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शेयर बाजार लगातार चौथे दिन गिरावट जारी , सेंसेक्स 424 अंक फिसला, मिडकैप और स्मॉलकैप का बुरा हाल

शेयर बाजार सप्ताह के आखिरी दिन भी गिरावट के साथ बंद हुए। ग्लोबल मार्केट से मिले-जुले संकेतों के बीच शेयर बाजार में आज कमजोर शुरुआत हुई थी। 30 शेयरों वाला बीएसई 424.90 अंक टूटकर 75,311.06 पर बंद हुआ। वही निफ्टी-50 117.25 टूटकर 22,795.90 बंद हुआ।

भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार के कारोबारी सत्र में लाल निशान में बंद हुआ. बाजार में चौतरफा बिकवाली देखने को मिली. कारोबार के अंत में सेंसेक्स 424 अंक या 0.56 प्रतिशत की गिरावट के साथ 75,311 और निफ्टी 117 अंक या 0.51 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 22,795 पर था. गिरावट का सबसे ज्यादा असर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में देखने को मिला.

निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 677 अंक या 1.32 प्रतिशत की गिरावट के साथ 50,486 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 110 अंक या 0.70 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 15,636 पर बंद हुआ. निफ्टी में ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी और प्राइवेट बैंक इंडेक्स में सबसे अधिक दबाव देखा गया। मेटल इंडेक्स ही हरे निशान में बंद हुआ है.

सेंसेक्स पैक में टाटा स्टील, एलएंडटी, एचसीएल टेक, एशियन पेंट्स, एचडीएफसी बैंक, एनटीपीसी, टीसीएस, नेस्ले और बजाज फिनसर्व टॉप गेनर्स थे. एमएंडएम, टाटा मोटर्स, सन फार्मा, पावर ग्रिड, जोमैटो, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई, एक्सिस बैंक और अल्ट्राटेक सीमेंट टॉप लूजर्स थे.

व्यापक स्तर पर भी बाजार का रुझान नकारात्मक था. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 1,698 शेयर हरे निशान में, 2,245 शेयर लाल निशान में और 117 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए हैं. डॉलर इंडेक्स गिरकर 106.60 पर आने के बाद भी डॉलर के मुकाबले रुपया 0.05 पैसे की कमजोरी के साथ 86.70 पर कारोबार कर रहा था. इसकी वजह विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की ओर से लगातार शेयर बाजार में बिकवाली जारी रखना है. एफआईआई द्वारा गुरुवार को 3,312 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची गई थी. वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 3,908 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था. भारतीय शेयर बाजार के कारोबारी सत्र की शुरुआत सापट हुई थी.सुबह 9:30 पर सेंसेक्स 79 अंक या 0.11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 75,683 और निफ्टी 19 अंक या 0.09 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 22,893 पर था.

टॉप गेनर्स: टाटा स्टील, एलएंडटी, एचसीएल टेक, एशियन पेंट्स, एचडीएफसी बैंक, एनटीपीसी, टीसीएस, नेस्ले और बजाज फिनसर्व में मजबूती देखी गई.

टॉप लूजर्स: एमएंडएम, टाटा मोटर्स, सन फार्मा, पावर ग्रिड, जोमैटो, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई, एक्सिस बैंक और अल्ट्राटेक सीमेंट भारी गिरावट के साथ बंद हुए.

व्यापक बाजार का मूड भी नकारात्मक रहा. बीएसई पर 2,245 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि 1,698 शेयर हरे निशान में बंद हुए. वहीं, 117 शेयरों में कोई बदलाव नहीं देखा गया.

डॉलर इंडेक्स गिरकर 106.60 पर आ गया, लेकिन इसके बावजूद रुपये में कमजोरी बनी रही. डॉलर के मुकाबले रुपया 86.70 पर कारोबार करता दिखा. विदेशी निवेशकों की बिकवाली रुपये पर दबाव बना रही है.


गुरुवार को एफआईआई ने 3,312 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची, जबकि डीआईआई ने 3,908 करोड़ रुपये का निवेश किया. इससे बाजार को कुछ हद तक सपोर्ट मिला, लेकिन बिकवाली के दबाव से उबर नहीं पाया.

शुक्रवार को बाजार की शुरुआत सापट रही. सुबह 9:30 बजे सेंसेक्स 79 अंक (0.11%) टूटकर 75,683 पर था, जबकि निफ्टी 19 अंक (0.09%) गिरकर 22,893 पर कारोबार कर रहा था. हालांकि, दिनभर उतार-चढ़ाव के बाद बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ.

विशेषज्ञों के अनुसार, एफआईआई की बिकवाली और वैश्विक संकेतों पर बाजार की चाल निर्भर करेगी. अगर अगले हफ्ते तक संस्थागत खरीदारी मजबूत नहीं होती, तो निफ्टी और सेंसेक्स में और गिरावट देखने को मिल सकती है.

फरवरी के महीना शेयर मार्केट के लिए अच्छा साबित होता नहीं दिख रहा है. बीते कुछ महीनों से भारतीय शेयर बाजार की गिरावट फरवरी महीने में भी जारी है. बीते 21 दिन में सेंसेक्स 2000 पॉइंट तक टूट गया है. यही नहीं 21 दिनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 23 हजार करोड़ की बिकवाली की है. इस बिकवाली का सीधा असर भारतीय स्टॉक मार्केट पर पड़ रहा है निवेशकों के पोर्टफोलियो लाल हो रहे हैं. इससे पहले जनवरी में भी विदेशी निवेशकों ने जमकर बिकवाली की थी और 78,027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. निवेशकों को सबसे ज्यादा ज़ख्म स्मॉल कैप और मिड कैप स्टॉक्स ने दिया है.


ट्रंप टैरिफ बढ़ा रहा बाजार की मुसीबत
वैश्विक और घरेलू प्रतिकूल परिस्थितियों का मिश्रण बाजार में दहशत पैदा कर रहा है. डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकियां, चीन में एफआईआई को लुभाने वाली हैंग सेंग रैली, और घरेलू स्तर पर तीसरी तिमाही के बाजार पर हावी होते जा रहे हैं. बाजार अपने रिकॉर्ड हाई से 11000 पॉइंट तक टूट चुका है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बाजार का सबसे बुरा दौर बीत चुका है, या आगे और भी अधिक दर्द होने वाला है?

एक्सपर्ट्स की क्या है राय?
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी के विजयकुमार के हवाले से इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया कि ट्रंप की आक्रामक टैरिफ बयानबाजी निवेशकों को परेशान कर रही है. बाजार ऑटो और फार्मास्यूटिकल्स जैसे संभावित टैरिफ लक्ष्यों पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहा है, जबकि घरेलू उपभोग के खेल पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो व्यापार तनाव से बचा हुआ है. हालांकि, ट्रम्प की रणनीति हमेशा पहले धमकी देने और बाद में बातचीत करने की रही है. टैरिफ का वास्तविक प्रभाव अभी तक पूरी तरह से सामने नहीं आया है.

अधिक टैरिफ से अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ेगी, जिससे फेडरल रिजर्व के फैसले पर असर पड़ेगा. ऐसे में फेड रिजर्व ऐसा फैसला ले सकता है जो अमेरिकी शेयर बाजार पर असर डाल सकता है. ट्रंप के इतिहास को देखते हुए, विजयकुमार का मानना ​​है कि मौजूदा उथल-पुथल अल्पकालिक हो सकती है, लेकिन एफआईआई के निकट अवधि में सतर्क रहने की संभावना है.

क्या बाजार का दर्द हो गया खत्म?
फरवरी में सेंसेक्स की मंदी ने निवेशकों को परेशान कर दिया है, इतिहास बताता है कि इस तरह के तेज सुधार अक्सर सुधार का मार्ग प्रशस्त करते हैं. विदेशी निवेशकों ने बीते 21 दिनों में बाजार से 23000 करोड़ के शेयर बेचे हैं. बाजार की गिरावट आगे जारी रहेगी या थम जाएगी इसको देखने के लिए टैरिफ पर ट्रम्प का अगला कदम, एफआईआई की बिकवाली और आने वाली तिमाहियों में कॉर्पोरेट आय में बढ़ोतरी महत्वपूर्ण कारक हैं.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अभी के लिए, निवेशकों को सावधानी से चलना चाहिए। ज्यादा महंगे स्मॉलकैप से बाहर निकलने के लिए रिबाउंड का उपयोग करें, लेकिन चुनिंदा मजबूत व्यवसायों को जमा करें जो अस्थिरता का सामना कर सकें. दर्द शायद ख़त्म न हो, लेकिन अनुभवी निवेशक जानते हैं कि बाज़ार का निचला स्तर ही वह जगह है जहां सबसे बड़े अवसर छिपे होते हैं.

Vishal Leel

Sr Media person & Digital Creator
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