
✍️अजीत मिश्रा (खोजी)✍️
कितने प्यारे प्यारे अरबी के पत्ते है न!
इससे बहुत ही बेहतरीन सोहिना बनेगा। “सोहिना” हमारे पूर्वांचल में कहते है। इसे कही कही पतोड़ व पातरा भी कहते है।
यू तो आप इसे सब्जी बनाने वाली अरबी यानि घुइया के पत्तों से बना सकते है लेकिन मेरे घर पर अम्मा ने एक विशेष प्रकार के पौधे लगाए थे जिससे सिर्फ सोहिना ही बनता था उसे हमारे यहां “अरुवा “कहते है। इसकी कंद में बस एक गांठ पड़ती है अरवी की तरह शाखाएं नहीं होती है। इसकी पत्तियाँ व तने गहरे गुलाबी या बैगनी रंग के होते है। इसकी पत्तियों से बना सोहिना गला कम काटता है।
अरवी कई तरह की होती है। एक जिससे हम सब सूखी सब्जी, चोखा,रसेदार सब्जी, कोफ्ते इत्यादि बनाते है और पत्तियों से सोहिना या पत्ते बारीक़ काटकर बेसन में डालकर पकौड़े बनाते है।
एक दूसरी तरह के अरवी के पौधे होते है जिसकी जड़ से एक मोटी कंद निकलती है उसे हमारी तरफ “बंडा” कहते है इस बंडे की सब्जी से ज्यादा लोग फ़्रूट चाट में प्रयोग करते है।
अरबी एक ऐसा पौधा है जिसकी पत्तियाँ पशु तक नहीं खाते है क्योंकि इसको खाने से न सिर्फ गले में खराश और खुजली होती है बल्कि शरीर के अन्य हिस्से पर भी लग जाये तो भी खुजली होती है। इसके पत्ते या तने से निकला रस अगर कपड़ों पर लग जाये तो वो दाग कभी नहीं छूटता है। इतने अवगुण होने के बाद भी इसका सम्पूर्ण भाग खाया जाता है।
पत्तों से बढ़िया कुरकुरा सा स्नैक्स, कंद से बेहतरीन स्वादिष्ट सब्जी, मुलायम तने और पत्तियों से बढ़िया सा साग भी बनता है।
बस इसका कोई भी भाग इस्तेमाल करने से पहले सावधानी रखें ताकि ये आपको नुकसान देने के बजाय बस फायदा पहुचाये।
जानते है चना, उड़द दाल की पीठी में डाले गए हींग ,जीर, मिर्च, नमक वाले चटाखेदार मसाले में लिपटे अरवी के पत्तों से बना सोहिना स्नेक्स के रूप में तो आंनद से खाया ही जाता लेकिन यदि सोहिना बच जाये तो बची हुई पीठी को पानी में पतला सा घोलकर मेथी, हींग का तड़का लगाए, खटाई, हल्दी नमक डालें पकाये और गाढ़ी होने पर बचे सोहिना को डाल कर बढ़िया “कढ़ी “बनाये जिसे हमारी तरफ “लपटा ” कहते है। इस लपटे को भात के साथ खाये और आंनद उठाये।