
बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता-शिवानी जैनएडवोकेट
ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि
सम्पूर्ण विश्व में प्रत्येक वर्ष 01 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस सबसे पुराना अंतर्राष्ट्रीय उत्सव माना जाता है जो कि साल 1950 से मनाया जाता आ रहा है। इसकी शुरुआत का निर्णय मॉस्को में ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला लोकतांत्रिक संघ’ की एक विशेष बैठक में किया गया था। इस दिवस का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है। रूस में आज के दिन अनाथ, विकलांग और ग़रीब बच्चों की समस्याओं की ओर विशेष रूप से लोगों का ध्यान खींचा जाता है।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि भारत में आज भी 14 साल से कम उम्र के 40 प्रतिशत बच्चें चाय के होटल, ढाबा, दुकान और मोटर मैकैनिक के अलावा अनौपचारिक क्षेत्र में न्यूनतम वेतन पर काम करते हैं। कुछ तो बेहद कम मजबूरी में काम करते हैं या कुछ बच्चों के माता-पिता हाथ में हुनर का हवाला देने की बात कहकर उन्हें किसी न किसी काम में लगा देते हैं। इससे उनकी शिक्षा पर गहरा असर पड़ता है। खेलने-कूदने और शिक्षा से लेकर उनके भरण−पोषण तक हर जगह बच्चों के अधिकारों को अनदेखा किया जाता है। बच्चों के अधिकार क्या हैं और कैसे हो इनकी सुरक्षा, इस पर गंभीरता से मंथन की जरूरत है।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ आरके शर्मा, डॉ संजीव शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट आदि ने कहा कि बाल मजदूरी से बच्चों का भविष्य अंधकार में जाता ही है, देश भी इससे अछूता नहीं रहता क्योंकि जो बच्चे काम करते हैं वे पढ़ाई-लिखाई से कोसों दूर हो जाते हैं और जब ये बच्चे शिक्षा ही नहीं लेंगे तो देश की बागडोर क्या खाक संभालेंगे? इस तरह एक स्वस्थ बाल मस्तिष्क विकृति की अंधेरी और संकरी गली में पहुँच जाता है।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ