
विद्युत व्यवस्था की रीढ़ है संविदा लाइनमैन।
दिन हो, रात हो, बरसात हो या कड़ी धूप लाइनमैन अपनी जान जोखिम में डालकर बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने की कोशिश करते हैं। आजकल प्रायः समाचार में देखा और सुना जाता है कि बिजली बनाते समय लाइनमैन झुलस जाते हैं और कभी-कभी उनकी मौत भी हो जाती है।
लाइनमैन को 9 से 10 हज़ार रुपए तक की सैलरी पर (संविदा) पर रखा जाता है
ड्यूटी का कोई फिक्स टाइम नहीं है जब तक विद्युत व्यवस्था ठीक नहीं होती तब तक काम करना होता है।
विभाग द्वारा सुविधा न मिलने से वे भी परेशान हो जाते हैं। पब्लिक का गुस्सा अलग साहब का दबाव अलग से।
सर्दी, गर्मी , बरसात कभी भी बिजली व्यवस्था बिगड़ती है तो सारा बोझ इन पर ही आता है। लोगों की गालियां भी सुनते हैं और अधिकारियों की डांट भी।
इनके साथ कोई दुर्घटना घटती है तो कोई नेता, कोई बड़ा आदमी सांत्वना देने भी नहीं पहुंचता है क्योंकि ये संविदा कर्मी है।
आज महंगाई के इस दौर में संविदा कर्मियों को एक सम्मानजनक वेतन के साथ बीमा भी मिलना चाहिए।

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