✍️अजीत मिश्रा (खोजी)✍️ 

*पत्रकारिता का इतिहास और वर्तमान स्थिति: तुलनात्मक विश्लेषण*

*इतिहास:*

प्रारंभ (17वीं-18वीं सदी): पत्रकारिता की शुरुआत समाचार पत्रों और पत्रिकाओं से हुई। यूरोप में 17वीं सदी में समाचार पत्र (जैसे जर्मनी का Relation 1605) और भारत में 1780 में जेम्स हिक्की का बंगाल गजट प्रमुख उदाहरण हैं। यह दौर सीमित प्रसार और सरकारी नियंत्रण का था।

*19वीं सदी:* औद्योगिक क्रांति और प्रिंटिंग प्रेस के विकास ने समाचार पत्रों का विस्तार किया। भारत में टाइम्स ऑफ इंडिया (1838) और स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित पत्रकारिता (जैसे अमृत बाजार पत्रिका) उभरी। पत्रकारिता सामाजिक सुधार और राष्ट्रीयता का माध्यम बनी।

*20वीं सदी:* रेडियो और टेलीविजन ने पत्रकारिता को नया आयाम दिया। भारत में आजादी के बाद पत्रकारिता ने लोकतंत्र को मजबूत करने में भूमिका निभाई। 1980-90 के दशक में निजी टीवी चैनलों (जैसे ज़ी न्यूज़, NDTV) ने समाचार प्रसार को तेज किया।

*विशेषताएँ:* धीमा प्रसार, सीमित तकनीक, तथ्य-आधारित और वैचारिक पत्रकारिता, अक्सर सामाजिक-राजनीतिक सुधारों पर केंद्रित।

*वर्तमान स्थिति (21वीं सदी):*

*डिजिटल क्रांति* : इंटरनेट और सोशल मीडिया (जैसे X, YouTube) ने पत्रकारिता को वैश्विक और त्वरित बनाया। न्यूज़ पोर्टल्स, ब्लॉग्स, और सिटिजन जर्नलिज्म का उदय हुआ।

*तकनीकी प्रभाव* : AI, डेटा जर्नलिज्म, और मोबाइल ऐप्स ने समाचार प्रस्तुति को आकर्षक और त्वरित बनाया।

*उदाहरण:* The Quint, Scroll.in जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म।

*चुनौतियाँ:* फेक न्यूज़, सनसनीखेज़ खबरें, और टीआरपी के लिए प्रतिस्पर्धा ने विश्वसनीयता को प्रभावित किया। पत्रकारों पर दबाव और सेंसरशिप भी बढ़ी।

*विशेषताएँ:* त्वरित समाचार, व्यापक पहुंच, डिजिटल सामग्री, लेकिन तथ्यों की जाँच में कमी और व्यावसायिक दबाव।

*तुलनात्मक बिंदु:*

*प्रसार गति:*
पहले सीमित (दिनों/सप्ताह में खबरें), अब सेकंडों में वैश्विक प्रसार।
*माध्यम* : प्रिंट और रेडियो-टीवी से डिजिटल और सोशल मीडिया तक।
*विश्वसनीयता* : पहले तथ्य-आधारित और वैचारिक, अब फेक न्यूज़ और सनसनीखेज़ खबरों का जोखिम।
*पहुँच* : पहले कुलीन वर्ग तक सीमित, अब हर व्यक्ति तक (स्मार्टफोन और इंटरनेट के कारण)।

*उद्देश्य:* पहले सामाजिक सुधार और जागरूकता, अब अक्सर व्यावसायिक लाभ और दर्शक संख्या पर जोर।

_*निष्कर्ष:*_ पत्रकारिता ने तकनीकी प्रगति के साथ व्यापकता और गति हासिल की, लेकिन विश्वसनीयता और नैतिकता की चुनौतियाँ बढ़ी हैं। पहले यह समाज सुधार का हथियार थी, अब यह सूचना के साथ-साथ मनोरंजन और व्यावसायिक हितों का मिश्रण है। नैतिक पत्रकारिता को बनाए रखने के लिए तथ्य-जाँच और स्वतंत्रता जरूरी है।

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