईसाई देश अमेरिका के GPS का झांसा बहुत दिन चला, अब बारी है भारत के 1 मीटर सटीकता वाले NAVIC की...

ईसाई देश अमेरिका के GPS का झांसा बहुत दिन चला, अब बारी है भारत के 1 मीटर सटीकता वाले NAVIC की...

          प्रेस विज्ञप्ति 
         इसरो, बेंगलुरु 
           कर्नाटक 

ईसाई देश अमेरिका के GPS का झांसा बहुत दिन चला,
अब बारी है भारत के 1 मीटर सटीकता वाले NAVIC की…

   ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया—

हमें किसी अमेरिकी सेटेलाइट की भीख नहीं चाहिए, हमारी आँखें अब आकाश में भी खुद की हैं। खुद का सैटेलाइट और खुद का NAVIC जीपीएस!

   भारत अब आंख उठाकर देखता नहीं,

आंख में आंख डालकर जवाब देता है—वो भी अपने सिस्टम, अपने हथियार और अपने सेटेलाइट से।

भारत के इस उपलब्धि को पढ़कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा।

भारत ने जब ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, तो दुनिया को यह एहसास हुआ कि अब भारत न केवल सैन्य ताकत में आत्मनिर्भर है बल्कि तकनीकी श्रेष्ठता में भी कई देशों से आगे निकल चुका है। यह ऑपरेशन महज़ एक सैन्य जवाब नहीं था, यह एक तकनीकी क्रांति थी।

इस ऑपरेशन में भारत ने न सिर्फ अमेरिका, चीन, टर्की और पाकिस्तान के हथियारों की पोल खोली, बल्कि अमेरिका के सबसे ताकतवर GPS सिस्टम को भी मात दे दी।

भारतीय सेना ने NAVIC—यानि कि Navigation with Indian Constellation—का उपयोग कर सटीकता का नया कीर्तिमान रच दिया।

NAVIC को ISRO ने विकसित किया है, और यह भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) का हिस्सा है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसका टारगेटिंग प्रिसीजन महज़ 1 मीटर है, जो अमेरिका के GPS से 10 गुना ज्यादा सटीक है।

इसका सबूत खुद ऑपरेशन सिंदूर में दिखा, जब पठानकोट से दागी गई ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान के सुक्कूर एयरबेस पर पिन पॉइंट हमला किया—सिर्फ 1 मीटर की चूक के साथ। दूसरा हमला मरकज के 10 मीटर पर स्थित 4 गुम्बदों में से 1 पर सटीक निशाना लगाया जिसमें आतंकवादी मौजूद थे! किराना हिल के न्यूक्लियर हेड के दरवाजे पर मात्र 5 मीटर दूर से डोर बेल बजाकर भारत ने पूरे विश्व संदेश दे दिया कि भारतीय सेना कितनी सटीक निशानेबाज है।
इससे पहले तक ऐसा प्रदर्शन…

 केवल साइंस फिक्शन फिल्मों में दिखता था।

अब अगर हम अमेरिका के GPS सिस्टम की बात करें, तो उसकी सटीकता लगभग 10 से 20 मीटर मानी जाती है। यानी वही मिसाइल अगर अमेरिकी GPS पर चलती तो टारगेट से 10 मीटर दूर गिरती—जो कि ऑपरेशन की संवेदनशीलता के लिहाज से बहुत बड़ा अंतर है।

इसका एक और बड़ा संदेश यह है कि भारत अब किसी विदेशी देश के सिस्टम पर निर्भर नहीं है।

पहले अमेरिकी GPS से डाटा बंद होने की धमकियां दी जाती थीं, लेकिन अब NAVIC की वजह से भारत ने दुश्मनों के हथियार ही नहीं, उनकी निगरानी प्रणाली को भी म्यूट कर दिया। 1999 के कारगिल युद्ध के समय अमेरिका ने पाकिस्तानी आतंकवादियो की GPS लोकेशन देने से मना कर दिया था, जिस कारण सेना को पैदल ट्रैकिंग में कई दिन लग गए थे।

ऑपरेशन सिंदूर ने सिर्फ दुश्मन को तबाह नहीं किया, बल्कि विश्व को यह भी बता दिया कि भारत विज्ञान और टेक्नोलॉजी में सिर्फ उपभोक्ता नहीं, अब निर्माता बन चुका है। NAVIC अब भारत की सैटेलाइट संप्रभुता का प्रतीक बन चुका है।

आज दुनिया के कई देश भारत से NAVIC की टेक्नोलॉजी लेने की इच्छा जता रहे हैं।

दक्षिण एशिया से लेकर मध्य एशिया तक कई देशों ने संकेत दिए हैं कि वे अपने नेविगेशन सिस्टम के लिए अमेरिका को त्यागकर भारत के साथ साझेदारी करना चाहते हैं।

यह हमारी वैज्ञानिक ताकत, अंतरिक्ष शोध, रणनीतिक आत्मनिर्भरता और संप्रभुता सैन्य सोच का परिणाम है। भारत अब आंख उठाकर देखता नहीं, आंख में आंख डालकर जवाब देता है— वो भी अपने सिस्टम,
अपने हथियार और अपने सेटेलाइट से।

आज देश की सेना 90% स्वदेशी तकनीक और अत्याधुनिक स्वदेशी हथियारों से लैस है, यही असली भारत है।

 जय जवान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान 🇮🇳✈️

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