
अधिशासी अधिकारी सोहरतगढ के ऊपर लगेगा ₹२५००० का जुर्माना?
-अधिशासी अधिकारी ने नहीं दी सूचना तो आयोग ने किया तलब ,अब चलेगा आयोग का डंडा।
-नियत तिथि पर स्वयं नहीं हाज़िर हुए अधिशासी अधिकारी
-अधिशासी अधिकारी के तरफ से अधिवक्ता मनीष कुमार सिंह रहे मौजूद।
सिद्धार्थ नगर- जनपद का नगर पंचायत परिषद सोहरतगढ अपने कार्यों एवं कारनामों को लेकर हमेशा सुर्खियों में बना रहता है।
अधिशासी अधिकारी नगर सोहरतगढ कार्यालय के जिम्मेदारों द्वारा राज्य सूचना आयोग के आदेशों व निर्देशों का जमकर गला घोंटा जा रहा है जबकि राज्य सूचना आयोग को जुर्माना लगाने/ अर्थ दण्डित करने का पूरा अधिकार है।
आपको बताते चलें कि जनपद बस्ती के निवासी वरिष्ठ समाज सेवी व आर टी आई कार्यकर्ता सुद्ष्ट नरायन त्रिपाठी ने महीनों पूर्व जन सूचना अधिकार अधिनियम २००५ के धारा ६ (१) के अन्तर्गत निर्धारित शुल्क जमा करते हुए सूचना मांगा था,परन्तु समय- सीमा बीत जाने के बाद भी आवेदनकर्ता सुदृष्ट नरायन त्रिपाठी को चाही गयी बांक्षित सूचना उपलब्ध नहीं कराई गयी तो वह धारा १९(१) के अन्तर्गत प्रथम अपीलीय अधिकारी को अपील किया फिर भी सूचना नहीं दिया गया बल्कि उक्त सूचना के लिए बार -बार दौडा़कर उनका आर्थिक और मानसिक शोंषण किया गया जिससे क्षुब्ध होकर उन्होंने राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया और राज्य सूचना आयोग ने अधिशासी अधिकारी नपा सोहरतगढ को नोटिस जारी करते हुए आयोग में तलब कर शीघ्र सूचना उपलब्ध कराने हेतु आदेशित एवं निर्देशित किया।
फिर भी आवेदक को सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर माननीय राज्य सूचना आयोग के आयुक्त श्रीमान मोहम्द नदीम द्वारा कडा़ रूख अख्तियार करते हुए एस0 -३-१७४९/ए/२०२३ द्वारा दिनांक २१/०४/२५ को समस्त प्रपत्रों व स्पष्टीकरण के साथ ई0 वो0 सोहरतगढ व्यक्तिगत रूप से तलब किया है ।और उनके द्वारा बिलंब के कारणों का स्पष्टीकरण न देने पर लग सकता है २५०००रू०का जुर्माना।
दरअसल राज्य सूचना आयोग द्वारा जिस अधिकारी/ जन सूचना अधिकारी के ऊपर जुर्माना लगाया जाता है तो जुर्माने की धनराशि की कटौती सम्बंधित के बेतन से ही किये जाने का प्राविधान है।
इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी के लिए अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत सोहरतगढ अजय प्रताप को फोन करने उनका फोन नाट रिचेबुल बताया।
अधिशासी अधिकारी सोहरतगढ के राज्य सूचना आयोग में तलब होने पर इस समय जनपद में जमकर खलबली मची हुई है।
माननीय आयोग द्वारा जो जुर्माना लगाया जाता है जुर्माने की अधिकतम सीमा २५००० रूपये है और इसकी कटौती सम्बंधित के बेतन से करने का प्राविधान है ।